Page Loader
कोरोना वायरस: बच्चों में संक्रमण के लक्षण और इससे बचाव समेत अन्य महत्वपूर्ण बातें

कोरोना वायरस: बच्चों में संक्रमण के लक्षण और इससे बचाव समेत अन्य महत्वपूर्ण बातें

लेखन अंजली
May 13, 2021
07:00 pm

क्या है खबर?

जहां कोरोना वायरस की पहली लहर बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक मानी जा रही थी, वहीं दूसरी लहर में युवा और बच्चे भी अधिक संख्या में इसकी चपेट में आए हैं। यह चिंता की बात इसलिए है क्योंकि बच्चों के लिए अभी कोरोना की कोई वैक्सीन नहीं आई है। आइए जानते हैं कि संक्रमण की चपेट में आने के बाद बच्चों में क्या-क्या लक्षण दिखाई देते हैं और इससे उन्हें कैसे बचाया जा सकता है।

जानकारी

एक साल से कम उम्र के बच्चे को है संक्रमण का अधिक खतरा

कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि एक साल से कम उम्र के बच्चों को अपनी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता और छोटे वायुमार्ग के कारण कोरोना संक्रमण का अधिक खतरा है। ऐसे में जरूरी है कि छोटे बच्चों का ध्यान रखने वाले लोग अतिरिक्त सावधानी बरतें। उदाहरण के लिए, जब भी माता-पिता या फिर घर का कोई अन्य व्यक्ति बच्चे के पास हो तो उसके मुंह पर मास्क होना चाहिए और उसके हाथ अच्छे से साफ होने चाहिए।

लक्षण

ये लक्षण नजर आने पर कराएं बच्चे का टेस्ट

अगर आपके बच्चे को बुखार, गले में खराश, थकान, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, शरीर में दर्द, स्वाद या सूंघने की क्षमता घटने के साथ-साथ लगातार खांसी हो तो तुरंत ही उसका कोरोना टेस्ट कराएं। यही नहीं, बच्चे को ठंड लगना, नाक का बंद होना, नाक का बहना, सांस लेने में कठिनाई, मतली, उल्टी जैसा लगना, डायरिया और भूख में कमी आना भी कोरोना वायरस से संक्रण के लक्षण हो सकते हैं।

पोस्ट-रिकवरी

बच्चे का ध्यान रखने में न करें लापरवाही

अगर आपका बच्चा संक्रमण से ठीक हो रहा है तो उसका ध्यान रखने में जरा सी भी लापरवाही न करें। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कोरोना वायरस को मात दे चुके बच्चों में मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MISC) काफी देखने को मिल रहा है। यह एक ऐसी बीमारी है जो हृदय, फेफड़े और किडनी की सूजन का कारण बनती है। बेहतर होगा कि आप बच्चे के ठीक होने के बाद उसे एक बार डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

बचाव

बच्चों को संक्रमण से ऐसे रखें सुरक्षित

अभी तक भारत में किसी भी वैक्सीन को बच्चों पर इस्तेमाल के लिए मंजूरी नहीं मिली है, हालांकि 2 से 18 साल तक के बच्चों और किशोरों पर 'कोवैक्सिन' का ट्रायल करने की मंजूरी दे दी गई है। ऐसे में मात-पिता के लिए जरूरी है कि वह अपने बच्चों की हाइजीन का पूरा ध्यान रखें। इसी के साथ उन्हें घर से बाहर न निकलने दें और उन्हें बार-बार मुंह पर हाथ लगाने से भी रोकें।