भारत बायोटेक को मिली 'कोवैक्सिन' की तीसरी खुराक का ट्रायल करने की अनुमति
भारत बायोटेक को अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन 'कोवैक्सिन' की तीसरी खुराक का ट्रायल करने की मंजूरी मिल गई है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की विशेषज्ञ समिति ने 23 मार्च को इसकी मंजूरी दी। जिन लोगों पर अभी वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है, उनमें से ही कुछ वॉलेंटियर्स को तीसरी खुराक लगाई जाएगी। इस ट्रायल के जरिए कंपनी यह देखेगी कि तीसरी खुराक कुछ साल तक चलने वाली इम्युनिटी पैदा कर पाती है या नहीं।
दुसरी खुराक के छह महीने बाद लगाई जाएगी तीसरी खुराक
भारत बायोटेक के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए विशेषज्ञ समिति ने वॉलेंटियर्स को दूसरी खुराक के छह महीने बाद तीसरी खुराक लगाने की सिफारिश की है। यह खुराक दूसरे चरण के ट्रायल में शामिल रहे उन वॉलेंटियर्स को लगाई जाएगी जिन्हें कोवैक्सिन की 6 माइक्रोग्राम दो खुराकें दी गई थीं। सिफारिशों के अनुसार, भारत बायोटेक को तीसरी खुराक लगाने के कम से कम छह महीने बाद तक इन वॉलेंटियर्स पर नजर रखनी होगी।
190 वॉलेंटियर्स पर किया जाएगा तीसरी खुराक का ट्रायल
भारत बायोटेक के डाटा के अनुसार, दूसरे चरण के ट्रायल में लगभग 190 वॉलेंटियर्स को 6 माइक्रोग्राम कोवैक्सिन की दो खुराकें लगाई गई थीं। मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "अब इन वॉलेंटियर्स को दो समूहों में बांटा जाएगा जिसमें से एक समूह को तीसरी बूस्टर खुराक दी जाएगी।" इसके बाद इन दोनों समूहों पर निगरानी रखकर देखा जाएगा कि तीन खुराक देने पर इम्युनिटी कितने समय तक बरकरार रहती है।
ट्रायल सफल रहा तो आसान होगी वैक्सीनेशन की प्रक्रिया
अगर यह ट्रायल सफल रहता है और कोवैक्सिन की तीसरी खुराक सालों तक मध्यम और गंभीर कोरोना संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने में कामयाब रहती है तो यह एक बड़ी कामयाबी होगी। अभी अनुमान लगाया जा रहा है कि लोगों को हर साल कोरोना की वैक्सीन लगवाने की जरूरत पड़ा करेगी, लेकिन अगर कोवैक्सिन की तीसरी खुराक सालों तक इम्युनिटी प्रदान करने में कामयाब रहती है तो इस जरूरत को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।
कोरोना वायरस को निष्क्रिय करने बनाई गई है कोवैक्सिन
बता दें कि भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर कोवैक्सिन को विकसित किया है और यह पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है। इसे कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। इसके लिए ICMR ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान किया था, जिसे निष्क्रिय करके कंपनी ने वैक्सीन विकसित की। लगभग 26,000 लोगों पर हुए तीसरे चरण के ट्रायल में इसे 81 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था।
अब तक लगाई गईं कोवैक्सिन की 61.36 लाख खुराकें, प्रधानमंत्री ने भी लगवाई
कोवैक्सिन की जनवरी में क्लीनिकल ट्रायल मोड में आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिली थी और शुरूआत में इसका बेहद कम उपयोग हुआ था। पिछले महीने ही DCGI ने इसे क्लीनिकल ट्रायल मोड से हटाने की मंजूरी दी थी और अब इसका बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है। अब तक देश में कोवैक्सिन की 61.36 लाख खुराकें लगाई जा चुकी हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यही वैक्सीन लगवाई थी।