भारत ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगाई रोक, जानिए क्या है कारण
केंद्र सरकार ने चावल के विदेश निर्यात पर रोक लगा दी है। इन दिनों अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतें पिछले एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। सरकार के इस निर्णय से अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतें और भी बढ़ सकती है क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है। उपभोक्ता मामले और खाद्य मंत्रालय ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का यह आदेश जारी किया है।
खाद्य मंत्रालय ने अपने आदेश में क्या कहा?
खाद्य मंत्रालय ने आदेश में कहा, "गैर-बासमती चावल की खेप को कुछ शर्तों के तहत निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी। अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार की मंजूरी और अन्य सरकारों के अनुरोध पर निर्यात की भी अनुमति दी जाएगी।" मंत्रालय ने बयान में कहा कि देश में चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और घरेलू बाजार में कीमतों में हो रही वृद्धि को रोकने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
भारत ने चावल निर्यात पर क्यों लगाई रोक?
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसंधान निदेशक पूषन शर्मा ने कहा कि भारत में मार्च तक चावल की कीमतें 14 से 15 प्रतिशत के करीब बढ़ीं है और सरकार ने स्पष्ट रूप से घरेलू खाद्य सुरक्षा और बढ़ती महंगाई के चलते इसे खतरे के तौर पर देखा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए पिछले साल ही गेहूं और चीनी के निर्यात पर अंकुश लगा दिया था।
चावल के वैश्विक निर्यात पर विशेषज्ञों ने क्या कहा?
समाचार एजेंसी AFP से रबोबैंक के वरिष्ठ विश्लेषक ऑस्कर तजकरा ने कहा कि वैश्विक रूप से चावल प्रमुख भोजन है और भारत के बाद दुनिया के अन्य देशों में कम उत्पादन के चलते इतनी क्षमता में निर्यात नहीं होता है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर चावल के प्रमुख निर्यातक देश थाईलैंड, वियतनाम और कुछ हद तक पाकिस्तान और अमेरिका हैं और इन देशों से भारत के बराबर पर्याप्त चावल की वैश्विक आपूर्ति नहीं होगी।
भारत की वैश्विक चावल निर्यात में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी
डाटा एनालिटिक्स फर्म ग्रो इंटेलिजेंस के अनुसार, वैश्विक चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक है। ऐसे में इस निर्णय से चावल आयात पर अत्यधिक निर्भर देशों में खाद्य असुरक्षा बढ़ सकती है। भारत द्वारा प्रतिबंध से प्रभावित होने वाले देशों में तुर्की, सीरिया, पाकिस्तान और अधिकांश अफ्रीकी देश शामिल हैं। ये सभी देश पहले ही महंगाई से जूझ रहे हैं। इससे पहले सरकार ने गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क भी लगा दिया था।