लद्दाख के नजदीक मौजूद हैं ये पांच ऑफबीट पर्यटन स्थल, जरूर जाएं घूमने
लद्दाख भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश है, जो सुरम्य घाटियों, खूबसूरत झीलों और आकर्षक मठों के लिए प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त, यहां का सुहावना मौसम और प्रकृति नजारें आपका मनमोह लेगें। हालांकि, अगर आप लद्दाख में कई बार घूम चुके हैं तो आप इसके पास स्थित ऑफबीट पर्यटन स्थलों की ओर भी रूख कर सकते हैं। आइए आज हम आपको लद्दाख के नजदीक मौजूद पांच ऑफबीट पर्यटन स्थलों के बारे में बताते हैं।
तुर्तुक
लद्दाख से लगभग 199 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तुर्तुक एक खूबसूरत गांव है, जो अपने प्राचीन मठों और खुबानी के बागानों के लिए प्रसिद्ध है। श्योक नदी के किनारे बसे इस गांव को 2010 में जनता के लिए खोल दिया गया था। इससे पहले इस जगह पर 1971 तक पाकिस्तान का कब्जा था। बता दें कि आज भी इस गांव में प्राचीन बाल्टी संस्कृति मौजूद है।
उलेतोकपो
लद्दाख के लेह जिला से लगभग 60 किलोमीटर दूर सिंधु नदी के तट पर स्थित उलेतोकपो एक खूबसूरत गांव है, जो समुद्र तल से लगभग 10,000 फीट की ऊंचाई पर मौजूद है। यह ट्रेकिंग और कैंपिंग के लिए एक लोकप्रिय स्थान है, इसलिए एडवेंचर गतिविधियों के शौकीन लोगों को एक बार यहां जरूर आना चाहिए। यकीनन यहां आकर आप रोजाना की भीड़भाड़ से दूर अपनी छुट्टियों का शांतिपूर्ण तरीके से लुत्फ उठा सकते हैं।
बासगो
लेह लद्दाख से 36 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद बासगो इतिहास प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान है। यह स्थान अपने गोम्पों, बौद्ध मठ और ऐतिहासिक खंडहरों के लिए लोकप्रिय है। इस स्थान का उल्लेख लद्दाख क्रॉनिकल्स में किया गया है। यहां का मठ तांबे की मूर्तियों और दीवार चित्रों से सजाया गया है और इसमें मैत्रेय को समर्पित तीन मंदिर हैं। यहां हर साल पर्यटकों का तांता लगा रहता है क्योंकि इस जगह की बात ही निराली है।
पनामिक
लद्दाख से 137 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पनामिक एक छोटा सा अद्भुत पहाड़ो से घिरा गांव है, जो नुब्रा घाटी में बसा है। इस गांव के पास ही सियाचिन ग्लेशियर है, जो दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है। पनामिक अपने गर्म सल्फर स्प्रिंग्स के लिए प्रसिद्ध है, क्योंकि यह औषधीय गुणों से युक्त माना जाता है। यह गांव प्राचीन एन्सा मठ के ट्रेक का आधार भी है।
रंगदुम
लद्दाख से लगभग 346 किलोमीटर दूर सुरू घाटी में स्थित रंगदम एक खूबसूरत बौद्ध गांव है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह सुनसान घाटी में आखिरी गांव है। रंगदुम एक तरफ पहाड़ों और ग्लेशियरों, जबकि दूसरी तरफ रंग-बिरंगी पहाड़ियों से सुशोभित है। यहां आकर आपको 16वीं शताब्दी के पुराने रंगदुम मठ की यात्रा अवश्य करनी चाहिए, जो गेलुग्पा संप्रदाय से संबंधित है और इसमें 40-45 भिक्षु रहते हैं।