सुप्रीम कोर्ट का केंद्र से सवाल- किसान आंदोलन में कोरोना की रोकथाम के लिए क्या किया?
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से पूछा कि वो किसान आंदोल में कोरोना वायरस संक्रमण फैलने से रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है? सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय बेंच ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें नहीं पता कि किसान कोरोना वायरस से सुरक्षित हैं या नहीं। अगर नियमों का उल्लंघन किया गया तो तबलीगी जमात की तरह परेशानी हो सकती है। आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।
इस याचिका पर हो रही थी सुनवाई
जम्मू की रहने वालीं सुप्रिया पंडिता ने सुप्रीम कोर्ट में तब्लीगी जमात मामले की CBI जांच के लिए जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में महामारी के दौरान जन स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए भीड़ जमा होने से रोकने के लिए गाइडलाइंस की जरूरत बताई गई थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि सरकार ने निजामुद्दीन मरकज में विदेशी प्रतिनिधियों के साथ बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा होने की इजाजत देकर लोगों का स्वास्थ्य खतरे में डाला था।
सरकार ने मरकज की घटना से क्या सीखा?- कोर्ट
गुरुवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि सरकार ने ऐसी स्थिति से बचने के लिए क्या कदम उठाए हैं? बेंच ने कहा, "ऐसी ही परेशानी किसान आंदोलन में खड़ी हो सकती है। हमें नहीं पता कि किसान संक्रमण से सुरक्षित हैं या नहीं। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं? जमात की घटना से आपने क्या सबक सीखा है? क्या आपने पता लगाया कि यह कैसे हुआ?"
केंद्र को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय
इस पर केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे मेहता ने कहा कि हालातों का जानने की कोशिश की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।
तबलीगी जमात का क्या मामला है?
बीते साल महामारी की शुरुआत में तबलीगी जमात ने दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज मस्जिद में 13 से 24 मार्च के बीच एक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया था। इसमें देश-विदेश के 16,000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था और ये कोरोना संक्रमण का एक बड़ा केंद्र बन गया। जांच में इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले सैकड़ों लोगों को कोरोना संक्रमित पाया गया था, जिसके बाद 30 मार्च को मस्जिद को सील कर दिया गया।
किसानों के आंदोलन का आज 43वां दिन
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन का आज 43वां दिन है। पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान नवंबर के आखिरी सप्ताह से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। इस दौरान न तो पर्याप्त साफ-सफाई बरती जा रही है और न ही सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने जैसे दूसरे नियमों का पालन हो रहा है। किसानों का कहना है कि उन्हें कोरोना से ज्यादा इन कानूनों के लागू होने का डर है।
11 जनवरी को होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
कई दौर की बातचीत के बाद भी सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध का समाधान न निकलने पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की थी। बुधवार को कृषि कानूनों को संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कृषि कानूनों और किसान आंदोलन के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं पर 11 जनवरी को सुनवाई करेगा। उससे पहले 8 जनवरी को सरकार और किसानों की अगली बैठक होगी।