भारत-चीन के बीच LAC पर गश्त को लेकर हुए समझौते के क्या हैं मायने?
भारत और चीन ने दोनों देशों के बीच बने तनाव को कम करने के लिए पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। इसके तहत अब दोनों देशों के सैनिक साल 2020 से पहले के मानदंडों के अनुसार सीमा पर गश्त कर सकेंगे। इस समझाैते को दोनों देशों के बीच के बढ़े तनाव को कम करने और सीमा पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया में बड़ा कदम माना जा रहा है।
भारत ने समझौते को बताया बड़ी कूटनीतिक सफलता
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने समझौते की घोषणा करते हुए कहा कि इससे भारत और चीन के बीच तनाव कम हो सकता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसे एक बड़ी कूटनीतिक सफलता बताया और इसका श्रेय 2020 में चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ मॉस्को बैठक के बाद शुरू हुई धैर्यपूर्ण बातचीत को दिया है। इस समझौते से देपसांग मैदानों और डेमचोक जैसे प्रमुख टकराव वाले क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी हो सकेगी।
कई दौर की सैन्य वार्ता के बाद हुआ समझौता
यह समझौता कई दौर की सैन्य वार्ता के बाद संभव हो पाया है, जिससे पैंगोंग त्सो, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स जैसे अन्य टकराव बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी हुई है। विदेश सचिव मिस्री ने कहा, "दोनों पक्ष पिछले कई सप्ताह से निकट संपर्क में थे और दीर्घकालिक मुद्दों को सुलझाने के लिए काम कर रहे थे। अब दोनों पक्ष LAC पर गश्त व्यवस्था पर एक समझौते पर पहुंच गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप सैनिकों की वापसी हो रही है।"
चीन ने भी की समझौते की पुष्टि
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, "चीन और भारत कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से चीन-भारत सीमा से संबंधित मुद्दों पर निकट संपर्क में हैं। अब दोनों पक्ष एक समाधान पर पहुंच गए हैं, जिसकी चीन बहुत प्रशंसा करता है।"
समझौते के बाद क्या होगाी स्थिति?
भारत और चीन के बीच हुए इस समझौते का मतलब है कि चीनी सैनिक देपसांग के महत्वपूर्ण क्षेत्रों से पीछे हट जाएंगे, जिससे भारतीय गश्ती दल को पहले से अवरुद्ध क्षेत्रों तक पहुंच मिल जाएगी। इसी तरह देपसांग मैदानों में वाई जंक्शन जैसे विवादास्पद बिंदुओं पर यथास्थिति में बदलाव होगा। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "इस समझौते से सीमा पर स्थिति को सामान्य बनाने में मदद मिलेगी, क्योंकि इससे 2020 से पहले की तरह गश्त की अनुमति मिल सकेगी।"
समझौते के बाद BRICS में बढ़ी द्विपक्षीय वार्ता की संभावना
यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 से 23 अक्टूबर तक होने वाले BRICS शिखर सम्मेलन में भाग लेने रूस पहुंच चुके हैं। इसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी शामिल होंगे। अब उम्मीद है कि दोनों नेताओं के बीच वहां द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है। हालांकि, बैठक को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि दोनों नेता अन्य मामलों को सुलझाने के लिए राजनयिक प्रयास कर सकते हैं।
भारत-चीन के बीच अब मुद्दों को सुलझाने का खुल सकता है रास्ता
LAC पर शांति और सामान्य स्थिति की बहाली को व्यापक द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए एक शर्त के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों ने तनाव के बाद भी राजनयिक संवाद जारी रखा है और यह इस बात का संकेत है कि दोनों सीमा विवाद का दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत इस समझौते के बाद अपने आर्थिक विकास और क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा।
भारत-चीन के समझौते का अमेरिका पर हो सकता है असर
अमेरिका ने कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या और अपने यहां आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश के आरोपों में भारत को घेरने की लगातार कोशिशें की हैं। उसने निज्जर की हत्या मामले में कनाडा के कंधे पर हाथ रखकर भारत की आंख दिखाने की कोशिश की है। ऐसे में उसके घोर प्रतिस्पर्धी चीन के साथ भारत के सबसे बड़े विवाद के सुलझने पर उसकी बेचैनी बढ़ सकती है। मामले पर उसकी प्रतिक्रिया अहम होगी।
गलवान घाटी हिंसा के बाद भारत-चीन के बीच बढ़ा था तनाव
15 जून, 2020 को गलवान घाटी में हुई झड़प में भारत-चीन के कई सैनिक हताहत हुए थे। यह 1975 के बाद दोनों देशों के बीच सबसे बड़ी झड़प थी। इस घटना से द्विपक्षीय तनाव काफी बढ़ गया था और दोनों देशों को वार्ता पर आना पड़ा। नये समझौते से उच्च स्तरीय कूटनीतिक बातचीत का मार्ग प्रशस्त होने तथा द्विपक्षीय संबंधों में सुधार होने की संभावना है। इससे भारत को सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास में भी मदद मिलेगी।