ओडिशा से पहले देश में इन रेल हादसों में हुई थी सैकड़ों लोगों की मौतें
ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम को हुए ट्रेन हादसे में 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग घायल हैं। मौतों की संख्या के लिहाज से बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी से जुड़ा यह हादसा भारत के सबसे भीषण ट्रेन हादसों में से एक बन गया है। आइए भारत में पहले हुए अन्य बड़े ट्रेन हादसों के बारे में जानते हैं।
कैसे हुआ बालासोर ट्रेन हादसा?
हावड़ा से आ रही कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानगा बाजार स्टेशन से करीब 300 मीटर पहले पटरी से उतर गई थी। इसका इंजन दूसरे ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी पर चढ़ गया और पीछे की कुछ बोगियां तीसरे ट्रैक पर चली गईं। वहीं इसी ट्रैक पर हावड़ा-बेंगलुरू एक्सप्रेस आ रही थी, जो तेज रफ्तार में ट्रैक पर पड़ी बोगियों से जा टकराई। भारतीय रेलवे ने हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।
बिहार ट्रेन हादसा
6 जून, 1981 को बिहार के सहरसा जिले के पास एक ट्रेन पुल को पार करते समय पटरी से उतरने के बाद बागमती नदी में गिर गई थी। कई दिनों तक चले बचाव अभियान में 200 से अधिक लोगों के शव बरामद किए गए थे। वहीं सैंकड़ों लोग लापता हो गए थे, जिनके नदी में बह जाने की आशंका थी। आकंड़ों के मुताबिक, इस भीषण ट्रेन हादसे में 500 से 800 लोगों के मौत होने का अनुमान जताया गया था।
फिरोजाबाद ट्रेन हादसा
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में 20 अगस्त, 1995 की देर रात को दो यात्री ट्रेनें आपस में टकरा गई थीं, जिसमें 358 लोगों की मौत हो गई थी। कानपुर से दिल्ली जा रही कालिंदी एक्सप्रेस ने एक नीलगाय को टक्कर मार दी थी, जिसके बाद उसके ब्रेक सिस्टम क्षतिग्रस्त हो गए थे और वह रास्ते में खड़ी थी। इसके बाद पुरी से आ रही पुरुषोत्तम एक्सप्रेस ने ट्रेन को पीछे से टक्कर मार दी थी और हादसा हो गया।
गैसल ट्रेन हादसा
गैसल ट्रेन हादसा 2 अगस्त, 1999 को हुआ था, जब पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले में गैसल स्टेशन के पास करीब 2,500 लोगों को लेकर जा रहीं दो ट्रेनें आपस में टकरा गई थीं। एक सिग्नलिंग त्रुटि के कारण दोनों ट्रेनें उस दिन एक ही ट्रैक पर चल रही थीं। दोनों ट्रेनों की संयुक्त गति इतनी अधिक थी कि दोनों ट्रेनों के कई बोगियों के परखच्चे उड़ गए थे, जिससे करीब 290 लोग मारे गए थे।
खन्ना ट्रेन हादसा
26 नवंबर, 1998 को पंजाब में उत्तर रेलवे के खन्ना-लुधियाना रेल सेक्शन पर खन्ना रेलवे स्टेशन के पास सुबह 03:15 बजे कोलकाता जाने वाली जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस कुछ समय पहले बेपटरी हुई एक ट्रेन से टकरा गई थी। इस हादसे में 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सैंकड़ों लोग घायल हो गए थे। यह हादसा टूटी हुई पटरी के कारण हुआ था, जिसके कारण अमृतसर जा रही फ्रंटियर एक्सप्रेस के 6 डिब्बे पटरी से उतरे थे।
रफीगंज ट्रेन हादसा
बिहार के रफीगंज में 10 सितंबर, 2002 को धावे नदी पर पुल पर ट्रेन के पटरी से उतर गई थी। ट्रेन हावड़ा से दिल्ली जा रही थी और इसके 15 डिब्बे पटरी से उतर गए थे, जिनमें से दो नीचे नदी में गिर गए थे। इस हादसे में 130 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग लापता हो गए थे। हादसे की जांच में पता चला था कि नक्सली संगठनों ने पटरी के साथ छेड़छाड़ की थी।
पुखरायां ट्रेन हादसा
20 नवंबर, 2016 को इंदौर-पटना एक्सप्रेस उत्तर प्रदेश के कानपुर के पुखरायां के पास पटरी से उतर गई थी, जिसके बाद करीब 150 लोगों की मौत हो गई और 150 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस हादसे के पीछे आतंकी साजिश की बात कही गई थी और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इसकी जांच की थी। हालांकि, NIA ने 2018 ने मामले में साजिश की बात से इनकार करते हुए चार्जशीट दायर करने से मना कर दिया था।