ऑनलाइन गेमिंग के लिए स्वतंत्र नियामक बनाने पर काम कर रही सरकार
केंद्र सरकार का इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) अब ऑनलाइन गेमिंग के लिए स्वतंत्र नियामक बनाने पर विचार कर रहा है। पहले मंत्रालय ने स्व-नियामक संस्था बनाने पर विचार किया था, लेकिन अब इस पर काम नहीं हो रहा। मंत्रालय के अनुसार, स्वतंत्र नियामक केवल रजिस्टर्ड कंपनियों को भारत में ई-गेमिंग सर्विस प्रदान करने की अनुमति देगा। इसके लिए दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालय (NLU) उद्योग जगत के हितधारकों के साथ मिलकर नियम बनाने पर काम कर रहा है।
डिजिटल गेमिंग का भारतीय अर्थव्यवस्था में अहम योगदान
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, लोकसभा चुनाव के बाद NLU मंत्रालय के अपनी सिफारिशें सौंप सकती है। इसकी पुष्टि करते हुए NLU के असिस्टेंट प्रोफेसर राघव पांडे ने कहा कि हितधारकों के लिए यूनिवर्सिटी अभी अलग-अलग दौर की बातचीत आयोजित कर रही है। गेमिंग उद्योग के बेहतर संचालन के लिए नियम जरूरी है। इसके लिए विकास और नियमों के बीच संतुलन आवश्यक है। जानकारों का कहना है कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
स्व-नियमन के विचार पर काम बंद
इससे पहले सरकार ने गेमिंग उद्योग के नियमन के लिए एक से अधिक स्व-नियमन संस्था बनाने पर विचार किया था। इन्हें भारतीय बाजार के लिए गेमिंग को अनुमति देने या न देने की शक्तियां दी जानी थी। बाद में सरकार को लगा कि ये संस्थाएं बड़ी कंपनियों के प्रभाव में आ सकती हैं और इनकी स्वतंत्रता से समझौता हो सकता है। इसलिए इस योजना पर काम बंद कर दिया गया।