कृषि कानूनों के खिलाफ याचिकाओं पर 11 जनवरी को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
क्या है खबर?
कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है।
कृषि कानूनों को संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कुछ वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।
बुधवार को इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि कृषि कानूनों और किसान आंदोलन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 11 जनवरी को सुनवाई होगी।
इस दौरान कोर्ट ने कहा कि स्थिति में बिल्कुल भी सुधार नहीं हुआ है।
सुनवाई
किसानों की स्थिति समझते हैं- बेंच
बुधवार को सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी है और जल्द ही सहमति बनने की उम्मीद है।
इस पर मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली बेंच ने कहा कि हालातों में सुधार नहीं दिख रहा है। वो स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और किसानों की हालत से वाकिफ है। बेंच ने कहा कि वो चाहते हैं कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत से हल निकल जाए।
सुनवाई
बातचीत सफल रही तो टाल देंगे सुनवाई- कोर्ट
बुधवार को सरकार की तरफ से कहा कि कृषि कानूनों और किसान आंदोलन के मामले में अभी सुनवाई की जरूरत नही है क्योंकि दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी है।
इस पर बेंच ने कहा कि वो मामले को सोमवार को सुनेगी। अगर इस दौरान बातचीत सफल रहती है तो सुनवाई टाल दी जाएगी।
गौरतलब है कि बीते लगभग 40 दिनों से कई राज्यों के किसान नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं।
विरोध की वजह
किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
गतिरोध
सात दौर की बातचीत के बाद भी समाधान नहीं
प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच सात दौर की औपचारिक बैठक हो चुकी है, लेकिन अभी तक हल नहीं निकल पाया है।
4 जनवरी को हुई आखिरी बैठक में किसानों ने तीनों कानून रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की खरीद की गारंटी का कानून बनाने की मांग की, लेकिन सरकार इस पर सहमत नहीं हुई।
सरकार कानूनों में बदलाव और MSP पर लिखित आश्वासन देने को तैयार है, लेकिन किसानों को यह मंजूर नहीं है।
जानकारी
8 जनवरी को अगली बातचीत, आंदोलन तेज कर रहे किसान
केंद्र सरकार और किसानों के बीच 8 जनवरी को आठवें दौर की औपचारिक बैठक होगी। इससे पहले किसानों ने अपने आंदोलन को तेज करते हुए 7 जनवरी को ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफरल एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टर मार्च करने का फैसला लिया है।
बयान
"26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड का अभ्यास"
मंगलवार शाम मीडिया को संबोधित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार द्वारा तीनों कानून रद्द करने की मांग ठुकराने के साथ ही सातवें दौर की बैठक बेनतीजा समाप्त हो गई। अब किसान 7 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे।
उन्होंने कहा कि ये ट्रैक्टर सिंघु, टिकर, गाजीपुर और रिवासन से ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफरल एक्सप्रेसवे के लिए चलेंगे और रास्ते में मिलेंगे। इसे 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड का अभ्यास माना जा सकता है।