#NewsBytesExplainer: जम्मू में क्यों बढ़ रही हैं आतंकी वारदातें?
जम्मू में इस साल एक पखवाड़े के अंदर 20 अप्रैल और 5 मई को 2 बड़े आतंकवादी हमले हुए थे, जिसमें भारतीय सेना के कुल 10 जवान शहीद हो गए थे। जम्मू को कश्मीर की तुलना में हमेशा से अधिक शांतिपूर्ण क्षेत्र रूप में देखा जाता रहा है, लेकिन अब यह अचानक से आतंकवादी घटनाओं के एक नए केंद्र के रूप में उभर रहा है। आइए जानते हैं कि इसके पीछे वजह क्या है।
जम्मू में कब शुरू हुईं आतंकी घटनाएं?
विशेषज्ञों का मानना है कि आतंकवादियों का ध्यान कश्मीर घाटी से हटकर जम्मू पर पहली बार फरवरी, 2021 में आया था। तब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ लगने वाले सांबा जिले के रामगढ़ सेक्टर में 15 स्टिकी बम यानी चुंबकीय इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) जब्त किए थे। इसके बाद जून में जम्मू वायुसेना स्टेशन में ड्रोन के जरिए 2 IED गिराए गए थे, जो भारत में अपनी तरह का पहला हमला था।
जम्मू के 3 जिलों में हुए अधिक प्रभाव वाले हमले
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 2021 से अब तक के आंकड़ों से पता चलता है कि जम्मू क्षेत्र के 3 जिलों, पुंछ, राजौरी और जम्मू, में कश्मीर घाटी की तुलना में कम आतंकी हमले देखे गए हैं, लेकिन इनमें नुकसान अपेक्षाकृत अधिक रहा है। 2021 से 30 मई, 2023 तक कश्मीर में हुए आतंकी हमलों में 60 से अधिक लोगों की मौत हुई, जबकि जम्मू क्षेत्र में इसी अवधि के दौरान कम हमलों में 15 नागरिक मारे गए।
किस क्षेत्र में हुईं कितनी आतंकवादी घटनाएं?
आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में हुए 251 आतंकवादी हमलों में से 236 कश्मीर में हुए, जबकि 15 घटनाएं जम्मू क्षेत्र में देखी गईं। जम्मू के तीनों जिलों में 2021 में 2 घटनाएं, 2022 में 10 घटनाएं और 30 मई, 2023 तक 3 घटनाएं देखी जा चुकी हैं, जबकि कश्मीर घाटी में इसी अवधि में क्रमशः 129, 100 और 7 आतंकी घटनाएं देखने को मिलीं। जम्मू में आतंकवादी घटनाओं की संख्या कम होने के बावजूद इनमें काफी नुकसान हुआ है।
जम्मू में बढ़ती आतंकवादी घटनाओं के क्या कारण हैं?
आतंकवादी पहले वायरलेस सेट, सैटेलाइट और मोबाइल फोन के जरिए बातचीत करते थे, जिन्हें ट्रैक किया जा सकता था। हालांकि, अब वे नियंत्रण रेखा (LoC) के पार अपने आकाओं के साथ बात करने के लिए ऑफलाइन ऐप का उपयोग करते हैं, जिससे उन्हें ट्रैक करना कठिन है। सुरक्षाबलों के पास मुखबिरों की कमी होने के कारण भी आतंकवादियों के बारे में सूचना नहीं मिलती और इसके कारण उन्हें पकड़ने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
जम्मू में आतंकी घटनाएं बढ़ने के और क्या कारण?
कश्मीर में जारी पुलिस और सेना की कार्रवाई के कारण सक्रिय आतंकवादी दबाव में आ गए हैं और लगातार नए ठिकानों की तलाश कर रहे हैं। इसके अलावा 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ गतिरोध के बीच राष्ट्रीय राइफल्स की कई कंपनियों को जम्मू से लद्दाख भेजा गया था। जम्मू में सुरक्षाबलों की संख्या में आई इस कमी के कारण भी आतंकवादियों का हौसला बढ़ा है।
सुरक्षाबलों का क्या कहना है?
हालिया हमलों और आतंकवादियों द्वारा नए सिरे से जोर दिए जाने के बावजूद पुलिस और सुरक्षाबलों का कहना है कि वे आतंकवादियों को सफलतापूर्वक पीछे हटाने में सफल रहे हैं। सुरक्षाबलों का कहना है कि आतंकवादी जम्मू के राजौरी और पुंछ जिलों के कुछ इलाकों में हुई मुठभेड़ों को छोड़कर किसी अन्य क्षेत्र में कोई अधिक प्रभाव नहीं छोड़ पाए हैं। ड्रोन के जरिए हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के कई प्रयासों को भी नाकाम कर दिया गया।