ताइवान संकट: भारत ने की संयम बनाए रखने और तनाव कम करने की अपील
क्या है खबर?
चीन और ताइवान के बीच चल रहे तनाव पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि इन घटनाक्रमों को लेकर भारत चिंतित है और वह क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कार्रवाई से बचने का अनुरोध करता है।
ताइवान संकट पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने कहा कि वह क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने का पक्षधर है।
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से ताइवान और चीन के बीच तनाव बढ़ रहा है।
बयान
अन्य देशों की तरह भारत भी चिंतित- बागची
मीडिया से बात करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि कई अन्य देशों की तरह भारत भी हालिया घटनाक्रमों को लेकर चिंतित है। भारत संयम बरतने, यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा कार्रवाई से बचने, तनाव कम करने और क्षेत्र में शांति और स्थित बनाए रखने की अपील करता है।
बागची ने कहा कि भारत की नीति सर्वविदित हैं और इन्हें दोहराने की जरूरत नहीं है।
जानकारी
ताइवान से नहीं निकाले जाएंगे भारतीय- विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय ने मीडिया ब्रीफिंग में यह भी साफ कि फिलहाल ताइवान से भारतीयों की निकासी की कोई योजना नहीं है।
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ताइवान का दौरा किया था। इसके बाद से चीन आग-बबूला है और वह उकसावे वाली कार्रवाई कर रहा है।
4 अगस्त को ताइवान ने दावा किया कि चीन ने उसके नजदीक समुद्र में 11 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी थीं।
दावा
आक्रमण की तैयारी कर रहा चीन- ताइवान
बीते मंगलवार को ताइवान ने कहा कि चीन सैन्य अभ्यास के जरिए उस पर आक्रमण की तैयारी कर रहा है। ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने यह दावा किया।
उन्होंने चीन के इस खेल को ताइवान के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताया और कहा कि चीन ताइवान के आसपास के समुद्री इलाके और विस्तृत एशिया-प्रशांत इलाके पर अपना नियंत्रण चाहता है।
उन्होंने कहा, "चीन का असल मकसद ताइवान जलडमरूमध्य और पूरे इलाके में यथास्थिति को बदलना है।"
विवाद
ताइवान को लेकर क्या है विवाद?
ताइवान चीन के दक्षिण-पूर्वी तट से लगभग करीब 160 किलोमीटर दूर स्थित एक द्वीप है।
चीन उसे अपना हिस्सा मानता है, वहीं ताइवान खुद को स्वतंत्र देश के तौर पर देखता है। उसका अपना संविधान है और वहां लोकतांत्रिक तरीके से सरकार चुनी गई है।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बयान दे चुके हैं कि ताइवान का 'एकीकरण' पूरा होकर रहेगा। उनके बयान से संकेत मिलता है कि वो इसके लिए ताकत के इस्तेमाल से भी परहेज नहीं करेंगे।
तनाव
तनावपूर्ण बने हुए हैं चीन और ताइवान के संबंध
पिछले कुछ समय से चीन और ताइवान के संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं।
चीन कई मौके पर ताइवान के एयरस्पेस में अपने लड़ाकू विमान भेजकर उस पर दबाव बनाने की कोशिश कर चुका है।
खबरें हैं कि जिस वक्त पेलोसी ताइपेई में ताइवानी राष्ट्रपति के साथ मुलाकात कर रही थीं, उस वक्त भी चीन ने ताइवान के एयरस्पेस का उल्लंघन किया था।
पिछले साल अक्टूबर में एक दिन में 56 चीनी विमान ताइवानी एयरस्पेस में घुसे थे।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
चीन को क्यों चाहिए ताइवान पर नियंत्रण?
कई विशेषज्ञों का कहना है कि अगर चीन ताइवान को कब्जे में ले लेता है तो पश्चिमी प्रशांत महासागर में उसका दबदबा बढ़ जाएगा। इससे गुआम और दूसरे द्वीपों पर मौजूद अमेरिका के सैन्य ठिकानों पर खतरा बढ़ जाएगा।
वहीं यह अमेरिका के सहयोगी माने जाने वाले द्वीपों में शामिल है, जो उसकी विदेश नीति के लिए बेहद जरूरी है।
हालांकि, चीन इन आशंकाओं का खारिज करते हुए कहता है कि वह शांतिपूर्ण इरादों से आगे बढ़ रहा है।