#NewsBytesExplainer: कोविशील्ड के बाद अब कोवैक्सीन से साइड इफेक्ट्स का खतरा, क्या-क्या बीमारियां हो सकती हैं?
क्या है खबर?
कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोविशील्ड के बाद अब कोवैक्सीन भी सवालों के घेरे में आ गई है।
हालिया शोध में पता चला है कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन लगवाने वाले लगभग एक तिहाई लोगों में एक साल बाद कई तरह के साइड इफेक्ट्स देखे गए हैं।
आइए जानते हैं कोवैक्सीन लेने वालों में किस तरह की बीमारियां देखने को मिल रही हैं।
शोध
BHU ने की शोध
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) ने कोवैक्सीन को लेकर एक शोध किया है। इससे पता चला है कि कोवैक्सीन लगवाने वाले 3 में से एक व्यक्ति में साइड इफेक्ट नजर आए हैं।
साइंस जर्नल स्प्रिंगरलिंक में एक आर्टिकल में इस बात का खुलासा किया गया है। इन साइड इफेक्ट्स को चिकित्सकीय भाषा में एडवर्स इवेंट्स ऑफ स्पेशल इवेंट (AESI) नाम दिया गया है।
इस शोध का उद्देश्य ये पता लगाना था कि लंबी अवधि में वैक्सीन का क्या असर होता है।
किशोर
635 किशोरों और 291 व्यस्कों पर किया गया शोध
इस शोध में 635 किशोर और 291 वयस्क शामिल थे। इस दौरान टीका लगवा चुके लोगों से वैक्सीन लगवाने के एक साल बाद टेलीफोन पर बात की गई। इसके बाद उनसे सेहत से जुड़े कुछ सवाल किए गए।
सारे लोगों से मिले जवाबों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की गई। इसमें पाया गया कि कोवैक्सीन लगवाने वाले करीब एक तिहाई लोग एक ही तरह के साइड इफेक्ट से जूझ रहे हैं।
सांस संबंधी बीमारियां
47 प्रतिशत किशोरों को हुई सांस संबंधी बीमारियां
शोध में सामने आया कि 47.9 प्रतिशत यानी कि 304 किशोरों और 42.6 प्रतिशत यानी 124 व्यस्कों में टीकाकरण के एक साल बाद सांस संबंधी संक्रमण की शिकायतें आईं।
इनमें खास तौर पर अपर रेस्पिरेटी ट्रैक्ट इंफेक्शन की शिकायतें मिलीं, जिससे जुकाम, सर्दी और नाक से पानी आने जैसी समस्याएं होने लगी। 4.7 प्रतिशत लोगों में नसों से जुड़ी दिक्कतें देखी गईं। वहीं 5.8 प्रतिशत युवाओं में टीके की वजह से नसों और जोड़ों में दर्द की समस्या आई है।
त्वचा संबंधी बीमारियां
वैक्सीन लेने वालों में त्वचा संबंधी बीमारियों भी देखी गईं
शोध में शामिल 10.5 प्रतिशत किशोरों ने त्वचा संबंधी समस्याएं होने की शिकायत की। 10.2 प्रतिशत लोगों ने सामान्य समस्याएं होने की बात कही।
8.9 प्रतिशत लोगों ने जनरल डिसऑर्डर, 5.5 प्रतिशत व्यस्कों ने नस से संबंधित समस्याएं और 4.7 प्रतिशत लोगों ने नर्वस सिस्टम से जुड़े डिसऑर्डर होने की शिकायत की।
शोध में कहा गया कि कोवैक्सिन के 2 डोज लेने वाले की तुलना में 3 डोज लेने वाले वयस्कों में AESI का जोखिम 4 गुना ज्यादा था।
मौत
शोध में शामिल 4 व्यस्कों की मौत
शोध में शामिल हुए 4 वयस्कों की मौत भी हुई है। इनमें 3 महिलाएं और एक पुरुष शामिल है। चारों को डायबिटीज की समस्या थी और 3 को उच्च रक्तचाप की दिक्कत थी।
4 में से 2 मौतें स्ट्रोक के चलते हुई, जबकि एक पोस्ट-कोविड राइनोसेरेब्रल म्यूकोर्मिकोसिस के कारण हुई। चौथी मृतका वैक्सीनेशन के बाद कई बार अज्ञात वजहों से बेहोश हो गई थी।
शोध में शामिल 0.3 प्रतिशत लोगों में स्ट्रोक की दिक्कत देखने को मिली।
महिलाएं
महिलाओं को हो रही मासिक धर्म में अनियमितताएं
शोध में हिस्सा लेने वाली 4.6% महिलाओं ने मासिक धर्म संबंधी असामान्यताओं की शिकायत की। 2.7 प्रतिशत में आंखों से जुड़ी समस्याएं देखी गईं, जबकि 0.1 प्रतिशत प्रतिभागियों में गुलियन बेरी सिंड्रोम (GBS) की पहचान भी हुई।
GBS एक ऐसी दुर्लभ बीमारी है, जो लकवे की ही तरह शरीर को धीरे-धीरे निशक्त कर देती है। इससे पीड़ित 25 प्रतिशत मरीज 6 महीने के भीतर चलने-फिरने के लायक नहीं रह पाते।
कंपनी
मामले पर कंपनी का क्या कहना है?
कोवैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटेक ने कहा, "इस तरह के अध्ययन को प्रभावी, जानकारीपूर्ण बनाने और जांचकर्ता के पूर्वाग्रह से बचने के लिए कई डेटा की भी जरूरत होती है। देखा जाना चाहिए कि शोध में भाग लेने से पहले लोगों की AESI प्रोफाइल क्या थी। कोवैक्सिन की सुरक्षा पर कई अध्ययन किए गए हैं और उत्कृष्ट सुरक्षा ट्रैक रिकॉर्ड का प्रदर्शन करते हुए समीक्षित पत्रिकाओं में प्रकाशित किए गए हैं।"
कोविशील्ड
साइड इफेक्ट्स को लेकर कोविशील्ड भी विवादों में
साइड इफेक्ट्स को लेकर एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन भी विवादों में है। भारत में इसे कोविशील्ड नाम से सीरम इंस्टीट्यूड ऑफ इंडिया ने बनाया है।
कंपनी ने ब्रिटेन की हाई कोर्ट में माना था कि उसकी कोरोना वैक्सीन से TTS जैसे गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। TTS से शरीर में खून के थक्के जमने लगते हैं या फिर प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगती है, जिसके चलते ब्रेन स्ट्रोक की भी आशंका बढ़ जाती है।