WHO ने किया स्वीकार- हवा के जरिए कोरोना वायरस के प्रसार के सबूत आ रहे सामने
वैज्ञानिकों के एक समूह के पत्र के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंगलवार को स्वीकार किया कि कोरोना वायरस के हवा के जरिए फैलने के सबूत सामने आ रहे हैं। WHO के वैज्ञानिकों ने कहा है कि ऐरोसोल्स के जरिए कोरोना वायरस के प्रसार की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता और इसके सबूत सामने आ रहे हैं। हालांकि वैज्ञानिकों ने सबूतों की अच्छे से पड़ताल की जरूरत बताई।
कोरोना वायरस के हवा के जरिए फैलने पर वैज्ञानिकों में सहमति नहीं
बता दें कि कोरोना वायरस हवा के जरिए फैल सकता है या नहीं, इसे लेकर काफी विवाद है। ज्यादातर वैज्ञानिकों का मानना है कि ये केवल संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने के दौरान निकलने वाली थूक की छोटी बूंदों के जरिए ही फैलता है। WHO की गाइडलाइंस में भी कहा गया है कि कोरोना वायरस मुख्य तौर पर खांसने या छींकने के दौरान निकलने वाली थूक की छोटी बूंदों के जरिए एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है।
23 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने लिखा था WHO को पत्र
पिछले दिनों 23 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने WHO को पत्र लिखकर इन नियमों में बदलाव करने की अपील की थी। वैज्ञानिकों ने अपने पत्र में कोरोना वायरस के बेहद छोटे कणों के जरिए फैलने और इससे लोगों के संक्रमित होने के सबूत पेश किए हैं। उन्होंने कहा है कि छींकने पर निकलने वाली थूक की बड़ी बूंदें हो या छोटी सांस की बूदों (एरोसोल्स), दोनों के जरिए कोरोना वायरस फैलता है और लोगों को संक्रमित कर सकता है।
WHO बोला- हवा के जरिए प्रसार की संभावना पर कर रहे विचार
अब इस पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए WHO की कोरोना वायरस महामारी टीम की तकनीक प्रमुख मारिया वेन केरखोव ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि संगठन हवा और एरोसोल के जरिए कोरोना वायरस के प्रसार की संभावना पर विचार कर रहा है। वहीं WHO की संक्रमण रोकथाम और नियंत्रण टीम की तकनीक प्रमुख डॉ बेनडेटा एलेग्रांजी ने कहा कि कोरोना वायरस के हवा के जरिए प्रसार के सबूत सामने आ रहे हैं, लेकिन ये ठोस नहीं हैं।
आने वाले दिनों में प्रसार के तरीकों पर नोट प्रकाशित करेगा WHO- डॉ केरखोव
डॉ एलेग्रांजी ने इस दौरान कहा, "सार्वजनिक स्थलों, विशेषकर भीड़भाड़ वाले, बंद और कम हवादार इलाकों, में हवा के जरिए प्रसार की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। हालांकि सबूतों को इकट्ठा करने और उनकी व्याख्या करने की जरूरत है और हम इसका समर्थन करते रहेंगे।" वहीं डॉ केरखोव ने कहा कि आने वाले दिनों में कोरोना वायरस के प्रसार के तरीकों के बारे में WHO एक वैज्ञानिक नोट प्रकाशित करेगा।
जनता में दहशत के कारण होता है एरोसोल के जरिए प्रसार का विरोध- विशेषज्ञ
इस बीच WHO को पत्र लिखने वाले वैज्ञानिकों में शामिल यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के केमिस्ट जोस जिमनेज ने 'रॉयटर्स' से कहा, "ऐतिहासिक तौर पर मेडिकल प्रोफेशन में एरोसोल के जरिए प्रसार का कड़ा विराध रहा है और सबूतों का स्तर बहुत उच्च रखा गया है।" उन्होंने कहा कि इसका एक मुख्य कारण जनता में दहशत है। उन्होंने कहा, "स्वास्थ्यकर्मी अस्पताल जाने से मना कर देंगे या लोग सभी N-95 मास्क खरीद लेंगे और विकासशील देशों के लिए कुछ नहीं बचेगा।"