काबुल से सुरक्षित निकाले गए भारतीयों को लेकर दिल्ली पहुंचे एयर इंडिया के दो विमान
क्या है खबर?
तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से निकाले गए भारतीयों को कल रात एयर इंडिया की दो फ्लाइट्स की मदद से दिल्ली लाया गया। इनमें से एक फ्लाइट ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे और दूसरी फ्लाइट कतर की राजधानी दोहा से भारतीयों को लेकर आई। इन लोगों को पिछले कुछ दिनों में वायुसेना के विमानों से काबुल से यहां लाया गया था।
दुशांबे की फ्लाइट में 87 और दोहा से आई फ्लाइट में 135 भारतीय सवार थे।
अन्य फ्लाइट
वायुसेना के विमान से काबुल से सीधे दिल्ली लाए जा रहे 168 यात्री
इन दोनों विमानों के अलावा वायुसेना का एक विशेष विमाअरिंदम बागचीन भी 107 भारतीयों समेत 168 यात्रियों को सीधे काबुल से दिल्ली ला रहा है। ये विमान आज सुबह काबुल से रवाना हुआ।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट कर ये जानकारी दी। उन्होंने कुछ तस्वीरें और एक वीडियो भी शेयर किया जिसमें दुशांबे से दिल्ली पहुंच रहे भारतीयों को फ्लाइट में भारत माता की जय के नारे लगाते हुए सुना जा सकता है।
बचाव अभियान
अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं लगभग 1,000 भारतीय
बता दें कि अफगानिस्तान के कई शहरों में लगभग 1,000 भारतीय नागरिक फंसे हैं। भारत सरकार के सामने इन लोगों को सुरक्षित निकालने की चुनौती है और वह इसके लिए अमेरिकी सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है। सरकार का प्रमुख उद्देश्य विमानों को काबुल एयरपोर्ट तक पहुंचाना है।
काबुल शहर में तालिबानी लड़ाके हथियारों के साथ खड़े हैं और हवाई अड्डे की ओर आने वाले वाहनों को रोक रहे हैं। इनसे बचकर एयरपोर्ट पहुंचना एक बड़ी चुनौती है।
मामला
कल 150 भारतीयों को पुलिस स्टेशन ले गए थे तालिबान के लड़ाके
गौरतलब है कि तालिबान के लड़ाकों ने शनिवार सुबह लगभग 150 भारतीयों को एयरपोर्ट के पास रोक लिया था और उन्हें पास के ही एक पुलिस स्टेशन ले गए थे। यहां उनसे पूछताछ की गई और पासपोर्ट समेत उनके जरूरी दस्तावेज देखे गए।
इसके बाद इन्हें जाने दिया गया और ये सुरक्षित एयरपोर्ट पहुंच गए। अब इन्हें वायुसेना के विमान की मदद से वहां से निकाला गया है। इन लोगों में कुछ अफगान सिख और हिंदू भी शामिल थे।
पृष्ठभूमि
अफगानिस्तान में क्या चल रहा है?
अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है और अपनी सरकार बनाने की जुगत में लगा हुआ है। उसका प्रयास है कि वह एक ऐसी सरकार बना सके जो अफगानिस्तान के अधिकांश लोगों को स्वीकार हो और इस संबंध में आज उसके नुमांइदे देश के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और वरिष्ठ नेता अब्दुल्ला अब्दुल्ला से मिले।
तालिबान ने साफ कर दिया है कि देश में लोकतंत्र नहीं होगा।
समीकरण
तालिबान के कब्जे के बाद भारत के लिए बदल गए हैं समीकरण
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के साथ ही भारत के लिए सारे समीकरण बदल गए हैं जो अभी तक अफगानिस्तान में लोकतंत्र और विकास को बढ़ावा देने में आगे रहा है।
भारत को आशंका है कि तालिबान के आने के बाद पाकिस्तान अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए कर सकता है।
भारत अभी स्थिति पर नजर बनाए हुए है, हालांकि उसकी पहली प्राथमिकता वहां फंसे भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकालना है।