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वाराणसी में रेल पटरियों के बीच क्यों बिछाए गए सोलर पैनल? जानिए कारण
वाराणसी में पटरियों के बीच बिछाया गया सोलर पैनल (तस्वीर: एक्स/@RailMinIndia)

वाराणसी में रेल पटरियों के बीच क्यों बिछाए गए सोलर पैनल? जानिए कारण

लेखन गजेंद्र
Aug 18, 2025
05:41 pm

क्या है खबर?

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रेल पटरियों के बीच में सोलर पैनल बिछाने का काम किया गया है, जिससे अब बिजली का उत्पादन बिना किसी अतिरिक्त खर्च के हो सकेगा। बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) ने इसकी पहल की है। पायलट प्रॉजेक्ट के तौर पर अभी रेल इंजन कारखाने की लाइन संख्या 19 पर 15 किलोवॉट क्षमता का सोलर पैनल लगाया गया है। करीब 70 मीटर लंबे रेलवे पटरी पर 28 सोलर पैनल लगाए गए हैं।

लाभ

क्या है सोलर पैनल बिछाने का लाभ?

बरेका के महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने बताया कि इस परियोजना से प्रति वर्ष प्रति किलोमीटर 3.21 लाख यूनिट (अनुमानत: प्रतिदिन 67 यूनिट बिजली) सोलर ऊर्जा पैदा होने का अनुमान है। यह हरित ऊर्जा को बढ़ावा देगा और भारतीय रेलवे को नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर ले जाएगा। इससे उत्पन्न बिजली रेलवे स्टेशनों, सिग्नल सिस्टम और अन्य परिचालनों के लिए उपयोग होगी। रेलवे का बिजली खर्च कम होगा। इसको लगाने की लागत भी कम है।

खर्च

कितनी सफल है ये परियोजना?

पटरियों के बीच की जगह का उपयोग करने से बिजली उत्पादन के लिए अतिरिक्त भूमि अधिग्रहण की जरूरत नहीं है और इससे ट्रेनों पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। पैनलों को जरूरत पड़ने पर 4SS एलन बोल्ट के जरिए आसानी से हटाया और दोबारा लगाया जा सकेगा, जिससे रखरखाव और साफ-सफाई में आसानी होगी। सोलर पैनलों को रबर माउंटिंग पैड और एपॉक्सी एडहेसिव से कंक्रीट स्लीपर पर चिपकाया गया है। इससे पैनल ट्रेनों के कंपन झेल सकेगा।

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