#NewsBytesExplainer: ओडिशा ट्रेन हादसे के बीच जिस कवच सिस्टम की बात हो रही, वह क्या है?
क्या है खबर?
ओडिशा में ट्रेन हादसे में 261 लोगों की मौत और करीब 1,000 लोग घायल हो गए हैं। इस हादसे के बाद रेलवे का सुरक्षा सिस्टम 'कवच' चर्चा में है। विपक्ष ने रेलवे के इस सिस्टम पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
इस बीच रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का कवच प्रणाली को समझाते हुए एक वीडियो भी वायरल हो रहा है।
समझते हैं क्या कवच सिस्टम से ये दर्दनाक हादसा टाला जा सकता था।
कवच
क्या है 'कवच'?
कवच भारतीय रेलवे का स्वचालित सुरक्षा प्रणाली सिस्टम है, जिसे रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (RDSO) के साथ मिलकर बनाया गया है।
साल 2012 में इस प्रणाली पर काम शुरू किया गया था। पहले इसे ट्रेन कोलिजन अवाइडेंस सिस्टम (TCAS) कहा जाता था। साल 2016 में इसका पहला परीक्षण किया गया था।
पिछले साल रेल मंत्री ने इसका लाइव डेमो भी किया था। बता दें कि यह पूरी तरह से स्वदेशी प्रणाली है।
काम
कैसे काम करता है कवच?
दरअसल कवच कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का सिस्टम है। इन उपकरणों को ट्रेन के साथ पटरियों पर भी लगाया जाता है।
ये अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए एक-दूसरे से जुड़ते हैं और ड्राइवरों को सतर्क करते हैं। ये ट्रेन की गति नियंत्रित करने और यहां तक कि आपात स्थिति में बिना किसी मानवीय मदद के ट्रेन के ब्रेक लगाने में भी सक्षम है।
कोहरे और ओवर स्पीडिंग में भी ये लोको पायलट के लिए मददगार साबित होता है।
उपकरण
कवच के लिए इंजन और पटरी में लगते हैं उपकरण
कवच SIL4 (सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल-4) नामक उच्चतम स्तर की सुरक्षा और विश्वसनीय मानक का पालन करता है। यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) उपकरणों का एक सेट है, जो लोकोमोटिव और सिग्नल सिस्टम के साथ-साथ पटरियों में भी लगाया जाता है।
लूप लाइन को पार करते समय कवच ऑटोमैटिक रूप से इंजन की स्पीड को घटा देता है। रेड सिग्नल होने पर कवच इंजन को आगे नहीं बढ़ने देता है।
खासियत
क्या है कवच की खासियत?
अगर लोको पायलट किसी वजह से ब्रेक नहीं लगा पाता है तो कवच ऑटोमेटिक ब्रेक लगाकर गति नियंत्रित करता है। कवच 2 ट्रेनों के बीच टक्कर रोकने में भी सक्षम है।
अगर गलती से एक ही ट्रैक पर 2 ट्रेन आमने-सामने आ जाए तो ये टक्कर होने से पहले ट्रेनों को रोक सकता है। डेमो के दौरान कवच ने ऐसा करके भी दिखाया था।
अगर ट्रेन सिग्नल तोड़कर आगे बढ़ती है तो ये अलर्ट भेजकर गति नियंत्रित करता है।
खहां
कहां-कहां लगा है कवच सिस्टम?
बता दें कि रेलवे चरणबद्ध तरीके से इस सिस्टम को लगा रहा है। ओडिशा में जिस रूट पर ये हादसा हुआ, वहां ये सिस्टम लगा हुआ नहीं था।
कवच सिस्टम को अब तक दक्षिण मध्य रेलवे के 1445 किलोमीटर रूट के साथ साथ 77 ट्रेनों में लगाया गया है।
इसके अलावा दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर पर भी इसे इंस्टॉल करने का काम तेजी से चल रहा है। जल्द ही इसे बाकी रूट पर भी लगाया जाएगा।
हाददसा
कैसे हुआ हादसा?
यह हादसा बालासोर स्टेशन के पास बहानगा बाजार स्टेशन से करीब 300 मीटर दूर शाम करीब 6.55 बजे हुआ।
यहां आउटर लाइन पर एक मालगाड़ी पहले से खड़ी थी। तभी हावड़ा से आ रही ट्रेन संख्या 12841 कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानगा बाजार स्टेशन से करीब 300 मीटर पहले पटरी से उतर गई।
इसका इंजन दूसरे ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी पर चढ़ गया और कुछ बोगियां खाली पड़े तीसरे ट्रैक पर चली गईं।