मध्य प्रदेश: रैलियों पर हाई कोर्ट की पाबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा चुनाव आयोग
क्या है खबर?
चुनाव आयोग भौतिक राजनीतिक रैलियों पर रोक लगाने के मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। आयोग ने अपनी याचिका में कहा है कि हाई कोर्ट का यह आदेश चुनावी प्रक्रिया में दखल देता है और चुनाव कराना उसके अधिकार-क्षेत्र में आता है।
आयोग के अनुसार, ये चुनावी प्रक्रिया को पटरी से उतार देगा और उम्मीदवारों के लिए बराबर मौकों को प्रभावित करेगा।
भाजपा के दो उम्मीदवार भी मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।
पृष्ठभूमि
क्या था हाई कोर्ट का आदेश?
बुधवार को मध्य प्रदेश उपचुनाव पर बड़ा आदेश जारी करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने राजनीतिक रैलियों के नियमों को कड़ा कर दिया था।
कोर्ट ने अपने अधिकार-क्षेत्र में आने वाले जिलाधिकारियों को तब तक किसी भी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार को भौतिक सार्वजनिक सभा करने की मंजूरी न देने का निर्देश दिया था, जब तक कि वे यह साबित न कर दें कि उनके लिए वर्चुअल रैली करना संभव नहीं है।
आदेश
हर भौतिक रैली के लिए चुनाव आयोग की मंजूरी को किया गया था अनिवार्य
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में हर भौतिक रैली के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी लेना भी अनिवार्य कर दिया था।
उसने कहा था कि अगर भौतिक रैली की मंजूरी दी जाती है तो इसमें जितने मास्क और सैनिटाइजर्स की जरूरत पड़ेगी, पार्टी या उम्मीदवार को उससे दोगुने के लिए पर्याप्त धनराशि जिलाधिकारी के पास जमा करनी होगी।
कोर्ट ने कहा था कि अगर पार्टी या उम्मीदवार पैसे जमा नहीं करते तो उन्हें रैली की मंजूरी नहीं दी जाएगी।
बयान
आदेश के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार भी जाएगी सुप्रीम कोर्ट
मध्य प्रदेश सरकार ने भी हाई कोर्ट के इस फैसले का विरोध किया था और गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया था।
अपने वीडियो संदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा था, "हम हाई कोर्ट और उसके फैसले का सम्मान करता है। लेकिन इस आदेश के संबंध में हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे क्योंकि ये एक ही जगह पर दो कानून होने जैसा है।"
विरोध
शिवराज ने पूछा- कुछ हिस्सों में रैली की इजाजत तो कुछ में क्यों नहीं
शिवराज ने आगे कहा, "मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भौतिक राजनीतिक रैलियों की अनुमति है, वहीं कुछ हिस्सों में इनकी अनुमति नहीं है। बिहार में राजनीतिक रैलियां हो रही हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में इसकी अनुमति नहीं है। इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट से न्याय मांगेंगे।"
अपने एक वीडियो संदेश में उन्होंने अशोक नगर के शदोरा और भंडर के लोगों से माफी भी मांग थी जहां की रैलियां उन्हें रद्द करनी पड़ीं।
जानकारी
अगले महीने होने हैं मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर चुनाव
बता दें कि मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर अगले महीने की शुरुआत में उपचुनाव होने हैं। इनमें से अधिकांश सीटें ज्यातिरादित्य सिंधिया की बगावत और उनके समर्थकों के कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद खाली हुई हैं। नतीजे 10 नवंबर को आएंगे।