#NewsBytesExplainer: हर आपदा में सेवा के लिए तैयार NDRF कैसे बना? क्या काम करता है?
ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम हुए ट्रेन हादसे में अब तक 261 लोगों की मौत हो गई है और 900 से भी ज्यादा लोग घायल हुए हैं। फिलहाल घायलों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की कई टीमों को घटनास्थल पर भेजा गया। देश में हर तरह की आपदा के बाद सबसे पहले NDRF को याद किया जाता है। आज NDRF के बारे में जानते हैं।
क्यों बनाया गया NDRF?
दरअसल, 90 के दशक और उसके बाद भारत ने कई प्राकृतिक आपदाओ का सामना किया। 1999 में ओडिशा में सुपर साइक्लोन ने तबाही मचाई, 2001 में गुजरात में भूकंप आया और 2004 में हिंद महासागर में सुनामी की वजह से सैकड़ों लोगों की मौत हुई। इसके बाद आपदा का स्थिति में एक त्वरित कार्रवाई के लिए एक आपदा प्रबंधन बल की जरूरत महसूस हुई। यहीं से NDRF के गठन की नींव पड़ी।
कब हुई NDRF की स्थापना?
26 दिसंबर, 2005 को आपदा प्रबंधन अधिनियम लाया गया। आपदा प्रबंधन के लिए नीतियों, योजनाओं और दिशानिर्देशों को निर्धारित करने के लिए साल 2006 में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) का गठन हुआ। इसी साल 6 बटालियन के साथ NDRF का गठन हुआ। NDRF का आदर्श वाक्य 'आपदा सेवा सदैव सर्वत्र', जिसका अर्थ है सभी परिस्थितियों में सभी जगह सेवा करना। यह बल भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है।
NDRF की कितनी बटालियन है?
वर्तमान में NDRF की 12 ऑपरेशनल बटालियन है। हर बटालियन में 1,149 जवान हैं, जो हर तरह की प्राकृतिक आपदा की स्थिति में राहत और बचाव कार्य करने में निपुण होते हैं। प्रत्येक बटालियन में इंजीनियर, तकनीशियन, इलेक्ट्रीशियन, डॉग स्क्वॉड और मेडिकल टीम सहित प्रत्येक 45 स्पेशल कर्मी होते हैं। NDRF के ये जवान प्राकृतिक आपदा के साथ ही परमाणु, रासायनिक, जैविक और रेडियोलॉजिकल आपदा में भी मोर्चा संभाल सकते हैं।
कहां-कहां हैं NDRF की बटालियन?
किसी भी आपदा की स्थिति में फौरन कार्रवाई के लिए NDRF की 12 बटालियन को देश में 16 अलग-अलग जगहों पर रखा जाता है। इन 16 जगहों का चयन अलग-अलग विश्लेषणों के बाद किया गया है। गुवाहाटी (असम), कोलकाता (पश्चिम बंगाल), मुंडली (ओडिशा), सांभा (जम्मू-कश्मीर), नजफगढ़ (दिल्ली), मंडी (हिमाचल प्रदेश), हल्द्वानी (उत्तराखंड), अराकोनम (तमिलनाडु), पुणे (महाराष्ट्र), वडोदरा (गुजरात), गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश), भटिंडा (पंजाब), पटना (बिहार), विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश), वाराणसी (उत्तर प्रदेश) और इटानगर (अरुणाचल प्रदेश) में NDRF बटालियन स्थित हैं।
अब तक कितने ऑपरेशन में रही है NDRF की भूमिका?
गठन के बाद से ही NDRF ने बाढ़, भूस्खलन, तूफान जैसी कई प्राकृतिक आपदाओं में अपने कौशल का लोहा मनवाया है। अब तक NDRF ने देश और विदेश में 100 से ज्यादा अभियान चलाए हैं। इनमें आपदाओं में घिरे करीब 1.30 लाख लोगों की जान बचाई गई है। प्राकृतिक आपदा के दौरान करीब 5.52 लाख लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। करीब 3,000 शवों को भी मलबे और पानी से निकाला है।
ये हैं NDRF के खास मिशन
साल 2013 में केदारनाथ में भारी बारिश और बाढ़ से करीब 4,400 लोग मारे गए थे। NDRF ने इस त्रासदी में बड़ा राहत अभियान चलाते हुए सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था। सितंबर, 2014 में जम्मू और कश्मीर के 450 गांव बाढ़ के पानी में डूब गए थे। इसके बाद NDRF ने राहत अभियान चलाते हुए डेढ़ लाख से भी ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था।
NDRF में आम नागरिक भर्ती हो सकता है?
नहीं। NDRF में आम नागरिक की सीधे भर्ती नहीं हो सकते। NDRF में केंद्रीय सुरक्षा बलों से प्रतिनियुक्ति के आधार पर कर्मियों की भर्ती की जाती है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), सीमा सुरक्षा बल (BSF), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) और सशस्त्र सीमा बल (SSB) से कर्मियों को NDRF में लाया जाता है। NDRF के महानिदेशक पद पर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी की नियुक्ति की जाती है।
विदेशों में भी होती है NDRF की तैनाती?
NDRF जापान, नेपाल और तुर्की जैसे देशों में भी रेस्क्यू ऑपरेशन अंजाम दे चुका है। साल 2011 में जापान में आए भूकंप में NDRF की 46 सदस्यीय टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन में खास भूमिका निभाई थी। साल 2015 में नेपाल में भूकंप से भारी तबाही मची थी। तब भारत सरकार ने ऑपरेशन मैत्री के तहत NDRF की टीमें भेजी थीं। हाल ही में तुर्की में आए भूकंप में रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए भारत ने 152 सदस्यीय NDRF टीम भेजी थी।