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    सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई नागरिकता कानून पर रोक की मांग, केंद्र को भेजा नोटिस

    सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई नागरिकता कानून पर रोक की मांग, केंद्र को भेजा नोटिस

    लेखन प्रमोद कुमार
    Dec 18, 2019
    01:29 pm

    क्या है खबर?

    सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।

    सुप्रीम कोर्ट ने कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी।

    मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने सुनवाई की थी।

    बता दें कि इस कानून के खिलाफ अलग-अलग राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक पार्टियों की तरफ से 60 याचिकाएं दायर की गई थीं।

    जानकारी

    कानून पर नहीं लगाई गई रोक

    याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि देश के अधिकतर हिस्सों में कानून का विरोध हो रहा है इसलिए इस पर रोक लगनी चाहिए। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कानून पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सभी मामलों में केंद्र से जवाब मांगा है।

    दलील

    क्या है याचिकाकर्ताओं की दलील?

    याचिकाकर्ताओं का कहना है कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने का प्रावधान देश के संविधान के खिलाफ है। आजादी के बाद से धार्मिक बहुलतावाद और धर्म निरपेक्षता देश का आधार रहे हैं।

    याचिकाओं में कहा गया कि नागरिकता संसोधन कानून संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है। यह सम्मान से जीने के अधिकार के खिलाफ है।

    याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट से इस कानून को असंवैधानिक करार देने की मांग की गई थी।

    कानून

    नागरिकता संशोधन कानून क्या है?

    नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अत्याचार का सामना कर रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को आसानी से भारत की नागरिकता देने का रास्ता साफ हुआ है।

    ऐसे लोगों को केवल छह साल भारत में रहने के बाद नागरिकता मिल सकेगी।

    इसका विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि यह धार्मिक आधार पर नागरिकता देता है जो संविधान के खिलाफ है।

    याचिकाकर्ता

    भाजपा की सहयोगी पार्टी भी कानून के खिलाफ

    तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस नेता जयराम रमेश, साामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर, अरुणा रॉय, निखिल डे, इतिहासकार इरफान हबीब, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक समेत असम गण परिषद और कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि माईयम, इंडियन यूनाइटेड मुस्लिम लीग आदि ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है

    गौरतलब है कि असम गण परिषद (AGP) भाजपा की सहयोगी पार्टी है और असम में भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार चला रही है।

    विरोध

    कानून का हो रहा विरोध

    नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं। अलग-अलग यूनिवर्सिटीज के छात्र बढ़-चढ़कर प्रदर्शनों में हिस्सा ले रहे हैं।

    असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में आम लोगों के साथ-साथ राजनीतिक दल भी कानून का विरोध कर रहे हैं।

    असम में पुलिस ने प्रदर्शनों को काबू करने के लिए गोलियां चलाई, जिसमें कई लोगों की मौत होने की खबरें हैं।

    कई राज्यों ने इस कानून को अपने यहां लागू करने से इनकार किया है।

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