भारतीयों के साथ चाय का अनोखा रिश्ता, जानिए इसका इतिहास और अन्य महत्वपूर्ण बातें
भारत के सबसे लोकप्रिय पेय में से एक चाय सिर्फ एक पेय नहीं है, बल्कि एक भावना है। चाय प्रेमी कभी भी और कहीं भी चाय पी सकते हैं। इसके लिए वो समय या मौका नहीं देखते हैं। चाय की इसी दीवानगी को देखते हुए ऐसा लगता है कि इसका इतिहास भारत से ही जुड़ा है, लेकिन ऐसा नहीं है। आइये आज चाय के इतिहास से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
चीन से जुड़ा है चाय का इतिहास
जानकारी के मुताबिक, चाय का इतिहास चीन से जुड़ा है। माना जाता है कि 2732 ईसापूर्व में चीन के शासक शेंग नुंग ने गलती से चाय की खोज की थी। दरअसल, एक बार उनके उबलते पानी में कुछ जंगली पत्तियां गिर गई थीं, जिसके बाद अचानक पानी का रंग बदल गया और उससे अच्छी खुशबू आने लगी। इसके बाद जब राजा ने इस पानी को पीया तो उन्हें उसका स्वाद भी अच्छा लगा और इससे उन्हें ताजगी का अहसास हुआ।
ऐसे भारत पहुंची चाय
भारत में चाय को लाने का श्रेय अंग्रेजों को जाता है। उन्होंने 1800 के दशक की शुरुआत में भारत में चाय की खेती शुरू की थी। ऐसा भी माना जाता है कि भारत में अन्य कामों के लिए चाय की पत्तियों का इस्तेमाल पहले से ही होता था, लेकिन एक पेय पदार्थ के तौर पर इनका इस्तेमाल शुरू करने का श्रेय अंग्रेजों को ही मिलता है।
भारत में चाय की खेती
ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1835 के आसपास भारत के असम में बड़े पैमाने पर चाय का उत्पादन शुरू किया था। इसके बाद 1881 में इंडियन टी एसोसिएशन की स्थापना की गई। इससे भारत सहित अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चाय के उत्पादन को फैलाया गया। इसके बाद अंग्रेज भारत में उगने वाली चाय को विदेशों में भेजकर मोटी कमाई करने लगे थे। आखिर में देखते ही देखते भारत में चाय एक तरह से संस्कृति का हिस्सा ही बन गई।
चाय से जुड़ी परंपराएं
आज के समय में जब भी कोई मेहमान किसी के घर आता है तो चाय के बिना उसका स्वागत अधूरा-सा लगता है। इस कारण लगभग हर घर में चाय को आमतौर पर बिस्कुट, रस्क जैसे स्नैक्स या समोसे और पकौड़े जैसे नमकीन स्नैक्स के साथ परोसा जाता है। कार्यस्थलों में भी चाय ब्रेक दैनिक दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। दरअसल, चाय पीने के बाद कर्मचारी को ऊर्जा मिलती है, जिससे वह वापस काम पर ध्यान दे पाते हैं।
चाय के प्रकार और उनके फायदे
भारत में अब कई तरह की चाय बनने लगी हैं। इनमें मसाला चाय, कश्मीरी चाय, नींबू चाय, गुलाब की चाय, तुलसी की चाय, अदरक की चाय आदि शामिल हैं। इन सभी को जड़ी-बूटियों के साथ बनाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। इसके अलावा कुछ जगहों पर चाय पारंपरिक मिट्टी के कप में परोसी जाती है, जिसे 'कुल्हड़' कहते हैं। ये कुल्हड़ चाय का स्वाद बढ़ा देते हैं और ये पर्यावरण के अनुकूल भी हैं।