'कोवैक्सिन' को सितंबर के अंत तक मिल सकती है WHO की मंजूरी- नीति आयोग
कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार की गई वैक्सीन 'कोवैक्सिन' को वैश्विक स्तर पर आपात इस्तेमाल की सूची में शामिल कराने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मंजूरी हासिल करने में लगी हैदराबाद की भारत बायोटक कंपनी के लिए राहत की खबर है। WHO की ओर वैक्सीन को सितंबर के अंत तक मंजूरी दी जा सकती है। वैक्सीनेशन अभियान पर गठित राष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष और नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने यह जानकारी दी है।
भारतय बायोटेक ने ICMR के साथ मिलकर तैयार की है कोवैक्सिन
बता दें कि भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर कोवैक्सिन को विकसित किया है और यह पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है। इसे कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। इसके लिए ICMR ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान किया था, जिसे निष्क्रिय करके कंपनी ने वैक्सीन विकसित की। भारत के अलावा ब्राजील जैसे कुछ देशों ने भी इसकी खुराकें मांगी हैं।
भारत बायोटेक ने मई में किया था WHO में आवेदन
भारत सरकार ने कोवैक्सिन को जनवरी में आपात इस्तेमाल की मंजूरी देते हुए कंपनी को इसके तीसरे चरण का ट्रायल जल्दू पूरा करने के निर्देश दिए थे। उसके बाद से भारत में तो इसका इस्तेमाल शुरू हो गया था, लेकिन उसे WHO की मंजूरी नहीं मिली थी। इसको देखते हुए कंपनी ने मई के तीसरे सप्ताह में तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर वैश्विक स्तर पर आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए WHO में आवेदन किया था।
महामारी के गंभीर लक्षणों के खिलाफ 93.4 प्रतिशत प्रभावी रही है वैक्सीन
भारत बायोटेक की ओर से 3 जुलाई को तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के परिणाम जारी किए थे। इसमें कहा गया था कि कोवैक्सीन महामारी के गंभीर लक्षणों के खिलाफ 93.4 प्रतिशत, हल्के और मध्यम लक्षणों के खिलाफ 78 प्रतिशत, डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 65 प्रतिशत और बिना लक्षणों वाले मरीजों पर 63 प्रतिशत प्रभावी पाई गई है। कंपनी ने देशभर के 25 अस्पतालों में 18-98 साल के 25,800 वॉलेंटियर्स पर वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल किया था।
सितंबर के अंत तक मिल सकती है मंजूरी- डॉ पॉल
NDTV के अनुसार, डॉ पॉल ने कहा, "हम सकारात्मक विकास के बारे में जानते हैं। WHO के तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा कोवैक्सीन की जुलाई से समीक्षा की जा रही है। इसमें डाटा शेयरिंग, डेटा इवुलेशन की कई स्तर पर समीक्षा की गई है।" उन्होंने कहा, "हमें पता है कि हम फैसले के करीब हैं। हमारा मानना है कि इस महीने के अंत से पहले एक सकारात्मक निर्णय आ सकता है। यह देश और कंपनी के लिए बड़ी राहत की बात होगी।"
"WHO को निर्णय के लिए दिया जाना चाहिए समय"
डॉ पॉल ने कहा, "हमें विज्ञान के आधार पर अपना निर्णय लेने के लिए WHO को समय देना चाहिए और फिर भी हम आशा करते हैं कि फैसला जल्दी लिया जाएगा। क्योंकि कोवैक्सिन लगवाने वाले लोगों की यात्रा आदि की कुछ अनिवार्यताएं हैं, जिसके लिए WHO की मंजूरी जरूरी है।" इससे पहले स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने संसद को बताया था कि भारत बायोटेक ने 9 जुलाई को प्री-क्वालिफिकेशन के लिए आवेदन दिया था।
WHO ने कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के डाटा को बताया था अच्छा
जुलाई में WHO की मुख्य वैज्ञानिक स्वामीनाथन ने कोवैक्सिन के तीसरे चरण के ट्रायल का डाटा अच्छा और उत्साहजनक बताते हुए कहा था कि वैक्सीन प्रभाविकता और सुरक्षा के मापदंडों को पूरा कर रही है, लेकिन मंजूरी के लिए और अध्ययन किया जा रहा है।
WHO ने इन वैक्सीनों को दी है मंजूरी
WHO ने अब तक अमेरिका की प्रमुख दवा कंपनियों फाइजर-बायोएनटेक, जॉनसन एंड जॉनसन, मॉडर्ना, चीन की सिनोफार्म और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा निर्मित वैक्सीनों को ही आपात इस्तेमाल की मंजूदी दी है। कोवैक्सीन उन छह वैक्सीनों में शामिल है, जिन्हें भारत के औषधि नियामक (DCGI) से आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली है और देशव्यापी वैक्सीनेशन अभियान में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की कोविशील्ड और रूस स्पूतनिक-V के साथ इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।