
उमर अब्दुल्ला ने स्वतंत्रता दिवस पर कहा- आतंकवादी तय नहीं करेगे पूर्ण राज्य का दर्जा
क्या है खबर?
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर केंद्र शासित प्रदेश को पूर्ण राज्य बनाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में ध्वजारोहण करने के बाद अपने भाषण में कहा कि वे दिल्ली में आज एक बड़े ऐलान का इंतजार कर रहे थे, लेकिन कुछ आया नहीं। उन्होंने कहा कि वह नाउम्मीद नहीं हैं, लेकिन उम्मीद की रोशनी में कुछ कमी आई है। उनका यह बयान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर आई है।
बयान
आतंकवादी तय नहीं करेंगे कि पूर्ण राज्य मिलेगा या नहीं- अब्दुल्ला
अब्दुल्ला ने पहलगाम हमले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और सुप्रीम कोर्ट का नाम लिए बगैर कहा कि क्या पहलगाम के हत्यारे और पाकिस्तान में बैठे आका तय करेंगे कि हमें पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए की नहीं। उन्होंने कहा कि जब भी जम्मू-कश्मीर पूर्ण राज्य का दर्जा पाने के लिए एक कदम आगे बढ़ाता है तो आतंकवादी उसे नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ न कुछ करते हैं। उन्होंने लोगों से पूछा कि क्या ये सही है?
सजा
हमें पहलगाम हमले की सजा मिल रही है- अब्दुल्ला
अब्दुल्ला ने आगे कहा कि हमें उस अपराध की सजा क्यों दी जा रही है, जिसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है, जबकि पूरा प्रदेश आतंकवादी हमलों के खिलाफ खड़ा है और कठुआ से लेकर कुपवाड़ा तक प्रदर्शन कर रहा है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को दुर्भाग्य से पहलगाम हमले की सजा मिल रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को याचिका पर जवाब देने के लिए 8 हफ्तों की मोहलत दी है, जिसका हम सदुपयोग करेंगे।
जानकारी
घर-घर चलाएंगे हस्ताक्षर अभियान
अब्दुल्ला ने कहा कि वह इन 8 हफ्तों के दौरान सहयोगी दलों के साथ मिलकर एक व्यापक हस्ताक्षर अभियान चलाएंगे। इस दौरान घर-घर जाकर लोगों से हस्ताक्षर लिए जाएंगे, अगर लोगों ने मना किया तो वे हार मान लेंगे। दस्तावेज को सुप्रीम कोर्ट में सौपेंगे।
आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में 14 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बनाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट में केंद्र से 8 हफ्तों में जवाब मांगा है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा, "जम्मू-कश्मीर की जमीनी स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पहलगाम में जो आतंकी हमला हुआ, ऐसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। फैसला संसद और कार्यपालिका को लेना है।"