ICMR को 'कोवैक्सिन' तैयार करने में आई कुल लागत की जानकारी नहीं, RTI में खुलासा
भारत में कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ चलाए जा रहे मेगा वैक्सीनेशन अभियान में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के सहयोग से भारत बायोटेक द्वारा तैयार की गई स्वदेशी वैक्सीन 'कोवैक्सिन' का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी बीच सामने आया है कि ICMR को वैक्सीन को तैयार करने में आई कुल लागत की अभी तक भी कोई जानकारी नहीं है। सूचना का अधिकार (RTI) के तहत मिली जानकारी में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
भारत बायोटेक ने ICMR के सहयोग से तैयार की है 'कोवैक्सिन'
बता दें कि भारत बायोटेक ने ICMR के सहयोग से कोवैक्सिन को विकसित किया है। इसके विकास के लिए ICMR ने 35 करोड़ रुपये का योगदान दिया था। वैक्सीन के तैयार होने के बाद कंपनी ने इसकी सबसे अधिक कीमत रखी थी। कंपनी ने केंद्र सरकार को प्रति खुराक 150 रुपये, राज्य सरकारों को 400 रुपये और निजी अस्पतालों को 1,200 रुपये में देने की घोषणा की थी। इसकी कीमत कोवैक्सिन और स्पूतनिक-V से भी अधिक है।
भारत बायोटेक ने 150 रुपये में खुराक देने में जताई थी परेशानी
भारत बायोटेक ने जून में सरकार को पत्र भेजकर कहा था कि कच्चे माल की अधिक लागत, उत्पाद की विफलता, जोखिम उत्पाद विकास परिव्यय, उत्पाद की अधिकता, पर्याप्त उत्पादन सुविधाओं की स्थापना के लिए संपूर्ण पूंजीगत व्यय, बिक्री और वितरण व्यय, खरीद मात्रा और अन्य नियमित व्यावसायिक व्यय के कारण सरकार को 150 रुपये में खुराक देना संभव नहीं है। ऐसे में सरकार को सरकार को उत्पादन खर्चों को देखते हुए इसकी कीमत में इजाफा करना चाहिए।
सरकार ने किया कीमत बढ़ाने का निर्णय
सरकार ने 21 जून से वैक्सीनेशन की नई नीति लागू होने के बाद कीमतों में संशोधन की बात कही थी। इसके बाद गत शनिवार को सरकार ने कोवैक्सिन के लिए 225 रुपये और कोविशील्ड के 215 रुपये की नई कीमत निर्धारित कर दी। इसके साथ ही सरकार ने दोनों कंपनियों को इस कीमत पर 60 करोड़ खुराकों का अग्रिम ऑर्डर भी दे दिया। इसके साथ ही कंपनी अब निजी अस्पतालों को 1,400 रुपये प्रति खुराक के हिसाब से आपूर्ति करेगी।
RTI के तहत मांगी वैक्सीन की कुल विकास लागत की जानकारी
भारत बायोटेक की ओर से अधिक विकास लागत का हवाला देकर कीमतें बढ़वाने के बाद इंडिया टुडे की ओर से RTI दाखिल कर ICMR से वैक्सीन की कुल विकास लागत की जानकारी मांगी थी। इसके अलावा यह भी जानकारी मांगी गई थी कि वैक्सीन के विकास के लिए ICMR की ओर से दी गई सहयोग राशि पर उसे लाभ का कितना प्रतिशत मिलेगा। इसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि आखिर वैक्सीन की कुल विकास लागत कितनी है।
ICMR ने दी विकास लागत का पता नहीं होने की जानकारी
ICMR ने इस RTI के जवाब में लिखा है, 'ICMR को भारत बायोटेक इंडिया लिमिटेड की ओर से वैक्सीन के विकास पर खर्च की गई कुल लागत की जानकारी नहीं है। ICMR ने वैक्सीन के विकास के लिए भारत बायोटेक को 35 करोड़ रुपये का सहयोग दिया है।' ICMR ने यह भी बताया कि समझौता ज्ञापन की शर्तों के अनुसार भारत बायोटेक की ओर से वैक्सीन की बिक्री से होने वाले कुल मुनाफे की पांच प्रतिशत ही रॉयल्टी मिलेगी।'
ICMR के जवाब से यह उठ रहे हैं सवाल
ICMR की ओर से RTI के सवालों पर दिए गए जवाबों से कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला सवाल है कि यदि ICMR को कुल विकास लागत की जानकारी ही नहीं है तो उसने किस आधार पर वैक्सीन के विकास में 35 करोड़ रुपये का सहयोग दे दिया। दूसरा सवाल यह है कि भारत बायोटेक किस आधार पर ICMR को महज पांच प्रतिशत रॉयल्टी का भुगतान करेगा? देश में कोवैक्सिन की खपत के बीच यह बड़े सवाल हैं।