#NewsBytesExplainer: पुतिन ने कौन-सी परंपरा तोड़ते हुए जयशंकर से की मुलाकात, बैठक की इतनी चर्चा क्यों?
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात की। जयशंकर की पुतिन के साथ हुई बैठक चर्चाओं में हैं। दोनों के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्दों और भारत-रूस संबंधों पर चर्चा हुई। पुतिन ने अगले साल भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस आने का न्योता भी दिया है। आइए समझते हैं कि इस बैठक की इतनी चर्चा क्यों हो रही है।
अपने समकक्षों से ही मिलते हैं पुतिन
आमतौर पर पुतिन अपने समकक्षों यानी दूसरे देश के राष्ट्राध्यक्ष से ही मिलते हैं। हालांकि, इस बार उन्होंने परंपरा तोड़ते हुए जयशंकर से मुलाकात की। विशेषज्ञ इसे जयशंकर के रूस में राजदूत के कार्यकाल से जोड़कर भी देख रहे हैं। दरअसल, जयशंकर रूस में भारत के राजदूत रह चुके हैं। वे विदेश सचिव रहते हुए भी रूस का दौरा कर चुके हैं। इस लिहाज से जयशंकर के लिए रूस जाना-पहचाना है।
पुतिन के साथ किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
बैठक के दौरान दोनों नेताओं के बीच अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम, भारत-रूस संबंध, व्यापार और यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर चर्चा हुई। रूस ने कहा कि दोनों देशों के बीच कारोबार केवल तेल, कोयला और ऊर्जा से संबंधित उत्पादों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि तकनीकी मामलों में भी संबंध आगे बढ़ रहे हैं। पुतिन ने कहा, "ये बताते हुए खुशी हो रही है कि दुनिया में अशांति के बीच हमारे पारंपरिक दोस्त भारत के साथ संबंधों का विस्तार हो रहा है।"
पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को किया आमंत्रित
पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को रूस आमंत्रित किया है। पुतिन ने कहा, "मैं आपके (जयशंकर) जरिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। कृपया हमारा निमंत्रण उन तक पहुंचाएं कि वो रूस के दौरे पर आएं। हम उन्हें रूस में देखना चाहते हैं।" इस पर जयशंकर ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी अगले साल रूस की यात्रा को लेकर आशान्वित हैं। मैं आश्वस्त हूं कि हम बैठक की ऐसी तारीख तय कर पाएंगे, जो दोनों देशों के राजनीतिक कैलेंडर के हिसाब से ठीक हो।"
जयशंकर और पुतिन की मुलाकात क्यों चर्चा में?
पुतिन के इस तरह भारतीय विदेश मंत्री से मिलने को विशेषज्ञ महत्वपूर्ण मान रहे हैं। पूर्व विदेश सचिव कंवल सिबल ने ट्वीट में कहा, 'पुतिन कभी-कभार ही विदेश मंत्रियों से मिलते हैं। ये दिखाता है कि नए भूराजनितिक परिदृश्य में भारत रूस को कितना महत्व देता है।' सामरिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने कहा, 'मोदी की जगह विदेश मंत्री मॉस्को गए हैं। तथ्य ये है कि किसी विदेश मंत्री से नहीं मिलने की परंपरा तोड़कर पुतिन ने जयशंकर से मुलाकात की।'
कैसा है भारत और रूस के बीच व्यापार?
हाल ही के सालों में भारत और रूस के बीच व्यापार काफी बढ़ा है। यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिका ने रूस के कच्चे तेल आयात पर प्राइस कैप लगा दिया था। इसके बाद भारत ने रूस से रिकॉर्ड मात्रा में कच्चा तेल खरीदा। युद्ध शुरू होने से पहले भारत रूस से कुल आपूर्ति का 2 प्रतिशत तेल आयात करता था, जो बढ़कर 42 प्रतिशत के करीब हो गया है। भारत ने रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम भी खरीदा है।
दोनों देशों के बीच हो चुके हैं 21 वार्षिक सम्मेलन
भारत और रूस के बीच वार्षिक सम्मेलन भी होता है। इसके तहत एक साल रूसी राष्ट्रपति भारत आते हैं और अगले साल भारतीय प्रधानमंत्री रूस जाते हैं। अभी तक दोनों देशों के बीच 21 सालाना सम्मेलन हो चुके हैं, लेकिन पिछले 2 सालों से ये सिलसिला रुक गया है। 2022 में युद्ध के चलते भारतीय प्रधानमंत्री रूस नहीं गए। इस साल G-20 शिखर सम्मेलन की वजह से ये बैठक नहीं हो पाई।
अतीत में कैसे रहे हैं भारत-रूस संबंध?
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल से ही भारत-रूस संबंध मजबूत रहे हैं। उनके कार्यकाल में रूस ने भारत को बांध बनाने से लेकर स्टील प्लांट डालने जैसी कई विकास परियोजनाओं में मदद की। 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध में जब अमेरिका ने पाकिस्तान का साथ दिया, तब रूस (उस समय सोवियत संघ) ने भारत का साथ देते हुए राजनयिक और हथियार दोनों से समर्थन देने का वादा किया।