#NewsBytesExplainer: टमाटर-प्याज समेत खाद्य पदार्थों की कीमतों पर नियंत्रण के लिए क्या कर रही सरकार?
भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (NCCF) सोमवार से खुदरा दुकानों और मोबाइल वैन के माध्यम से 25 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी दर पर प्याज उपलब्ध करवा रहा है। केंद्र सरकार के इस कदम का उद्देश्य लोगों को बढ़ती महंगाई से राहत देना है। इसके अलावा सरकार ने प्याज के निर्यात पर भी शुल्क बढ़ा दिया है। आइए जानें सरकार खाद्य पदार्थों की कीमतें काबू में लाने के लिए क्या कर रही है।
सरकार ने प्याज का निर्यात शुल्क क्यों बढ़ाया?
रविवार को सरकार ने प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाने की घोषणा की है। सरकार ने कहा, "यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा और 31 दिसंबर, 2023 तक लागू रहेगा।" सरकारी अधिसूचना का उद्देश्य प्याज के निर्यात को घटाना और घरेलू बाजार में उपलब्धता बढ़ाने के साथ ही त्योहारी सीजन में प्याज की कीमतों को कम रखना है। सरकार प्याज का बफर स्टॉक 3 लाख लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 5 लाख मीट्रिक टन करना चाहती है।
सरकार ने सहकारी समितियों को क्या दिए हैं निर्देश?
सरकार ने NCCF और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (NAFED) को प्याज के बफर स्टॉक का अतिरिक्त लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रत्येक एजेंसी को 1 लाख मीट्रिक टन प्याज खरीदने का निर्देश दिया है। सरकार ने कहा, "आने वाले दिनों में अन्य एजेंसियों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों को शामिल करके प्याज की खुदरा बिक्री को उचित रूप से बढ़ाया जाएगा। यह एजेंसियां रियायती दरों पर उपभोक्ताओं को प्याज उपलब्ध कराएगी।"
सरकार सब्सिडी में क्यों बेच रही है प्याज?
हाल के दिनों में टमाटर की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार पहले से ही एहतियाती कदम उठा रही है। भारत में खाद्य पदार्थों की कीमतों में व्यापक वृद्धि के कारण जुलाई में महंगाई दर 15 महीने के अपने उच्चतम स्तर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई। तेजी से बढ़ती महंगाई दर के पीछे एक बड़ा कारण टमाटर की कीमतों में हुई अचानक वृद्धि भी रही। इसके चलते सरकार सहकारी समितियों के माध्यम से सब्सिडी दरों पर प्याज बेच रही है।
सरकार इससे पहले सब्सिडी में बेच रही है टमाटर
देश के कई शहरों में जुलाई में टमाटर की कीमत 200 से 250 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थी। इसके बाद सरकार ने लोगों को महंगाई से राहत देने के लिए सहकारी समितियों के माध्यम से सब्सिडी में 90 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर टमाटर बेचे थे। अब सरकार 70 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर टमाटर बेच रही है, जबकि कई शहरों में अभी भी टमाटर की कीमत 150 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास बनी हुई है।
क्या है सरकार की चिंता का कारण?
केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए लगातार खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें और महंगाई एक बड़ी चिंता है। अभी कई प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने अनाज, दालों, खाद्य तेलों और सब्जियों की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए कई उपाए किये हैं। वह खाद्य पदार्थों की कीमतों पर काबू पाने के लिए प्रयासरत है। भाजपा सरकार नहीं चाहेगी की महंगाई का असर उसके वोट बैंक पर पड़े।
अनाज की कीमतें कम करने के लिए क्या कर रही है सरकार?
अनाज की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने हाल में खुली बाजार बिक्री योजना (OMSS) को मंजूरी दी है। इसके तहत खुले बाजार में गेंहू और चावल को उतारा गया है। सरकार ने थोक खरीदारों के सामने यह शर्त रखी है कि वह गेहूं को आटे में बदलकर बाजार में इसे जनता को अधिकतम खुदरा मूल्य 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम में बेचेंगे। सरकार पहले ही गेंहू और गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा चुकी है।
दालों की कीमतें घटाने के लिए सरकार ने क्या किये उपाय?
दालों की बढ़ती कीमतें भी सरकार के लिए बड़ी चिंता का कारण है। घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत हमेशा से ही आयात पर निर्भर रहा है। सरकार ने तुअर और उड़द जैसी लोकप्रिय खपत वाली दालों का आयात शुल्क 31 मार्च, 2024 तक हटा दिया है। 17 जुलाई से खाद्य मंत्रालय के आदेश पर NAFED और NCCF जैसी सहकारी समितियां लोगों को सब्सिडी में चना दाल 60 रुपये प्रति किलोग्राम में उपलब्ध करवा रही है।
सरकार के लिए खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतें भी चुनौती
भारत खाद्य तेलों की अपनी घरेलू आवश्यकता का लगभग 50 प्रतिशत से 60 प्रतिशत आयात करता है। भारत सरकार के लिए खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाना भी एक बड़ी चुनौती है। हाल में सरकार ने कच्चे पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर मूल आयात शुल्क 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया। इसके अलावा रिफाइंड सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर मूल शुल्क 32.5 प्रतिशत से घटाकर 17.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
न्यूज 18 के अनुसार, पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन ने कहा कि बढ़ती खाद्य पदार्थों की कीमतों के लिए मौसम जिम्मेदार है और देश में कृषि उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार का खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंतित होना वाजिब है और उसके द्वारा घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए उठाए जा रहे कदमों को सही ठहराया जा सकता है। उन्होंने चेताया है कि भविष्य में और बड़ा खाद्य सकंट खड़ा हो सकता है।