कतर में भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों को हिरासत में लिए जाने का मामला क्या है?
क्या है खबर?
भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारी चार महीने से भी अधिक समय से कतर की हिरासत में हैं। इन्हें 30 अगस्त को हिरासत में लिया गया था और पिछले 127 दिनों से ये एकांत कारावास में बंद हैं।
बीते महीने विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसे संवेदनशील मामला बताते हुए कहा था कि इसे लेकर भारतीय राजदूत और दूतावास के वरिष्ठ अधिकारी कतर सरकार के संपर्क में हैं।
हालांकि, अभी तक इस मामले में ठोस प्रगति नहीं दिख रही है।
जानकारी
एकांत कारावास में हैं ये पूर्व नौसैनिक
नौसेना के आठ पूर्व अधिकारी- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर प्रणेंदु तिवारी, कैप्टन वीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और सैलर राजेश कतर की हिरासत में है।
ये दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेस नामक कंपनी में काम करते थे, जो खुद को कतर की रक्षा, सुरक्षा और दूसरी सरकारी एजेंसियों की स्थानीय व्यापार साझेदार बताती है।
यह कंपनी रक्षा उपकरण और मरम्मत के क्षेत्र में काम करती है।
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कंपनी के मालिक की भी हुई थी गिरफ्तारी
यह कंपनी एक ओमानी नागरिक खामिस अल आज्मी की है, जो ओमान की वायुसेना के रिटायर्ट स्क्वॉड्रन लीडर हैं। उन्हें भी इन भारतीय नागरिकों के साथ गिरफ्तार किया गया था, लेकिन नवंबर में उन्हें रिहा कर दिया गया था।
इनकी गिरफ्तारी की खबर आते ही कंपनी की वेबसाइट को हटा लिया गया था। इसकी नई वेबसाइट पर कतर की नौसेना का जिक्र नहीं है और न ही उन अधिकारियों का जिक्र है, जो पहले कंपनी में बड़े पदों पर थे।
सम्मान
कमांडर तिवारी को मिल चुका है प्रवासी भारतीय सम्मान
दाहरा ग्लोबल के प्रबंधक निदेशक पद पर रहे कमांडर तिवारी को 2019 में भारत-कतर रिश्तों को मजबूती देने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया था। सैन्य बलों से आने वाले वो एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें यह सम्मान मिला है।
उन्हें कतर में पूर्व भारतीय राजदूत पी कुमारन और कतर डिफेंस फोर्सेस इंटरनेशनल मिलिट्री कॉर्पोरेशन के पूर्व अध्यक्ष से भी सम्मान मिल चुका है।
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हिरासत में लिए जाने का कारण स्पष्ट नहीं
इन अधिकारियों की लंबी हिरासत का कारण अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ है, लेकिन एकांत कारावास को देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि इन्हें सुरक्षा से संबंधित किसी मामले में हिरासत में लिया गया है।
30 अगस्त के बाद से हर महीने की शुरुआत में स्थानीय अदालत इनके कारावास की अवधि को एक महीने बढ़ा रही है।
इन्हें कतर की खुफिया एजेंसी स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने पकड़ा था और भारत को इसकी जानकारी सितंबर के मध्य में मिली।
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3 अक्टूबर को मिली काउंसलर एक्सेस
इन अधिकारियों की गिरफ्तारी के लगभग एक महीने बाद 3 अक्टूबर को भारत को काउंसलर एक्सेस दी गई। उस समय भारतीय दूतावास से एक अधिकारी ने जाकर इनसे मुलाकात की थी। उसके बाद से ये हर हफ्ते अपने परिजनों से बात करते हैं। इनके परिजनों का भी कहना है कि उन्हें गिरफ्तारी के पीछे के कारणों की जानकारी नहीं दी गई है।
पिछले महीने के आखिर में भारत को एक और काउंसलर एक्सेस दी गई थी।
द्विपक्षीय संबंध
मधुर है दोनों देशों के बीच संबंध
भारत और कतर के बीच मधुर संबंध हैं और दोनों देशों के शीर्ष नेता कई बार एक-दूसरे देश में दौरा कर चुके हैं। इसके बावजूद भारत को इन अधिकारियों की गिरफ्तारी की जानकारी और कारणों की जानकारी न देने कूटनीतिक स्तर पर चुनौतियां पैदा कर रहा है।
पिछले साल ही दोनों देशों ने 2023 में कूटनीतिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ को मनाने का फैसला किया था। दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग समझौता भी हो चुका है।
चुनौती
नुपूर शर्मा के बयान पर आई थी कतर की टिप्पणी
पिछले साल भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपूर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद को लेकर की गई विवादित टिप्पणी पर कतर ने बयान जारी किया था। कतर समेत कई अन्य इस्लामिक देशों की तरफ से प्रतिक्रिया आने के बाद भाजपा को शर्मा को बाहर का रास्ता दिखाने पर मजबूर होना पड़ा था।
अब इन पूर्व नौसैनिकों की गिरफ्तारी ने दोनों देशों के संबंधों के बीच एक और चुनौती खड़ी कर दी है।