#NewsBytesExplainer: क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा और यह कैसे मिलता है?
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग बढ़ती जा रही है। 29 जून को हुई जनता दल यूनाइटेड (JDU) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया गया है। JDU नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले भी कई बार राज्य को विशेष दर्जा देने की मांग उठा चुके हैं। आइए जानते हैं कि विशेष राज्य आखिर क्या होता है।
क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा?
विशेष राज्य का दर्जा उन राज्यों को दिया जाता है, जो देश के बाकी हिस्सों की तुलना में पिछड़े हुए हैं। ऐसे राज्यों को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार विशेष ध्यान देती है। विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद से प्रदेश सरकार को केंद्र की ओर से कई तरह की छूट और अनुदान मिलने लगते हैं। इसका सबसे बड़ा उद्देश्य पिछड़े हुए राज्यों को विकास के लिए सहायता करना है।
कहां से आया विशेष राज्य का सिद्धांत?
जरूरी बात ये है कि संविधान में राज्यों को विशेष दर्जा देने का कोई प्रावधान नहीं है। पहली बार ये सिद्धांत 1969 में 5वें वित्त आयोग की सिफारिशों के बाद आया था। इसे तत्कालीन योजना आयोग (नीति आयोग) के उपाध्यक्ष समाजशास्त्री धनंजय रामचंद्र गाडगिल ने की देन माना जाता है। उन्होंने इसे योजना आयोग की तीसरी पंचवर्षीय योजना में तैयार किया था। इसी साल असम, नागालैंड और जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था।
विशेष राज्य का दर्जा पाने के लिए क्या है मानदंड?
विशेष राज्य का दर्जा पाने के लिए कई मानदंड हैं। इनमें पहाड़ी और दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों वाले क्षेत्र, कम जनसंख्या घनत्व या पर्याप्त जनजातीय आबादी, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगने वाला एक रणनीतिक राज्य, आर्थिक और ढांचागत दृष्टिकोण से पिछड़ा हुआ राज्य और कमजोर वित्तीय स्थिति वाले राज्यों को शामिल किया जाता है। इसके अलावा राज्य के संसाधन, प्रति व्यक्ति आय, आय के स्रोत और प्रतिकूल स्थान जैसे पैमानों का भी ध्यान रखा जाता है।
क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा मिलने का फायदा?
विशेष दर्जा मिलने पर राज्य को आर्थिक तौर पर सबसे बड़ा फायदा होता है। आमतौर पर केंद्रीय योजनाओं में केंद्र की हिस्सेदारी 60 और राज्य की 40 प्रतिशत होती है, लेकिन विशेष राज्यों को केंद्र की ओर से 90 प्रतिशत तक सहायता दी जाती है। इसके अलावा विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क, आयकर और कॉर्पोरेट कर में भी रियायतें मिलती हैं। इन राज्यों को ऋण स्वैपिंग और ऋण राहत योजनाओं का लाभ भी मिलता था।
और क्या होते हैं फायदे?
इन राज्यों को देश के सकल बजट का 30 प्रतिशत हिस्सा मिलता है। अगर इन राज्यों को आवंटित धनराशि बच जाती है तो उसका उपयोग अगले वित्तीय वर्ष में किया जा सकता है। इन राज्यों को केंद्र सरकार की योजनाओं और परियोजनाओं में प्राथमिकता दी जाती है। प्राकृतिक आपदा के समय ऐसे राज्यों को जल्द राहत और पुनर्वास सहायता मिलती है। सामाजिक और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भी विशेष मदद मिलती है।
बिहार क्यों कर रहा विशेष दर्जे की मांग?
साल 2000 में तत्कालीन बिहार को 2 राज्यों बिहार और झारखंड में बांट दिया गया था। बिहार का कहना है कि विभाजन के बाद प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध हिस्सा झारखंड के पास चला गया है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। 2005 में जब नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे, तब भी उन्होंने ये मांग की थी। पिछले साल जातिगत जनगणना के बाद भी नीतीश ने ये मांग की थी।
किन राज्यों को मिला है विशेष दर्जा?
फिलहाल 11 राज्यों को विशेष दर्जा मिला हुआ है। इनमें असम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और तेलंगाना शामिल हैं। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 371 के अलग-अलग खंडों में खास प्रावधानों का जिक्र है। इसके जरिए ही राष्ट्रपति को महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा और गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ के लिए अलग विकास बोर्डों के गठन की शक्ति मिली है। कर्नाटक, गोवा और आंध्र प्रदेश के लिए भी विशेष प्रावधान हैं।