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    WHO के तकनीकी सवालों में घिरी 'कोवैक्सिन', मंजूरी मिलने में होगी कुछ सप्ताह की देरी
    भारत बायोटेक की कोरोना वायरस वैक्सीन कोवैक्सिन।

    WHO के तकनीकी सवालों में घिरी 'कोवैक्सिन', मंजूरी मिलने में होगी कुछ सप्ताह की देरी

    लेखन भारत शर्मा
    Sep 28, 2021
    12:16 pm

    क्या है खबर?

    कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार की गई वैक्सीन 'कोवैक्सिन' को वैश्विक स्तर पर आपात इस्तेमाल की सूची में शामिल कराने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मंजूरी हासिल करने में लगी हैदराबाद की भारत बायोटक कंपनी को बड़ा झटका लगा है।

    WHO ने वैक्सीन को मंजूरी देने के लिए कंपनी को कुछ तकनीकी प्रश्न भेजे हैं। उनकी समीक्षा के बाद ही वैक्सीन को मंजूरी दी जाएगी। ऐसे में इस प्रक्रिया में कुछ सप्ताह का समय और लग सकता है।

    पृष्ठभूमि

    भारतय बायोटेक ने ICMR के साथ मिलकर तैयार की है कोवैक्सिन

    बता दें कि भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर कोवैक्सिन को विकसित किया है और यह पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है।

    इसे कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। इसके लिए ICMR ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान किया था, जिसे निष्क्रिय करके कंपनी ने वैक्सीन विकसित की। भारत के अलावा ब्राजील जैसे कुछ देशों ने भी इसकी खुराकें मांगी हैं।

    आवेदन

    भारत बायोटेक ने मई में किया था WHO में आवेदन

    भारत सरकार ने कोवैक्सिन को जनवरी में आपात इस्तेमाल की मंजूरी देते हुए कंपनी को इसके तीसरे चरण का ट्रायल जल्दू पूरा करने के निर्देश दिए थे। उसके बाद से भारत में तो इसका इस्तेमाल शुरू हो गया था, लेकिन उसे WHO की मंजूरी नहीं मिली थी।

    इसको देखते हुए कंपनी ने मई के तीसरे सप्ताह में तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर वैश्विक स्तर पर आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए WHO में आवेदन किया था।

    प्रभावी

    महामारी के गंभीर लक्षणों के खिलाफ 93.4 प्रतिशत प्रभावी रही है वैक्सीन

    भारत बायोटेक की ओर से 3 जुलाई को तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के परिणाम जारी किए थे।

    इसमें कहा गया था कि कोवैक्सीन महामारी के गंभीर लक्षणों के खिलाफ 93.4 प्रतिशत, हल्के और मध्यम लक्षणों के खिलाफ 78 प्रतिशत, डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 65 प्रतिशत और बिना लक्षणों वाले मरीजों पर 63 प्रतिशत प्रभावी पाई गई है।

    कंपनी ने देशभर के 25 अस्पतालों में 18-98 साल के 25,800 वॉलेंटियर्स पर वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल किया था।

    उम्मीद

    सरकार ने सितंबर के अंत तक मंजूरी मिलने की जताई थी उम्मीद

    इससे पहले वैक्सीनेशन अभियान पर गठित राष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष और नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने 14 सितंबर को कहा था कि WHO के तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा कोवैक्सीन की जुलाई से समीक्षा की जा रही है। इसमें डाटा शेयरिंग, डेटा इवुलेशन की कई स्तर पर समीक्षा की गई है।

    उन्होंने कहा था कि इस महीने के अंत से पहले एक सकारात्मक निर्णय आ सकता है। यह देश और कंपनी के लिए बड़ी राहत की बात होगी।

    जानकारी

    WHO ने भी तीसरे चरण के ट्रायल के डाटा को बताया था अच्छा

    जुलाई में WHO की मुख्य वैज्ञानिक सोम्या स्वामीनाथन ने कोवैक्सिन के तीसरे चरण के ट्रायल का डाटा अच्छा और उत्साहजनक बताते हुए कहा था वैक्सीन प्रभाविकता और सुरक्षा के मापदंडों को पूरा कर रही है, लेकिन मंजूरी के लिए और अध्ययन किया जा रहा है।

    सवाल

    WHO ने कंपनी को भेजे हैं कई तकनीकी सवाल

    मंजूरी मिलने की उम्मीद के बीच WHO ने वैक्सीन पर कुछ तकनीकी सवाल उठाते हुए उनकी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कंपनी को कुछ तकनीकी सवाल भेजे हैं।

    हालांकि, WHO के एक सूत्र ने कहा है कि यह एक नियमित प्रक्रिया है, विशेषज्ञ सवाल उठाते हैं और कंपनी को उनका जवाब देने की जरूरत होती है।

    हालांकि, इस प्रक्रिया में ज्यादा देरी नहीं होगी, लेकिन कुछ सप्ताह का समय लग सकता है। इससे कंपनी का इंतजार लंबा होगा।

    झटका

    विदेश जाने वालों को लगा है बड़ा झटका

    कोवैक्सिन को मंजूरी मिलने में देरी होने से सबसे बड़ा झटका इस वैक्सीन की खुराक लेकर विदेश जाने की तैयारी में बैठे भारतीयों को लगा है।

    इसका कारण यह है कि WHO के मंजूरी के बिना कोवैक्सिन को दुनिया भर के अधिकांश देशों द्वारा स्वीकृत वैक्सीन नहीं माना जाएगा और विदेशों में स्वीकृति वैक्सीन की दोनों खुराक लगवाने वालों को ही प्रवेश की मंजूरी दी जा रही है। ऐसे में कोवैक्सिन की मंजूरी में देरी होना बड़ी समस्या है।

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