नासा के लिए चिंता का विषय बना चीन, अंतरिक्ष में अमेरिका को छोड़ सकता है पीछे
क्या है खबर?
अंतरिक्ष के क्षेत्र में चीन लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहा है।
इसी साल जून में अंतरिक्ष उड़ान के इतिहास में चीन ने एक नई सफलता हासिल की और अपने रोबोटिक चांग ई-6 अंतरिक्ष यान से चंद्रमा का सैंपल लेकर पृथ्वी पर वापस लौटा।
चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (CNSA) के अनुसार, चंद्रमा के अपोलो क्रेटर के दक्षिणी रिम पर उतरने के बाद चांग ई-6 लगभग 1.9 किलोग्राम चट्टान और मिट्टी के साथ वापस आया।
टक्कर
अमेरिका को टक्कर दे रहा चीन
चीन अपने चंद्र मिशन के साथ अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका को कड़ी टक्कर दे रहा है, जिसके कारण अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लिए यह एक चिंता का भी विषय बन गया है, क्योंकि कुछ मिशनों में चीन उससे आगे निकल सकता है।
चीन के पास अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था बनाने और इस क्षेत्र में विश्व नेता बनने की रणनीतिक योजना है। इसका उद्देश्य एस्ट्रोयड और चंद्रमा जैसे पिंडों से खनिजों का पता लगाना और निकालना है।
मिशन
चीन का भविष्य का मिशन
चंद्रमा के बाद चीन मंगल ग्रह, मंगल और बृहस्पति के बीच के एस्ट्रोयड बेल्ट और बृहस्पति के चंद्रमाओं पर जाएगा। इसके बाद चीन के अगले कदमों में से एक रोबोट चांग ई-7 मिशन, 2026 में लॉन्च होने की उम्मीद है।
यह चंद्रमा के शेकलटन क्रेटर के प्रबुद्ध रिम पर उतरेगा, जो चंद्र दक्षिणी ध्रुव के बहुत करीब है। यह एक साहसिक कदम होगा, क्योंकि अमेरिका की भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अड्डे बनाने की महत्वाकांक्षा है।
स्टेशन
अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थाई रूप से बसाएगा चीन
चीन के पास पृथ्वी की कक्षा में तियांगोंग नामक एक चालक दल वाला अंतरिक्ष स्टेशन है। चीन का वर्तमान अंतरिक्ष स्टेशन 400 किलोमीटर की औसत ऊंचाई पर संचालित है।
चीन की योजना इस दशक के अंत तक इसे 3 ताइकोनॉट्स (चीनी अंतरिक्ष यात्री) द्वारा स्थायी रूप से बसाए जाने की है। जब तक ऐसा होगा तब तक उसी ऊंचाई पर परिक्रमा कर रहे अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) को बंद कर दिया जाएगा।
दौड़
अमेरिका और चीन के बीच दौड़
यह बहुत संभव है कि अमेरिका आर्टेमिस-3 मिशन और चीन के चांग ई-7 और चांग ई-8 मिशन सभी शेकलटन क्रेटर के करीब एक ही स्थान पर उतरना चाहेंगे।
केवल क्रेटर रिम्स ही अच्छे लैंडिंग साइट के रूप में कार्य कर सकेंगे, इसलिए चीन और अमेरिका के लिए योजनाओं का आदान-प्रदान करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। इन दोनों देशों को अपने भागीदारों के साथ चंद्रमा की खोज के मामले में आम सिद्धांतों पर सहमत होना पड़ सकता है।