#NewsBytesExplainer: क्या कन्हैया कुमार को दिल्ली में बड़ी जिम्मेदारी देने जा रही है कांग्रेस?
कांग्रेस ने पूर्व छात्र नेता और तेजतर्रार वक्ता कन्हैया कुमार को उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट से लोकसभा चुनाव में उतारा है। यहां उनका मुकाबला भाजपा के मनोज तिवारी से होगा, जो पिछले 2 बार से यहां से सांसद हैं। कहा जा रहा है कि 37 वर्षीय कन्हैया को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से चुनावी मैदान में उतारने के पीछे कांग्रेस की सोची-समझी योजना है और पार्टी उन्हें भविष्य में दिल्ली में एक बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट पर कैसी है कन्हैया की स्थिति?
कन्हैया के लिए उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट पर जीत दर्ज करना आसान नहीं होगा। यह वही जगह है, जहां 2020 में सांप्रदायिक दंगे हुए थे और यहां वोटों का ध्रुवीकरण होता है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा के नेताओं का मानना है कि कन्हैया के इतिहास को देखते हुए उनकी उम्मीदवारी से सीट पर ध्रुवीकरण और बढ़ेगा और इससे उसे फायदा होगा। भाजपा नेताओं का कहना है कि वो वामपंथी बनाम सनातन धर्म के नैरेटिव को आगे बढ़ाएंगे।
कन्हैया को दिल्ली से लड़ाना बड़ी रणनीति का हिस्सा- कांग्रेस नेता
रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट के नतीजे चाहे जो रहें, कांग्रेस कन्हैया पर दिल्ली में बड़ा दांव खेल सकती है। पार्टी नेताओं ने कहा कि कन्हैया को दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ाने का फैसला पार्टी की लंबी रणनीति का हिस्सा है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "पार्टी हाईकमान खासकर राहुल गांधी कन्हैया को भरोसे की नजर से देखते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह पार्टी की विचारधारा को संगठन के भीतर-बाहर अच्छे से विस्तार देंगे।"
कन्हैया को संगठन में दी जा सकती है बड़ी जिम्मेदारी
कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी कन्हैया को दिल्ली में संगठन के स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि कुछ साल पहले कांग्रेस में आए कन्हैया पर अगर राहुल गांधी इतना निवेश कर रहे हैं तो मतलब साफ है कि दिल्ली में संगठन के स्तर पर वो बड़े बदलाव करने की तैयारी में हैं। बता दें कि कन्हैया सितंबर, 2021 में कांग्रेस में शामिल हुए थे।
AAP भी कन्हैया से प्रभावित
कन्हैया कुमार दिल्ली में कांग्रेस में नई जान फूंक सकते हैं, इसका अंदाजा कांग्रेस की नई-नवेली सहयोगी आम आदमी पार्टी (AAP) को भी है। AAP के सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अगर कांग्रेस कन्हैया का सही से इस्तेमाल करती है तो वो दिल्ली में फिर से मजबूत हो सकती है। उन्होंने कहा कि AAP की भी कन्हैया पर नजर रही है और पार्टी ने 2019-20 में उनके नाम पर विचार किया था, लेकिन अंतिम फैसला नहीं हो सका।
कन्हैया से कांग्रेस को क्या फायदा हो सकता है?
कन्हैया ने अपनी छात्र राजनीति की शुरुआत दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से ही की थी और यहां युवाओं पर उनकी अच्छी-खासी पकड़ है। कन्हैया एक बेहद अच्छे वक्ता भी हैं, जो लोगों को पार्टी की तरफ खींचने में मदद कर सकता है। इसके अलावा वे बिहार से आते हैं और दिल्ली में बिहारियों की बड़ी आबादी है। ये चीजें उन्हें नेतृत्व के लिए अच्छा उम्मीदवार बनाती हैं और वे दिल्ली में पार्टी में नई जान फूंक सकते हैं।
क्या कन्हैया को उतारने से कांग्रेस को नुकसान भी हो सकता है?
ऐसा नहीं है कि कन्हैया को दिल्ली में टिकट देने से कांग्रेस में सब खुश हैं और एक धड़ा इसके खिलाफ है। कुछ पार्टी नेताओं को लगता है कि कन्हैया न सिर्फ अपना चुनाव हारेंगे, बल्कि उनकी देश विरोधी छवि से पार्टी को भी नुकसान होगा। बता दें कि कन्हैया पर 2016 में JNU में देश विरोधी नारे लगाने का आरोप लगा था। बाद में सामने आया कि उन्होंने देश विरोधी नारे नहीं लगाए थे।