बालासोर हादसा: कोरोमंडल एक्सप्रेस के लोको पायलट से नहीं मिल पा रहा परिवार, कोई जानकारी नहीं
ओडिशा के बालासोर में 2 जून को हुए भीषण ट्रेन हादसे के कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन कोरोमंडल एक्सप्रेस के लोको पायलट से उनका परिवार अभी तक नहीं मिल पाया है। कटक के रहने वाले लोको पायलट गुणानिधि मोहंती के परिवार ने कहा कि उन्हें मिलने नहीं दिया जा रहा है और न ही कोई जानकारी दी गई है। मोहंती हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था।
मेरे बेटे से नहीं हुई कोई गलती- लोको पायलट के पिता
लोको पायलट मोहंती के 80 वर्षीय पिता बिष्णु चरण मोहंती ने कहा, "गांव में हर कोई सोचता है कि हादसे के लिए मेरा बेटा जिम्मेदार है। वह पिछले 27 वर्षों से ट्रेन चला रहा है और उसने आज तक कभी कोई गलती नहीं की थी।" उन्होंने कहा, "मुझे कैसे पता चलेगा कि हादसे वाली शाम को क्या हुआ था? मैंने अपने बेटे से बात भी नहीं की है। मैं केवल उसके घर आने का इंतजार कर रहा हूं।"
अस्पताल में भर्ती लोको पायलट से नहीं मिल सका उनका भाई
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, ट्रेन हादसे में गंभीर मोहंती की 3 पसलियां टूट गई थीं और सिर में भी चोट लग गई थी, जिसके बाद उन्हें भुवनेश्वर के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। मोहंती के छोटे भाई रंजीत हादसे के 2 दिन बाद अस्पताल गए थे, लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, "हमें किसी ने मेरे भाई के बारे में कुछ नहीं बताया। मुझे लगता है कि वह अभी भी अस्पताल में हैं।"
अधिकारियों ने क्या कहा?
दक्षिण तटीय रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी (PRO) विकास कुमार ने मोहंती की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, "स्वास्थ्य एक निजी मुद्दा है और हम उस पर टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। भारतीय रेलवे के सुरक्षा आयुक्त (CRS) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) हादसे की जांच कर रहे हैं।" दूसरी तरफ अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लोको पायलट को 4-5 दिन पहले छुट्टी दे दी गई थी।
रेलवे बोर्ड की सदस्य ने की थी लोको पायलट से बात
हादसे के एक दिन बाद रेलवे बोर्ड की सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि उन्होंने कोरोमंडल एक्सप्रेस के लोको पायलट के साथ बातचीत की है। उन्होंने कहा था, "लोको पायलट ने मुझे बताया था कि उसे ग्रीन सिग्नल दिखा था। इस रूट पर अधिकतम गति 130 किलोमीटर प्रति घंटा है और वह अपनी ट्रेन 128 किमी प्रति घंटे की गति से चला रहा थे, जिसकी पुष्टि हमने लोको लॉग से की है।"
ट्रेन हादसे में हुई थी 280 से अधिक लोगों की मौत
2 मई की शाम हावड़ा से आ रही कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानगा बाजार स्टेशन के पास मुख्य लाइन की जगह लूप लाइन में चली गई थी। इसका इंजन लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी पर चढ़ गया था और पीछे की कुछ बोगियां विपरीत दिशा के ट्रैक पर चली गईं। इस ट्रैक पर हावड़ा-बेंगलुरू एक्सप्रेस आ रही थी, जिसके पिछले डिब्बे कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों से टकरा गए थे। इस हादसे में 280 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।