
क्यों मायने रखता है राष्ट्रपति का अभिभाषण, जिससे होगी बजट सत्र की शुरुआत?
क्या है खबर?
शुक्रवार से संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो रही है। राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ इसकी शुरुआत होगी।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संसद के दोनों सदनों को संबोधित करेंगे। इसी सत्र में आम बजट पेश होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को यह बजट करेंगी।
इस मौके पर आइये जानते हैं कि राष्ट्रपति का अभिभाषण क्यों मायने रखता है। साथ ही जानेंगे कि इसे लेकर नियम क्या कहते हैं और क्या दूसरे देशों में भी ऐसी व्यवस्था है।
नियम
संविधान में दिया गया है राष्ट्रपति को अभिभाषण का अधिकार
राष्ट्रपति या राज्यपाल को संसद या विधानसभा के सदनों को संबोधित करने का अधिकार संविधान से मिलता है।
हर आम चुनाव के बाद और हर साल सदन के सत्र की शुरुआत के मौके पर राज्यपाल और राष्ट्रपति अभिभाषण देते हैं।
राष्ट्रपति का अभिभाषण संवैधानिक जरूरत है। बिना अभिभाषण के सत्र की शुरुआत नहीं हो सकती।
जब संविधान लागू हुआ तो राष्ट्रपति को हर सत्र को संबोधित करना होता था, लेकिन बाद में इसमें बदलाव किए गए।
जानकारी
अभिभाषण में सरकार की नीतियों की मिलती है झलक
संवैधानिक जरूरत होने के साथ-साथ राष्ट्रपति के भाषण पर सबकी नजरें भी टिकी रहती हैं। इसमें सरकार की नीतियों के एजेंडे और किसी मुद्दे पर सरकार के विचारों की झलक मिलती है।
अभिभाषण
राष्ट्रपति के अभिभाषण में क्या बातें होती हैं?
भारत में राष्ट्रपति का अभिभाषण ब्रिटिश व्यवस्था से लिया गया है, जहां इसमे उन नीतियों का जिक्र किया जाता है, जिन्हें सरकार शुरू करने की योजना बना रही होती है।
साथ ही इसमें सरकार की उपलब्धियों पर भी नजर डाली जाती है जो हासिल कर ली गई हैं।
सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों से जानकारी लेकर राष्ट्रपति का अभिभाषण तैयार किया जाता है। यह सरकार द्वारा तैयार उसका नजरिया सदन के सामने रखने की एक प्रक्रिया होती है।
सवाल
क्या असहमत होने पर राष्ट्रपति इसे पढ़ने से इनकार कर सकते हैं?
राष्ट्रपति अभिभाषण देने के संवैधानिक कर्तव्य से मना नहीं कर सकते।
हां ऐसा हो सकता है कि वो सरकार द्वारा तैयार किए गए लिखित भाषण से अलग कुछ बात कह दें।
हालांकि, अभी तक ऐसा नहीं हुआ है कि राष्ट्रपति ने अभिभाषण में सरकार से अलग कुछ बातें कही हों, लेकिन राज्यपाल के मामले में ऐसा हो चुका है जब राज्यपाल ने विधानसभा को संबोधित करते हुए भाषण के एक हिस्से को बिना पढ़े छोड़ दिया हो।
जानकारी
अभिभाषण के बाद की प्रक्रिया क्या होती है?
राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद इस पर एक बहस होती है और देश में शासन पर चर्चा की जाती है। बजट सत्र में इस अभिभाषण के बाद बजट पर चर्चा शुरू हो जाती है।
जानकारी
क्या दूसरे देशों में ऐसी कोई व्यवस्था है?
भारत की तरह अमेरिका और इंग्लैंड में भी ऐसी व्यवस्था है। अमेरिकी संविधान में लिखा गया है कि राष्ट्रपति समय-समय पर सदन को ऐसी सूचनाएं देते रहेंगे और उन नियमों को लागू करने को कहेंगे जो उन्हें लगता है कि जरूरी है।
वहीं इंग्लैंड में इसे 'क्वीन्स स्पीच' के नाम से जाना जाता है। महारानी के भाषण के साथ इंग्लैंड में हर साल के संसदीय सत्र की औपचारिक शुरुआत होती है।
हालांकि, इन दोनों में कुछ अंतर भी है।
अंतर
इन दोनों में क्या अंतर है?
इंग्लैंड और अमेरिका की व्यवस्था में बड़ा अंतर यह है कि अमेरिका में राष्ट्रपति को सदन में जाकर भाषण पढ़ने की अनिवार्यता नहीं है।
वो अपना लिखा भाषण सदन में भेज सकते हैं। वहीं इंग्लैंड में महारानी सरकार का लिखा भाषण पढ़ती हैं। उन्हें हॉउस ऑफ लॉर्ड्स में जाकर यह भाषण पढ़ना होता है।
भारत में राष्ट्रपति के अभिभाषण की परंपरा इंग्लैंड से ली गई है। भारतीय संविधान में राष्ट्रपति को देश का प्रमुख बताया गया है।