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पेचिश के जोखिमों को कम करने में सक्षम हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास
पेचिश के जोखिमों को कम करने में सहायक हैं ये योगासन

पेचिश के जोखिमों को कम करने में सक्षम हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास

लेखन अंजली
Sep 05, 2021
08:42 pm

क्या है खबर?

पेचिश पेट की बीमारी है, जो शिगेला नामक बैक्टीरिया और एटामोइबा हिस्टोलिटिका नामक पैरासाइट इन्फेक्शन के कारण होती है। यह बीमारी दूषित भोजन और दूषित पानी का सेवन करने से हो सकती है। वहीं, किसी संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक संपर्क में आने के कारण भी इस बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। खैर, वजह चाहें जो भी हो, कुछ योगासन इसके जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। आइए उन योगासनों के अभ्यास का तरीका जानते हैं।

#1

चक्रासन

चक्रासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पैर फैलाते हुए पीठ के बल लेट जाएं। अब धीरे-धीरे अपने घुटनों को मोड़े और एड़ियों को नितंबों से सटाएं, फिर अपनी कोहनियां मोड़कर हथेलियों को सिर के ऊपर से ले जाते हुए जमीन पर रखें। इसके बाद सामान्य तरीके से सांस लेते हुए धीरे-धीरे सिर को उठाने के साथ पीठ को मोड़ने की कोशिश करें। कुछ देर इसी मुद्रा में रहने के बाद सामान्य हो जाएं।

#2

कुक्कुटासन

कुक्कुटासन के लिए पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं, फिर अपनी दोनों हथेलियों को पैरों के बीच से निकालते हुए जमीन पर टिका दें। अब अपने पूरे शरीर का भार दोनों हथेलियों पर डालते हुए शरीर को जमीन से ऊपर उठाने का प्रयास करें और इस दौरान सांस को सामान्य गति से लेते रहें। इस अवस्था में कुछ मिनट रहने के बाद धीरे-धीरें प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।

#3

बद्ध पद्मासन

सबसे पहले योग मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं और यह सुनिश्चित करें कि इस स्थिति में पैर के पंजे जांघों से बाहर की ओर निकलकर दोनों ओर से कमर को छू रहे हों। अब बाएं हाथ को पीठ के पीछे से लाते हुए दाएं पैर के अंगूठे को पकड़े और दाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें। कुछ क्षण इसी मुद्रा में बने रहने के बाद धीरे-धीरे अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।

#4

शीर्षासन

शीर्षासन करने के लिए पहले योगा मैट पर वज्रासन की अवस्था में बैठ जाएं। फिर अपने दोनों हाथों की उंगलियों को इंटरलॉक करते हुए आगे की तरफ झुककर हाथों को जमीन पर रखें। अब अपने सिर को झुकाकर जमीन से सटाएं। फिर पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और सीधे कर लें। कुछ सेकेंड इसी मुद्रा में बने रहे और सामान्य गति से सांस लेते रहें। फिर सांस छोड़ते हुए पैरों को नीचे करें और धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।