फैक्ट्री की गलती के कारण खराब हुईं जॉनसन एंड जॉनसन कोरोना वैक्सीन की 1.5 करोड़ खुराकें
क्या है खबर?
अमेरिका में एक फैक्ट्री के कर्मचारियों की गलती के कारण जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी की कोरोना वायरस वैक्सीन की 1.5 करोड़ खुराकें खराब हो गईं। कर्मचारियों ने एक दूसरी वैक्सीन की सामग्री को जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन की खुराकों में मिला दिया जिससे वे दूषितत हो गईं।
इस गलती के बाद रेगुलेटर्स ने इस फैक्ट्री की खुराकों को मंजूरी देने के अपने फैसले को फिलहाल टाल दिया है। अधिकारियों ने इसे एक मानवीय गलती बताया है।
मामला
इमरजेंट बायोसॉल्यूशन्स नामक कंपनी की फैक्ट्री में हुई गलती
यह गलती इमरजेंट बायोसॉल्यूशन्स नामक कंपनी की बाल्टीमोर स्थित एक फैक्ट्री में हुई। यह कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन और ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका दोनों की सहयोगी है और इसकी फैक्ट्री मे दोनों की कोरोना वैक्सीनें बन रही हैं।
ये दोनों ही वैक्सीनें समान तरीके की तकनीक पर काम करती हैं और इमरजेंट ने इन्हें बनाने के लिए एक साल से कम समय के अंदर सैकड़ों कर्मचारियों को काम पर रखा और उन्हें ट्रेनिंग दी।
कारण
कर्मचारियों ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की सामग्री जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन में मिलाई
हालांकि फरवरी के अंत में एक या इससे अधिक कर्मचारी संशय में पड़ गए और उन्होंने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की एक मुख्य सामग्री को जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन की खुराकों में मिला दिया।
यह गलती कई दिन तक होती रही और जॉनसन एंड जॉनसन के एक क्वालिटी चेक में यह पकड़ में आई। लेकिन इसके पकड़ में आने तक वैक्सीन की लगभग 1.5 खुराकों में गलत सामग्री मिलाई जा चुकी थी और वे दूषित हो चुकी थीं।
असर
घटना के कारण भविष्य में वैक्सीन की सप्लाई में आएगी देरी
इस गलती की वजह से अमेरिका में भविष्य में जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन की सप्लाई में देरी आएगी। हालांकि अभी जिन खुराकों को देशभर में पहुंचाया जा रहा है और जिनका उपयोग किया जा रहा है, उन पर इस गलती की वजह से कोई असर नहीं पड़ेगा।
अगले हफ्ते कई राज्यों में पहुंचनें वाली खुराकों पर भी इस घटना का कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि उनका नीदरलैंड में उत्पादन किया गया था और रेगुलेटर्स उन्हें मंजूरी ले चुके हैं।
सवाल
जॉनसन एंड जॉनसन और इमरजेंट पर उठ रहे सवाल
यह घटना जॉनसन एंड जॉनसन और इमरजेंट के लिए बड़ी शर्मिंदगी का कारण भी बनी है जो पहले से ही आलोचनाओं के केंद्र में हैं। इमरजेंट पर ज्यादा सवाल उठे हैं और कॉन्ट्रेंट हासिल करने के लिए भारी-भरकम लॉबिंग करने के लिए उसकी आलोचना हुई है।
अब यह घटना सामने आने के बाद कर्मचारियों को दी गई उसकी ट्रेनिंग पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है और मानक निर्माण प्रक्रियाओं पर खरे उतरने की उसकी क्षमता भी सवालों में है।
ट्रायल
ट्रायल में 66 प्रतिशत प्रभावी पाई गई थी वैक्सीन
इंसानों में सर्दी-जुकाम करने वाले एडिनोवायरस में जेनेटिक बदलाव करके और इसके ऊपर कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन लगाकर बनाई गई जॉनसन एंड जॉनसन की यह वैक्सीन एक खुराक वाली एकमात्र कोरोना वैक्सीन है।
इसे लगभग 44,000 लोगों पर हुए ट्रायल में इसे लगभग 66 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था और यह खुराक के 28 दिन बाद गंभीर बीमारी को रोकने में 85 प्रतिशत सफल रही थी।
इसे 'ऑपरेशन वॉर्प स्पीड' के तहत अमेरिकी सरकार से आर्थिक मदद मिली थी।