गणेश चतुर्थी: भारत के अलावा इन 5 देशों में भी पूजे जाते है गणपति बप्पा
7 सितंबर को देशभर में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा। यह भगवान गणेश के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला 10 दिवशीय पर्व है। गणेशोत्सव के दौरान लोग अपने घरों में गणपति बप्पा की मूर्तियां स्थापित करते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। हालांकि, काफी कम लोग जानते हैं कि भगवान गणेश न केवल भारत, बल्कि कई अन्य देशों में भी पूजे जाते हैं। इन 5 देशों में भी गणपति बप्पा की आराधना की जाती है।
अफगानिस्तान
अफगानिस्तान के मुस्लिम देश होने के बावजूद, यहां भी भगवान गणेश की पूजा की जाती थी। यहां के काबुल के पास गार्डेज में छठी या सातवीं शताब्दी में गणेश जी की एक मूर्ति की खोज की गई थी। इस मूर्ति को खिंगल नामक राजा ने बनवाया था और इसे गार्डेज गणेश कहा जाता है। इसे भारत-अफगान स्कूल का एक विशिष्ट उत्पाद माना जाता है। यहां के लोग गणपति बप्पा को बुद्धि और समृद्धि के देवता मानकर पूजते हैं।
थाईलैंड
थाईलैंड में गणेश भगवान को फ्रा-फिकानेत या फ्रा-फिकानेसुआन के रूप में पूजा जाता है। इस देश में गणेश जी के सबसे पुराने उल्लेखों में फांग-ना में मिली उनकी 10वीं शताब्दी की कांस्य तस्वीर शामिल है। भारत की तरह ही यहां भी बप्पा को बाधाओं को दूर करने और सफलता प्रदान करने वाले देवता माना जाता है। थाईलैंड के चाचोएंगसाओ सांस्कृतिक शहर को गणेश शहर के रूप में जाना जाता है। यहां भगवान गणेश की 3 बेहद ऊंची प्रतिमाएं मौजूद हैं।
तिब्बत
तिब्बती-बौद्ध धर्म में सबसे प्रतिष्ठित देवताओं में से एक गणेश जी को 11वीं शताब्दी ईस्वी में भारतीय बौद्ध धार्मिक नेताओं अतीसा दीपांकर सृजन और गयाधर द्वारा पहली बार पूजा गया था। माना जाता है कि तिब्बत में गणपति जी की भक्ति के संस्थापक अतीसा ने भगवान गणेश पर लिखे गए कई भारतीय ग्रंथों का अनुवाद किया था। तिब्बती पौराणिक कथाएं गणेश जी को लामावाद के जन्म से जोड़ती हैं, जो बौद्ध धर्म का एक रूप है।
इंडोनेशिया
इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर गणेश जी को एक तांत्रिक देवता के रूप में पूजा जाता था। यह 14वीं-15वीं शताब्दी ईस्वी में यहां विकसित तांत्रिक बौद्ध धर्म और शैव धर्म के मिश्रण के रूप का प्रतीक है। यहां गणेश भगवान को खोपड़ी पहने हुए और खोपड़ियों के सिंहासन पर बैठे हुए भी चित्रित किया जाता है। पूर्वी जावा के टेंगर सेमेरू नेशनल पार्क स्थित माउंट ब्रोमो में ज्वालामुखी पर गणेश जी की 700 साल पुरानी मूर्ति विराजमान है।
जापान
माना जाता है कि भारत से चीन और दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा करते हुए गणेश जी 8वीं शताब्दी में जापान पहुंचे थे। यहां उन्हें कांगिटेन के रूप में जाना जाता है। कांगिटेन को सौभाग्य का एक शक्तिशाली देवता माना जाता है और व्यापारियों, अभिनेताओं और गीशाओं द्वारा इनकी पूजा की जाती है। कांगिटेन का सबसे लोकप्रिय चित्र वह है, जो 2 नर और मादा गणेशों को दर्शाता है। यह दोनों आपस में गले मिलते हुए दिखाई देते हैं।