#NewsBytesExplainer: कांग्रेस को 'हाथ' और भाजपा को 'कमल' का चुनाव चिन्ह कैसे मिला?
देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और इसी हफ्ते 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होगा। चुनाव में मतदान के समय वोटर किसी भी पार्टी के चुनाव चिन्ह को देखकर वोट डालते हैं। चुनाव चिन्ह किसी भी पार्टी के अस्तित्व और पहचान का एक अहम हिस्सा होते हैं। आइए जानते हैं कि देश में चुनाव चिन्ह की शुरुआत कब हुई और कांग्रेस को 'हाथ' और भाजपा को 'कमल' का चुनाव चिन्ह कैसे मिला।
कैसे हुए चुनाव चिन्हों की शुरुआत?
1951-52 में पहले लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने महसूस किया कि मात्र 26 प्रतिशत साक्षरता दर वाले देश में चुनाव चिन्ह जरूरी हैं, ताकि लोग इन्हें आसानी से पहचान कर अपना वोट अपनी पसंदीदा पार्टी को डाल सकें। इसी समय यह फैसला लिया गया कि गाय, मंदिर और राष्ट्रीय ध्वज जैसी धार्मिक या भावनात्मक जुड़ाव वाली किसी भी चीज को चुनाव चिन्ह के तौर पर नहीं दिया जाएगा। पार्टियों को चयन के लिए 26 चुनाव चिन्ह दिए गए।
चुनाव चिन्ह कितने प्रकार के होते हैं?
चुनाव चिन्ह 2 प्रकार के होते हैं, आरक्षित चिन्ह और मुक्त चिन्ह। चुनाव चिन्ह (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के अनुसार, आरक्षित चुनाव चिन्ह वो चुनाव चिन्ह होता है, जो एक मान्यदा प्राप्त पार्टी को दिया जाता है। जो चुनाव चिन्ह आरक्षित नहीं होते, उन्हें मुक्त चिन्ह कहा जाता है। ये निर्दलीय उम्मीदवारों और गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों को उनके अनुरोध और प्राथमिकता के आधार पर बिना किसी शुल्क के प्रदान किए जाते हैं।
कांग्रेस को अब तक कौन-कौन से चुनाव चिन्ह मिले?
1951-52 चुनाव में कांग्रेस को 'जुए के साथ दो बैल' का चुनाव चिन्ह मिला था। हालांकि, 1969 में कांग्रेस 2 हिस्सों, कांग्रेस (O) और कांग्रेस (R), में बंट गई। जनवरी, 1971 में चुनाव आयोग ने कांग्रेस (R) को असली कांग्रेस माना। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए कहा कि कोई भी धड़ 'दो बैल' चिन्ह इस्तेमाल नहीं कर सकता। इसके बाद कांग्रेस (O) को 'चरखा चलाती महिला' और कांग्रेस (R) को 'गाय और बछड़ा' का चिन्ह मिला।
'गाय और बछड़ा' से 'हाथ' तक कैसे पहुंची कांग्रेस?
1970 के दशक में कांग्रेस (R) में एक बार फिर विभाजन हुआ और जनवरी, 1978 में इंदिरा गांधी को कांग्रेस (R) का अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद वे 'गाय और बछड़ा' चिन्ह के लिए चुनाव आयोग पहुंची, लेकिन उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया। फरवरी, 1978 में आयोग ने कांग्रेस (इंदिरा) को राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर मान्यता दी और उसे 'हाथ' चुनाव चिन्ह दिया। 1984 से पहले आयोग ने कांग्रेस (इंदिरा) को ही असली कांग्रेस घोषित कर दिया।
भाजपा को 'कमल' चुनाव चिन्ह कैसे मिला?
भाजपा की पूर्ववर्ती पार्टी भारतीय जन संघ (BJS) को 1951-52 के लोकसभा चुनाव में 'दीपक' चुनाव चिन्ह दिया गया था। 1977 में जनता पार्टी में उसके विलय तक उसका यही चुनाव चिन्ह रहा। हालांकि, जल्द ही जनता पार्टी टूट गई और 6 अप्रैल, 1980 को अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में BJS नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गठन किया। 24 अप्रैल, 1980 को चुनाव आयोग ने भाजपा को राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता दी और 'कमल' चुनाव चिन्ह दिया।