
नागरिक क्षेत्रों पर खत्म होगा सैन्य छावनियों का नियंत्रण, सरकार ने क्यों लिया फैसला?
क्या है खबर?
रक्षा मंत्रालय ने एक बड़े फैसले में देश की सभी 62 सैन्य छावनी बोर्ड को खत्म करने, उन्हें सैन्य स्टेशनों में बदलने और इनमें से नागरिक क्षेत्रों को राज्य नगर निकायों में एकीकृत करने का आदेश दिया है।
इसका मतलब यह है कि सैन्य स्टेशन भारतीय सेना के पास रहेंगे, जबकि इसके बाहर के क्षेत्र राज्य सरकार को हस्तांतरित किए जाएंगे।
मंत्रालय का कहना है कि साल 2024 के अंत तक ये सभी काम पूरे हो जाएंगे।
फैसला
क्या है फैसला?
छावनियों को लिखे पत्र में सरकार ने नागरिक क्षेत्रों को अलग करने और उन्हें राज्य नगर पालिकाओं में विलय करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
पत्र में कहा गया है, "छावनी क्षेत्र में नागरिक सुविधाएं और नगरपालिका सेवाएं प्रदान करने के लिए बनाई गई सभी परिसंपत्तियों पर स्वामित्व अधिकार राज्य सरकार/राज्य नगर पालिकाओं को हस्तांतरित किए जाएंगे। छावनी बोर्डों की परिसंपत्तियां और देनदारियां राज्य नगर पालिकाओं को हस्तांतरित की जाएंगी।"
फायदा
क्या होगा फायदा?
छावनी के नागरिक क्षेत्र स्थानीय निकाय में मिलने के बाद लोग सरकार की सभी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।
ऐसे इलाकों में मकान के नक्शों समेत बिजली-पानी के कनेक्शन लेने में भी आसानी होगी।
दरअसल, अभी इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को व्यापार लाइसेंस, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र, जल आपूर्ति और सीवरेज कनेक्शन जैसी सेवाएं छावनी बोर्ड द्वारा दी जाती है।
बीते लंबे समय से नागरिक क्षेत्रों को छावनियों से अलग करने की मांग उठ रही थी।
वजह
सरकार ने क्यों लिया फैसला?
सरकार का मानना है कि छावनी पुरानी औपनिवेशिक विरासत का हिस्सा है और इस व्यवस्था से नागरिकों को राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से कुछ हद तक वंचित रहना पड़ता है।
पिछले कुछ समय से सरकार औपनिवेशिक विरासत को खत्म करने और शासन सुधार की दिशा में बड़े कदम उठा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई बार औपनिवेशिक काल के तौर-तरीकों पर सवाल उठा चुके हैं। इस फैसले को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
मांग
आजादी के समय से उठती रही है मांग
नागरिक और सैन्य क्षेत्रों को अलग करने का मुद्दा काफी पुराना है।
1948 में कांग्रेस नेता एसके पाटिल की अध्यक्षता वाली एक समिति ने 6 छावनियों में नागरिक क्षेत्रों को अलग करने की सिफारिश की थी।
हालांकि, इस पर अमल नहीं किया जा सका। इसके बाद से लगातार ये मुद्दा उठता रहा है। है।
बता दें कि देश में फिलहाल 62 सैन्य छावनियां हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 1.61 लाख एकड़ है।