सेक्स और टैटू पर भी टैक्स, जानें दुनिया के अजीबो-गरीब टैक्सों के बारे में
टैक्स आज की सरकारें ही नहीं बल्कि पुराने ज़माने के राजा भी लिया करते थे। इंग्लैंड के हेनरी VIII, उनकी बेटी एलिज़ाबेथ 1 और रूस के पीटर द ग्रेट ने दाढ़ी पर टैक्स लगाया था। वहीं पीटर द ग्रेट ने तो आत्मा पर भी टैक्स वसूलने की व्यवस्था कर ली थी। आज हम आपको दुनिया में लिए गए या लिए जा रहे ऐसे टैक्स के बारे में बताएँगे, जिनके बारे में जानकर आपके होश उड़ जाएँगे।
मिश्र में लगता था लेबर टैक्स
मिश्र में टैक्स का मतलब लेबर यानी मेहनत था। कई लाख लोगों का कहना था कि उन्होंने पिरामिड के लिए मेहनत की है। उस समय यह भी अफ़वाह उड़ी थी कि फैराओह ने पिरामिड बनाने के काम की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अपनी बेटी को वेश्यावृत्ति के काम में लगाया था। उसकी बेटी अपनी फ़ीस के तौर पर पिरामिड के लिए अपने हर ग्राहक से पत्थर का एक ब्लॉक अधिक लेती थी।
इतिहास में वसूला जा चुका है ब्रेस्ट टैक्स
दक्षिण भारत में महिलाओं पर ब्रेस्ट टैक्स लगाया जाता था। 19वीं सदी के शासकों ने वहां यह नियम बनाया था कि छोटी जाति की महिलाओं को अपने तन का ऊपरी हिस्सा खुला रखना होगा। अगर कोई महिला तन ढकती है तो उसे टैक्स देना होगा। एक बार एक महिला ने इससे परेशान होकर अपना ब्रेस्ट काटकर टैक्स वसूलने वाले के हाथ में रख दिया था। महिला की मौत हो गई, मगर घटना के बाद यह टैक्स हटा दिया गया।
अमेरिका के अरकांसस प्रांत में लगता है टैटू टैक्स
अमेरिका के अरकांसस प्रांत में टैटू बनवाने, बालियां आदि पहनने के लिए छेद करवाने या किसी भी तरह के इलेक्ट्रोलेसिस ट्रीटमेंट के लिए 6 प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स देना होता है।
जर्मनी में लगता है सेक्स पर टैक्स
जर्मनी में वेश्यावृत्ति क़ानूनी रूप से वैध है, इसके बाद भी यहाँ सेक्स टैक्स वसूला जाता है। यह टैक्स क़ानून 2004 में आया था, इसके तहत शहर की हर सेक्स वर्कर को महीने में 150 यूरो (लगभग Rs. 12,000) देने पड़ते हैं। वहीं कभी-कभी वेश्यावृत्ति करने वाली सेक्स वर्कर को दिन के हिसाब से हर रोज़ 6 यूरो (लगभग Rs. 500) चुकाने पड़ते हैं। इस टैक्स से हर साल 10 लाख यूरो (लगभग Rs. 8 करोड़) की आमदनी होती है।
भीड़ वाली जगहों पर निजी वाहन ले जाने पर टैक्स
आपकी जानकारी की लिए बता दें कि यह अजीबो-गरीब टैक्स कहीं और नहीं बल्कि भारत की राजधानी दिल्ली में 1 अप्रैल, 2012 से लागू होने वाला था। इसके अंतर्गत भीड़ वाली जगहों पर पीक आवर्स (अति व्यस्त समय) में निजी वाहन ले जाने पर शुल्क चुकाना पड़ता। इस पर सबकी राय नहीं बन पाई, जिस वजह से यह अटका हुआ है। हालाँकि लंदन और मिलान में कंजेशन टैक्स पहले ही लगाया जा चुका है।