#NewsBytesExplainer: भारत सरकार ने लैपटॉप, टैबलेट और कंप्यूटर के आयात पर प्रतिबंध क्यों लगाया?
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने गुरुवार को लैपटॉप, टैबलेट, पर्सनल कंप्यूटर, अल्ट्रा-स्मॉल कंप्यूटर और सर्वर के आयात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया।
अब वैध लाइसेंस के आधार पर ही इन वस्तुओं के आयात की अनुमति दी जाएगी, यानि भारत में बिक्री के लिए लैपटॉप और कंप्यूटर आयात करने वाली किसी भी इकाई या कंपनी को इसके लिए लाइसेंस लेना होगा।
आइए जानते हैं कि सरकार ने लैपटॉप के आयात पर प्रतिबंध का ये फैसला क्यों लिया है।
कोड
सरकार ने किस नियम के तहत लगाया प्रतिबंध?
सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की 7 श्रेणियों के आयात पर HSN कोड के तहत प्रतिबंध लगाया है। HSN कोड एक वैश्विक वर्गीकृत प्रणाली है, जिसका उपयोग टैक्सेशन के लिए वस्तुओं की पहचान करने के लिए होता है।
HSN कोड 8471 के तहत डाटा प्रोसेसिंग मशीनों को वर्गीकृत किया गया है। इस कोड का उपयोग उन उपकरणों की पहचान करने के लिए किया जाता है, जो डाटा प्रोसेसिंग कार्य करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।
प्रतिबंध क्यों
सरकार ने आयात पर क्यों लगाया प्रतिबंध?
आयात पर प्रतिबंध लगाने के पीछे भारत सरकार का उद्देश्य स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है। सरकार का हमेशा से भारत को मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बनाना रहा है।
सरकार 'मेक इन इंडिया' मुहिम के तहत उच्च मांग वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के आयात को प्रतिबंधित करके विदेशी बाजारों पर निर्भरता कम करना चाहती है।
इसके अलावा सरकार के इस कदम के पीछे का उद्देश्य दुनियाभर की शीर्ष कंपनियों को भारत में मैन्युफैक्चरिंग के लिए आमंत्रित और आकर्षित करना है।
छूट
क्या प्रतिबंध में कोई छूट दी गई है?
विदेश व्यापार नीति के प्रावधानों के तहत जो बिल ऑफ लैडिंग और लेटर ऑफ क्रेडिट 3 अगस्त से पहले जारी किए गए हैं, उनके तहत इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का आयात किया जा सकता है।
हालांकि, 4 अगस्त से आयातक को वैध लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा। लाइसेंस प्राप्त करने के लिए व्यापारी का नियमित आयातक होना जरूरी है।
ई-कॉमर्स वेबसाइट से खरीदे गए एक लैपटॉप, टैबलेट और ऑल-इन वन कंप्यूटर आदि के आयात की भी छूट दी गई है।
आदेश में
प्रतिबंध से और किस-किस आयात को छूट?
यह प्रतिबंध बैगेज नियमों के तहत होने वाले आयात पर लागू नहीं होगा।
रिसर्च और डेवलेपमेंट, टेस्टिंग, बेंचमार्किंग, रिपेयरिंग, प्रोडक्ट डेवलपमेंट और फिर से निर्यात करने के मामलों में प्रति खेप 20 प्रोडक्ट मंगाने पर आयात लाइसेंस से छूट प्रदान की गई है।
हालांकि, आयातित सामान का उपयोग केवल बताए गए उद्देश्यों के लिए होगा और उन्हें बेचा नहीं जा सकेगा।
केंद्र सरकार ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि सभी आयात लागू शुल्क के भुगतान के अधीने होंगे।
असर
सरकार की घोषणा से किन कंपनियों पर पड़ेगा असर?
सरकार की इस घोषणा से उन कंपनियों को झटका लगेगा, जो अपने उत्पादों का थोक आयात करती हैं।
ऐपल जैसे बड़ी कंपनियों को अब भारत में अपने लैपटॉप का निर्माण शुरू करना होगा या भारत में अपने उपकरणों का आयात बंद करना होगा। यही नियम लेनोवो, HP, आसुस, एसर और सैमसंग जैसे अन्य कंप्यूटर निर्माताओं पर भी लागू होगा।
इससे भारतीय बाजार में मौजूद लैपटॉप, कंप्यूटर, मैकबुक और मैक मिनी की कीमत में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
संकेत
क्या भारत में मैन्युफैक्चरिंग करने को तैयार हैं वैश्विक कंपनियां?
सरकार ने पहले ही विदेशी बाजार पर निर्भरता कम करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाने के संकेत दे दिए थे।
यही कारण है कि ऐपल, फॉक्सकॉन और वॉलमार्ट समेत कई कंपनियां पहले ही भारत में स्थानीय इकाइयां स्थापित करने के लिए भारी निवेश कर चुकी हैं।
इसी कड़ी में दुनिया की सबसे प्रसिद्ध इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी टेस्ला भी भारत में सस्ती मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक स्थानीय कारखाना खोलने की योजना बना रही है।