#NewsBytesExplainer: पाकिस्तान की नेशनल असेंबली भंग, संकट से जूझ रहे देश के लिए अब आगे क्या?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सिफारिश पर बुधवार को नेशनल असेंबली को भंग कर दिया गया। इससे यहां आम चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान इन चुनाव में भाग नहीं ले सकते। अप्रैल, 2022 में सत्ता से बेदखल होने के बाद इमरान को भ्रष्टाचार के एक मामले में पिछले हफ्ते 3 साल की सजा सुनाई गई थी। आइए जानते हैं कि संसद भंग होने के बाद अब आगे क्या होगा।
राष्ट्रपति ने निवर्तमान सरकार को क्या आदेश दिया?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रधानमंत्री शहबाज की सलाह पर पाकिस्तानी राष्ट्रपति आरिफ अलवी ने संसद के निचले सदन 'नेशनल असेंबली' को उसके 5 साल के संवैधानिक कार्यकाल की समाप्ति से 3 दिन पहले भंग कर दिया। पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने निवर्तमान सरकार को नया अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त करने के लिए 3 दिन और आम चुनाव कराने के लिए 90 दिन का समय दिया है। हालांकि, निवर्तमान सरकार ने चेतावनी दी है कि आम चुनाव अगले साल तक विलंबित हो सकते हैं।
समय से पहले नेशनल असेंबली भंग करने के क्या हैं कारण?
शहबाज सरकार 11 अगस्त को संसद भंग करना चाहती थी, लेकिन उसे आशंका थी कि इमरान की पार्टी के पूर्व नेता और राष्ट्रपति अलवी संसद भंग करने के लिए तुरंत अधिसूचना जारी करने से इनकार कर सकते हैं। समय से पहले संसद भंग होने पर पाकिस्तान के चुनाव आयोग द्वारा 90 दिनों के भीतर चुनाव कराए जाते हैं और अगर नेशनल असंबेली ने अपना संवैधानिक कार्यकाल पूरा कर लिया होता तो 60 दिनों के भीतर चुनाव होते हैं।
क्या पाकिस्तान में चुनाव हो सकते हैं स्थगित?
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान सरकार चुनाव स्थगित करने पर विचार कर रही है क्योंकि वह राजनीतिक चुनौतियों को रोकने में संघर्ष कर रही है। इसके अलावा आर्थिक संकट के चलते देश अस्थिरता से जूझ रहा है, जिससे अमेरिका भी चिंतित है। अमेरिकी अधिकारी जॉन किर्बी ने कहा, "हम पाकिस्तान में हिंसक कार्रवाई को लेकर चिंतित हैं, जो किसी भी अन्य देश में अस्थिरता ला सकती है, जिनके साथ हम आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए हित साझा करते हैं।"
क्या पाकिस्तान में बढ़ रहा है सैन्य दखल?
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने 2018 में देश में हुए पिछले आम चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीती थीं। पूर्व क्रिकेट स्टार इमरान ने चुनाव नतीजों की घोषणा के 3 दिन बाद प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। आम चुनावों के फिर से नजदीक आने के साथ पाकिस्तान की सेना एक बार फिर संघर्षग्रस्त देश पर अपनी छाया डाल रही है। पाकिस्तान सेना ने 1947 के बाद से कम से कम 3 सफल तख्तापलट किए हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का मानना है कि इमरान की लोकप्रियता और उनका निष्कासन दोनों काफी हद तक सेना से प्रभावित थे, जिनके साथ उनका नियमित रूप से टकराव होता रहता था। इमरान ने सेना के खिलाफ असहमति का अभियान चलाते हुए राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप लगाया और अपने समर्थकों को सेना के खिलाफ खड़ा कर दिया, लेकिन उनका यह अभियान अंतत: विफल हो गया। पाकिस्तान की राजनीति में सैन्य हस्तक्षेप कोई नया नहीं है। यह हमेशा रहा है और आगे भी रहेगा।