भारत-चीन विवाद: दोनों देशों के बीच कल होगी 12वें दौर की कोर कमांडर स्तरीय वार्ता
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच पिछले 14 महीने से चले आ रहे तनाव को शांत करने के लिए शनिवार को भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच 12वें दौर की कोर कमांडर स्तरीय वार्ता होगी। यह वार्ता सुबह 10.30 बजे चीनी हिस्से के मोल्डो में होगी। उम्मीद है कि इस बैठक में सैन्य अधिकारी हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा हाइट्स क्षेत्रों से डिसइंगेजमेंट पर चर्चा कर सकते हैं।
कैसे शुरू था भारत और चीन की सेनाओं के बीच विवाद?
बता दें कि अप्रैल 2020 में चीन ने पूर्वी लद्दाख और अन्य इलाकों में हथियारों के साथ सैनिकों की तैनाती कर दी थी। उसके बाद गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स इलाकों में दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गई थी। 15 जून की रात तनाव हिंसा में बदल गया था। इसी खूनी संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हुए तो कई चीनी सैनिकों की मौत हो गई थी। उसके बाद से शांति के लिए वार्ताओं का दौर जारी है।
वार्ताओं के दौर के बीच फरवरी में मिली थी पहली सफलता
दोनों देशों के बीच कमांडर और राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद इस साल फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों तथा हथियारों की वापसी का समझौता हुआ था। उसके बाद इसे समझौते के अनुसार डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया को पूरा भी कर लिया गया था। हालांकि, हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेपसांग जैसे क्षेत्रों में गतिरोध अब भी बरकरार है और इस मुद्दे को सुलझाने के वार्ताओं के दौर जारी हैं।
बेनतीजा रही थी कोर कमांडर स्तर की 11वें दौर की वार्ता
इससे पहले भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच 11वें दौर की वार्ता पूर्वी लद्दाख स्थित चुशूल में 9 अप्रैल को हुई थी। इसमें पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग जैसे इलाकों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को जल्द आगे बढ़ाने पर जोर दिया था, लेकिन लंबी वार्ता के बाद भी इस पर कोई ठोस हर नहीं निकल पाया था। यही कारण रहा इन क्षेत्रों में अभी भी दोनों देशों की सेनाएं मोर्चा संभाले हुए हैं।
तनाव के क्षेत्रों का हल निकालने पर रहेगा फोकस
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, एक सैन्य अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि 12वें दौर की बैठक में हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग जैसे तनाव वाले क्षेत्र का हल निकालने पर फोकस किया जाएगा। इसमें तनाव कम करने के हर संभव प्रयासों पर चर्चा होगी। हालांकि, भारत यह पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह कंप्लीट डिसइंगेजमेंट के लिए तभी सहमत होगा जब एक साथ और एक समान वापसी पर सहमति बनेगी।
तनाव वाले क्षेत्रों में हाई अलर्ट पर हैं सैनिक
एक चरण का डिसइंगेजमेंट होने के बाद भी तनाव वाले क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाएं हाई अलर्ट पर हैं। इन क्षेत्रों में दोनों सेनाओं के 50,000-60,000 सैनिक अभी तैनात है। गत 28 मई को सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा था कि चीन के लगातार सैनिकों की तैनाती करने के कारण भारतीय सेना अलर्ट पर है। उन्होंने यह भी कहा था कि हर दौर की वार्ता के बाद बेहतर परिणाम आने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए।