#NewsBytesExplainer: क्या होती हैं 'बॉक्स ऑफिस बॉम्ब' फिल्में, कैसे फ्लॉप फिल्मों से हैं अलग?
क्या है खबर?
एक फिल्म बनाने में बहुत समय लगता है। एक फिल्म को तैयार करने में सैकड़ों लोग काम करते हैं।
ये सभी इतने समय तक मेहनत दर्शकों के मनोरंजन और फिल्म की व्यावसायिक सफलता के लिए करते हैं, लेकिन हर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं होती।
आपने सफल और असफल के बारे में तो सुना होगा, लेकिन क्या कभी 'बॉक्स ऑफिस बॉम्ब' के बारे में सुना है?
अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं।
परिभाषा
क्या होता है 'बॉक्स ऑफिस बॉम्ब' का मतलब?
जब फिल्म बॉक्स ऑफिस के मैदान में उतरती है, तब इसकी बागडोर निर्माताओं के हाथ से निकलकर दर्शकों के हाथ में चली जाती है।
अगर फिल्म दर्शक को पसंद आई तो वह आगे बढ़ती है, अगर नहीं तो वह फ्लॉप हो जाती है, लेकिन कई फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बॉम्ब की तरह गिरती हैं।
दरअसल, 'बॉक्स ऑफिस बॉम्ब' शब्द उन फिल्मों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो पहले ही दिन फेल हो जाती हैं।
विस्तार
निराशाजनक शुरुआत के बाद भी नहीं पकड़ती रफ्तार
साफ शब्दों में कहें तो ये वे फिल्में होती हैं, जिनकी बॉक्स ऑफिस पर निराशाजनक शुरुआत होती है।
खराब शुरुआत तो बहुत फिल्मों की होती हैं, लेकिन कई फिल्में बाद में कमाई करने लगती है। वहीं 'बॉम्ब' फिल्में गति नहीं पकड़ पाती और जल्द सिनेमाघरों से हटा दी जाती है।
आलम यह रहता है कि ये फिल्म अपनी लागत तक निकलाने में विफल रहती हैं।
इनमें निवेश करने वाले वितरक, स्टूडियो-प्रोडक्शन कंपनी पैसों का नुकसान झेलते हैं।
अंतर
फ्लॉप और 'बॉक्स ऑफिस बॉम्ब' में क्या होता है अंतर?
आपके दिमाग में सवाल होगा कि आखिर फ्लॉप फिल्मों में भी निर्माताओं को नुकसान उठाना पड़ता है तो फिर 'बॉक्स ऑफिस बॉम्ब' और उसमें क्या अंतर है?
बता दें, फ्लॉप फिल्में कुछ हद तक सिनेमाघरों में या अन्य तरीकों से कमाई करने में सफल रहती हैं, लेकिन अगर कोई फिल्म 'बॉम्ब' होती है तो इसका मतलब है कि यह पूरी तरह से विफल हो गई।
ऐसी फिल्में अपने संगीत, OTT राइट्स या अन्य तरीकों से भी कमाई नहीं कर पाती।
कारण
क्या होता है इनकी विफलता का कारण?
फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर खराब प्रदर्शन के कई कारण हो सकते हैं। इनमें से सबसे पहला समीक्षकों द्वारा दी गईं खराब समीक्षाएं होती हैं।
फिल्म की कहानी, उसके कलाकारों का अभिनय, पटकथा किसी भी फिल्म के सफल और असफल होने मूल कारण होते हैं। ऐसे में अगर यह ही अच्छे नहीं होंगे तो फिल्म नहीं चलेगी।
इसके अलावा दर्शकों द्वारा फिल्म के लिए किया गया दुष्प्रचार भी किसी फिल्म की ऐसी असफलता का कारण बनता है।
OTT
OTT भी बन गया है बड़ा कारण
OTT की मौजूदगी ने सिनेमाघरों की ओर रुख करने वाले दर्शकों को बांट दिया है। अब बड़ी संख्या में दर्शक फिल्मों के OTT प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने का इंतजार करते हैं।
कई बार बहुत सी फिल्मों का विषय ऐसा होता है, जिन्हें दर्शक सिनेमाघरों में पैसे खर्च करके देखना पसंद नहीं करते हैं। वे सभी ऐसी फिल्मों का OTT पर लुत्फ उठाते हैं।
तो कहना गलत नहीं होगा कि फिल्मों की असफलता में OTT भी मुख्य कारण है।
उदाहरण
ये हैं इन फिल्मों के उदाहरण
बॉलीवुड 'बॉक्स-ऑफिस बॉम्ब' से अछूता नहीं है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी कई फिल्में ऐसी हैं, जिन्हें दर्शकों ने सिरे से नकार दिया था।
इनमें अजय देवगन की 'तेज', अक्षय कुमार की 'जोकर', राम चरण की 'जंजीर', 'बॉम्बे वेलवेट', 'शानदार', 'फितूर', 'रंगून', 'ए जेंटलमैन' और 'राब्ता' जैसी फिल्में शामिल हैं।
ऐसी फिल्में धीरे-धीरे गुमनामी में खो जाती हैं और इनमें काम करने वाले अभिनेता भी अक्सर इनका जिक्र करना पसंद नहीं करते।