क्या है CIA जासूस के जरिए भारत में दस्तक देने वाली रहस्यमयी बीमारी 'हवाना सिंड्रोम'?
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी के बीच देश में आए दिन नई-नई बीमारियां सामने आ रही है।
पहले ब्लैक फंगस, व्हाइट और येलो फंगस के साथ हैप्पी हाइपोक्सिया और हर्पीज सिम्प्लेक्स जैसी बीमारियों ने दस्तक दी थी और अब रहस्यमयी बीमारी 'हवाना सिंड्रोम' भी भारत पहुंच गई है।
इस महीने की शुरुआत में भारत आए अमेरिकी खुफिया एजेंसी (CIA) के एक अधिकारी में इसकी पुष्टि हुई है। ऐसे में यहां जानते हैं आखिर क्या है हवाना सिंड्रोम और यह कैसे होती है।
पुष्टि
CIA अधिकारी में जांच के बाद हुई थी 'हवाना सिंड्रोम' की पुष्टि
सितंबर की शुरुआत में CIA का एक अधिकारी निदेशक विलियम बर्न्स के साथ भारत आया था। भारत आने के बाद वह बीमार हो गए और उन्हें उपचार की आवश्यकता पड़ी।
उपचार लेने के बाद वह वापस अमेरिका चले गए और जांच कराई तो उनके हवाना सिंड्रोम की पुष्टि हो गई।
पिछले एक महीने में अमेरिका के दो प्रमुख अधिकारी इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। इसके कारण ही अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का वियतनाम दौरा टाला गया था।
हवाना सिंड्रोम
आखिर क्या है 'हवाना सिंड्रोम' और यह कैसे सामने आई?
इंडिया टुडे के अनुसार, साल 2016 में क्यूबा की राजधानी हवाना स्थित अमेरिकी दूतावास में तैनात अधिकारियों ने सिर चकराने, नाक से खून निकलने और मितली समेत कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की शिकायत की थी।
इसके अलावा उन्होंने होटल के कमरों या घरों में अजीब सी आवाजें सुनीं और शरीर में अजीब सी सरसराहट महसूस की।
बाद में इसकी गहनता जांच कराई गई। जिसके बाद इस अजीबोगरीब बीमारी को 'हवाना सिंड्रोम' नाम दिया गया था।
प्रभाव
'हवाना सिंड्रोम' की चपेट में आ चुके हैं 200 अमेरिकी अधिकारी
शुरुआती मामलों के CIA अधिकारियों से जुड़े होने के कारण इसे गुप्त रखा गया था, लेकिन फिर धीरे-धीरे बात फैलने लगी और लोगों में इसका डर बढ़ गया। अब तक करीब 200 अमेरिकी अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्य हवाना सिंड्रोम की चपेट में आ चुके हैं।
क्यूबा के बाद चीन, रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, ताईवान, ऑस्टि्रया और वाशिंगटन डीसी में भी इसके मामले सामने आ चुके हैं। भारत में 'हवाना सिंड्रोम' का यह पहला मामला है।
कारण
आखिर क्या है 'हवाना सिंड्रोम' का कारण?
'हवाना सिंड्रोम' के कारणों पर वैज्ञानिकों के बीच एक राय नहीं है। अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज ने डायरेक्टेड, पल्सड रेडियो फ्रीक्वेंसी एनर्जी को इस बीमारी का सबसे संभावित कारण माना है।
CIA के निदेशक विलियम बर्न्स के अनुसार, बहुत हद तक संभव है कि यह सिंड्रोम इंसान नियंत्रण में हो और शायद रूस इसके पीछे हो। अमेरिका के ज्यादातर अधिकारी मानते हैं कि यह इलेक्ट्रॉनिक हथियारों से किया गया हमला है। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
लक्षण
क्या है 'हवाना सिंड्रोम' के प्रमुख लक्षण?
नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के अनुसार, हवाना सिंड्रोम के कुछ लक्षण अचानक महसूस होते हैं तो कुछ लंबे समय तक रहते हैं।
अचानक महसूस होने वाले लक्षणों में तेज आवाजें सुनाई देना, कान में सीटियां बजना, सुनने की क्षमता कम होना, सिर के अंदर तेज दबाव या वाइब्रेशन, याद रखने या फिर ध्यान में समस्या है।
इसी तरह देखने में परेशानी, जी मिचलाना, लड़खड़ाना, संतुलन बिगड़ना और सिर चकराना जैसे लक्षण भी नजर आते हैं।
जानकारी
लंबे समय तक नजर आने वाले लक्ष्ण
हवाना सिंड्रोम की चपेट में आए लोगों में सिरदर्द, एकाग्रता बिगड़ना, नींद न आना, अवसाद, संतुलन बिगड़ना, नाक से खून बहना और थकान जैसे लक्षण लंबे समय तक रहते हैं। इन लक्षणों के कारण मरीज की सामान्य दिनचर्या पूरी तरह से प्रभावित हो जाती है।
उपचार
क्या है 'हवाना सिंड्रोम' का उपचार?
MRI स्कैन के जरिए इसमें प्रभावित रोगियों की व्हाइट मैटर (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के हल्के ऊतक) की तुलना स्वस्थ व्यक्तियों से की जाती है। जिसमें उनके मस्तिष्क की गतिविधि और संरचना में अंतर और बदलाव के बारे में आंकलन किया जाता है।
इसके अलावा इस गंभीर सिंड्रोम के इलाज में कई बार डॉक्टर, मेडिटेशन, आर्ट थेरेपी, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और एक्यूपंक्चर की सलाह भी देते हैं। इसके अलावा खास न्यूरोजिकल एक्सरसाइज भी बताई जाती है।