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#NewsBytesExplainer: क्या है मतदान के आंकड़े जारी करने से जुड़ा मामला और फॉर्म 17C पर विवाद?
सुप्रीम कोर्ट ने मतदान के आकंड़े जारी करने की मांग वाली याचिका पर फैसला नहीं सुनाया है

#NewsBytesExplainer: क्या है मतदान के आंकड़े जारी करने से जुड़ा मामला और फॉर्म 17C पर विवाद?

लेखन आबिद खान
May 24, 2024
04:16 pm

क्या है खबर?

चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। 48 घंटे के भीतर मतदान के आंकड़े जारी करने वाली याचिका पर कोर्ट ने अंतरिम फैसला सुनाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि चुनावों के इस चरण में फैसला सुनाकर हम प्रक्रिया में बाधा नहीं डाल सकते। बता दें कि लोकसभा चुनावों के अंतिम आंकड़े जारी करने में देरी पर इन दिनों सियासी माहौल गर्म है। आइए जानते हैं कि ये पूरा मामला क्या है।

शुरुआत

कैसे हुई मामले की शुरुआत?

दरअसल, लोकसभा चुनाव के अलग-अलग चरणों में हुए मतदान का अंतिम आंकड़ा चुनाव आयोग ने कई दिनों बाद जारी किया था। पहले चरण का डेटा मतदान के 11 दिन और दूसरे चरण का 4 दिन बाद जारी किया गया था। इस पर कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने सवाल उठाए थे। पार्टियों ने आरोप लगाया था कि प्रारंभिक और अंतिम आंकड़ों में 5 प्रतिशत से भी ज्यादा का अंतर है।

अंतर

क्या वाकई मतदान के आंकड़ों में बड़ा अंतर है?

लोकसभा चुनाव के 5वें चरण में 20 मई को 8 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 49 सीटों पर मतदान हुआ था। आयोग द्वारा जारी शाम 7 बजे के आंकड़ों में पश्चिम बंगाल में 78.45 प्रतिशत मतदान हुआ था। हालांकि, 22 मई को जारी अंतिम आकड़ों में मतदान प्रतिशत बढ़कर 78.45 हो गया। इसी तरह बिहार में 7 बजे तक 52.55 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो 22 मई को बढ़कर 56.72 पर पहुंच गया था।

याचिका

ADR ने दायर की थी याचिका

इस मामले पर देश में चुनावों पर नजर रखने वाली संस्था एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें मांग की गई थी कि कोर्ट चुनाव आयोग को मतदान खत्म होने के 48 घंटे के भीतर अपनी वेबसाइट पर फॉर्म 17C की प्रति अपलोड करने का निर्देश दे। इस याचिका पर जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिट सतीश चंद्र शर्मा की पीठ सुनवाई कर रही थी।

फॉर्म 17C

फॉर्म 17C क्या होता है?

दरअसल, निर्वाचनों का संचालय नियम, 1961 के मुताबिक, 2 तरह के फॉर्म होते हैं, जिनमें मतदाताओं का डाटा होता है। एक होता है फॉर्म 17A और दूसरा फॉर्म 17C। फॉर्म 17A में मतदान अधिकारी वोट डालने के लिए आए हर मतदाता की जानकारी दर्ज करता है। जबकि, फॉर्म 17C में एक बूथ पर कुल पंजीकृत मतदाता और वोट देने आए मतदाताओं का लेखा-जोखा होता है। फॉर्म 17C को मतदान खत्म होने के बाद भरा जाता है।

फॉर्म 17C जानकारी

फॉर्म 17C में क्या-क्या जानकारी होती है?

फॉर्म 17C में हर मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या, एक विधानसभा या लोकसभा क्षेत्र पर पंजीकृत मतदाताओं की संख्या, मतदान नहीं करने वाले मतदाताओं की संख्या, मतदान के अधिकार से वंचित किए गए मतदाताओं की संख्या और मतपत्र द्वारा डाले गए वोटों की संख्या होती है। मतगणना के बाद इसमें हर उम्मीदवार को मिले वोट भी लिखे जाते हैं। इसमें 2 भाग होते हैं। पहले भाग को पीठासीन अधिकारी और दूसरे को मतगणना केंद्र का पर्यवेक्षक भरता है।

मांग

फॉर्म 17C को जारी करने की मांग क्यों की गई है?

मतदान खत्म होने के बाद फॉर्म 17C की एक प्रति हर उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट को दी जाती है। इससे पता लगाया जा सकता है कि एक पोलिंग बूथ पर कितने प्रतिशत मतदान हुआ है। ये जानकारी चुनाव आयोग की वोटर टर्नआउट ऐप पर नहीं होती है। मतगणना वाले दिन इसी फॉर्म में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों की संख्या भी भरी जाती है। इससे बूथ पर पड़ने वाले वोटों और EVM वोटों का मिलान किया जा सकता है।

आयोग

चुनाव आयोग फॉर्म 17C जारी क्यों नहीं करना चाहता?

कोर्ट में दायर किए गए हलफनामे में आयोग ने कहा, "उम्मीदवार या उसके एजेंट के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को फॉर्म 17C प्रदान करने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। फॉर्म 17C को वेबसाइट पर अपलोड करने से 'शरारत' हो सकती है, जिससे 'व्यापक असुविधा और अविश्वास' को बढ़ावा मिलेगा। कानून के मुताबिक, फॉर्म 17C को वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) मशीनों के साथ स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है।"