LAC पर तैनाती के लिए प्रत्येक तिब्बती परिवार के एक सदस्य को सैनिक बना रहा चीन
क्या है खबर?
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीनी की सेनाओं के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है।
ऐसे में दोनों देश LAC पर अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटे हैं। इसी बीच चीन की नई चाल सामने आई है।
चीन ने LAC पर सैन्य तैनाती को मजबूत करने के लिए प्रत्येक तिब्बती परिवार के लिए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) में एक सदस्य भेजना अनिवार्य कर दिया है। चीन ने भर्ती की पूरी तैयारी कर ली है।
पृष्ठभूमि
भारत और चीन के बीच पिछले एक साल से चल रहा है विवाद
भारत और चीन के बीच लंबे वक्त से लद्दाख की सीमा पर तनाव चल रहा है। पिछले साल अप्रैल-मई में चीनी सेना ने लद्दाख सीमा पर घुसपैठ की कोशिश की थी।
तभी से ही भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। दोनों देशों ने इस विवाद को सैन्य लेवल की बातचीत, कूटनीतिक रास्ते से निपटाने की कोशिश की है।
हालांकि, कई दौर की बातचीत के बाद अभी तक ठोस हल नहीं निकला है।
तैनाती
लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर तैनाती बढ़ाने पर जोर
इंडिया टुडे के अनुसार, चीन ने भारत में लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश से लगने वाली अपनी सीमा पर सैन्य तैनाती को मजबूत करने के लिए प्रत्येक तिब्बती परिवार के लिए एक सदस्य को सेना में भेजना अनिवार्य कर दिया है।
चीन इन युवाओं का पहले वफादारी टेस्ट ले रहा है और उसमे पास होने वालों को कड़ी ट्रेनिंग देकर LAC पर तैनात कर रहा है। इतना ही चीन की ओर से युवाओं को युद्ध का भी अभ्यास करा रहा है।
जानकारी
चीन में रहते हैं PLA में भर्ती होने वाले सभी तिब्बती
सेना के सूत्रों के अनुसार, जिन तिब्बतियों की नियुक्ति चीन अपनी सेना में कर रहा है वो सभी चीन में ही रहते हैं।
चीन अपनी सेना में तिब्बती युवाओं की भर्ती करने के साथ LAC पर स्पेशल ऑपरेशन्स की तैयारी भी कर रहा है।
इसके लिए इन नए सैनिकों को नियमित अभ्यास कराया जा रहा है। इतना ही नही सेना में भर्ती होने वाले सभी तिब्बती युवाओं को प्रतिदिन कई तरह के टेस्टों से भी गुजरना पड़ रहा है।
तैयारी
तिब्बती युवाओं को सिखाई जा रही है चीनी भाषा
सूत्रों के अनुसार, तिब्बती युवाओं को सेना में भर्ती से पहले उन्हें चीनी भाषा सीखने और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को सर्वोच्च मानने के लिए कहा जा रहा है।
इतना ही नहीं उन्हें यह भी कहा जा रहा है कि वो पार्टी के नियमों को सबसे ऊपर मानें, फिर चाहे वो दलाई लामा हीं क्यों ना हों।
चौंकाने वाली बात यह है चीन की ओर से तिब्बती युवाओं को चीनी भाषा सिखाने के लिए विशेष इंतजाम भी किए गए हैं।
शुरुआत
भारतीय सेना में तिब्बतियों के प्रदर्शन को देखकर चीन ने किया निर्णय
तिब्बती युवाओं की चीनी सेना में भर्ती इस साल जनवरी-फरवरी में उस समय शुरू की गई थी जब चीन ने देखा की भारतीय सेना की स्पेशन फ्रंटियर फोर्सेज में सेवा करते हुए निर्वासित तिब्बतियों ने कैसा प्रदर्शन किया था।
तिब्बतियों को सेना में भर्ती करने के चीन को कई फायदे हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि तिब्बती युवा लद्दाख क्षेत्र को काफी बेहतर तरीके से समझते हैं। इस मामले में चीन भारत की नकल कर रहा है।
झटका
भारत की फ्रंटियर टुकड़ी ने दिया था चीन को झटका
बता दें कि भारतीय फ्रंटियर टुकड़ी ने पिछले साल पैंगोंग त्सो (झील) के दक्षिणी तट पर चीनी सेना से टकराव के बाद भारत की नियमित सेना इकाइयों की मदद करते हुए मोखपरी, ब्लैक टॉप और अन्य ऊंचाइयों पर कब्जा कब्जा कर लिया था और चीन को पूरी तरह से चौंका दिया था।
उस दौरान चीन ने देखा था कि फ्रंटियर टुकड़ी में शामिल तिब्बती जवानों को क्षेत्र की कितनी जानकारी है और वह कितनी बहादुरी से लड़ते हैं।
प्रयास
फरवरी में पैंगोंग झील के पास पूरा हुआ डिसइंगेजमेंट
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में पिछले साल गतिरोध शुरू होने के बाद दोनों पक्षों ने इस साल फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों तथा हथियारों की वापसी की प्रक्रिया को पूरा कर लिया।
यह डिसइंगेजमेंट कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बाद हुए समझौते के तहत किया गया था।
हालांकि, हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेपसांग जैसे क्षेत्रों में गतिरोध अब भी बरकरार है और इस मुद्दे को सुलझाने के प्रयास जारी हैं।