राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुखोई फाइटर जेट से भरी उड़ान, असम के तेजपुर से किया टेक-ऑफ
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को सुखोई 30MKI फाइटर जेट से उड़ान भरी। असम के तेजपुर एयरफोर्स स्टेशन से फाइटर जेट ने टेक-ऑफ किया। ऐसा करने वाली वे चौथी राष्ट्रपति बन गई हैं। इससे पहले प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, रामनाथ कोविंद और एपीजे अब्दुल कलाम सुखोई फाइटर जेट में उड़ान भर चुके हैं। बता दें कि सुखोई 30MKI विमान भारतीय वायुसेना के सबसे सक्षम लड़ाकू विमानों में से एक है।
असम दौरे पर हैं राष्ट्रपति मुर्मू
राष्ट्रपति मुर्मू वर्तमान में तीन दिवसीय असम दौरे पर हैं। उन्होंने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में गज उत्सव-2023 का उद्घाटन किया था और गुवाहाटी में माउंट कंचनजंगा अभियान-2023 को भी रवाना किया। आज उन्हें तीनों सेनाओं की सुप्रीम कमांडर होने के नाते सेना की ताकत, हथियार और नीतियों से अवगत कराया गया। इसके बाद उन्होंने सुखोई में उड़ान भरी। इस मौके पर असम के गवर्नर गुलाब चंद कटारिया और मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा भी मौजूद थे।
उड़ान का रणनीतिक महत्व
राष्ट्रपति मुर्मू के इस कदम को दुश्मन देशों के लिए एक संदेश के तौर पर भी देखा जा रहा है। दरअसल, इस समय भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश में सीमा विवाद चल रहा है। तेजपुर एयरफोर्स बेस की लोकेशन से भारतीय वायुसेना चार देशों चीन, म्यांमार, बांग्लादेश और भूटान से देश की रक्षा करती है। तेजपुर में एयरफील्ड का निर्माण द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश रॉयल इंडियन एयरफोर्स द्वारा किया गया था।
प्रतिभा पाटिल के नाम हैं वर्ल्ड रिकॉर्ड
पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने 2009 में सुखोई में उड़ान भरी थी। तब उनकी उम्र 74 साल थी। उनका नाम सुखोई में उड़ान भरने वाली सबसे उम्रदराज महिला के तौर पर गिनीज बुक में दर्ज है। पाटिल से पहले तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने 8 जून 2006 को सुखोई से उड़ान भरी थी। वे ऐसा करने वाले देश के पहले राष्ट्रपति थे। 17 जनवरी 2018 को निर्मला सीतारमण ने भी सुखोई 30MKI में उड़ान भरी थी।
सुखोई 30 MKI की खासियत
18,400 किलोग्राम वजनी सुखोई 30 MKI में राफेल विमान की तरह डबल इंजन है। ये लगातार 3,000 किलोमीटर तक 2,120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। इसमें उड़ान के दौरान ही ईंधन भरा जा सकता है। ये 12 टन तक युद्धक सामग्री अपने साथ लेकर उड़ान भर सकता है। भारतीय वायुसेना 1997 से इनका इस्तेमाल कर रही है। भारत में रूस की सुखोई इन्हें हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ मिलकर बनाती है।