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    चर्चित कानून: भारत में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर क्या नियम है?
    भारत में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर क्या है नियम?

    चर्चित कानून: भारत में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर क्या नियम है?

    लेखन भारत शर्मा
    Apr 20, 2022
    07:24 pm

    क्या है खबर?

    देश में इस समय मस्जिदों में लाउडस्पीकर को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। इसकी शुरुआत महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे के मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने का आह्वान करने से हुई थी।

    उन्होंने 3 मई तक मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाने पर उनके बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने की धमकी भी दी है।

    इसको लेकर महाराष्ट्र सरकार ने धार्मिक स्थलों पर बिना अनुमति लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगा दी।

    आइये जानते हैं इसको लेकर क्या है नियम।

    पृष्ठभूमि

    अन्य राज्यों में भी उठा लाउडस्पीकर को लेकर विवाद

    मस्जिदों में लाउडस्पीकर को लेकर विवाद की आग महाराष्ट्र के अलावा दिल्ली, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार और उत्तराखंड आदि राज्यों में भी पहुंच गई। यहां के हिंदू संगठनों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग उठाई है।

    इसको लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने धार्मिक कार्यक्रमों में माइक्रोफोन के इस्तेमाल की अनुमति देने, लेकिन उनकी आवाज परिसर से बाहर नहीं आने देने के दिशानिर्देश जारी किए हैं।

    नियम

    लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के लिए क्या है नियम?

    देश में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोेक तो नहीं है, लेकिन इसके उपयोग के लिए कुछ नियम हैं।

    केंद्र सरकार ने 14 फरवरी, 2000 को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सार्वजनिक स्थलों में विभिन्न स्रोतों द्वारा होने वाले ध्वनि प्रदूषण के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने के लिए ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 को अधिनियमित किया था।

    इसके नियम पांच में लाउडस्पीकरों के प्रयोग को सीमित किया गया है।

    शर्तें

    ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 में लाउडस्पीकर के उपयोग की क्या शर्तें हैं?

    ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर लाउडस्पीकर या कोई भी ध्वनि यंत्र के इस्तेमाल के लिए प्रशासन से लिखित में अनुमति लेनी आवश्यक होता है। यह अनुमति जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक और पुलिस उपाधीक्षक स्तर या उससे उपर के स्तर के अधिकारी ही दे सकते हैं।

    इसी तरह रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर पाबंदी है, लेकिन बंद स्थानों पर निर्धारित डेसिबल सीमा में उपयोग किया जा सकता है।

    अनुमति

    राज्य सरकार को है रियायत देने की छूट

    ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 के तहत राज्य सरकारों को कुछ मौकों पर लाउडस्पीकर या ध्वनि यंत्रों के इस्तेमाल में रियायत देने की शक्ति दी गई है।

    इसके तहत यदि सरकार चाहे तो किसी धार्मिक या सामाजिक संगठन की मांग पर लाउडस्पीकर बजाने की अनुमति रात 10 बजे से बढ़ाकर 12 बजे तक कर सकती है, लेकिन साल में सिर्फ 15 दिन ही ऐसी अनुमति दी जा सकती है। इसके अलावा सरकार को सभी नियमों का पालन करना जरूरी है।

    सीमा

    CPCB ने चार क्षेत्र बनाकर निर्धारित किए हैं ध्वनि मापदंड

    ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने औद्योगिक, वाणिज्यिक, आवासीय और शांत स्थान बनाकर उनके लिए ध्वनि मापदंड निर्धारित कर रखे हैं।

    इसके तहत औद्योगिक क्षेत्र में दिन (सुबह 6 से रात 10 बजे तक) के समय में ध्वनि की तीव्रता 75 डेसिबल और रात (रात 10 से सुबह 6 बजे तक) में 70 डेसिबल निर्धारित की थी।

    इसी तरह वाणिज्यिक क्षेत्र में दिन में 65 डेसिबल और रात में 55 डेसिबल निर्धारित की थी।

    जानकारी

    आवासीय और शांत क्षेत्र में यह रखी है सीमा

    CPCB ने आवासीय क्षेत्र में दिन में 55 डेसिबल और 45 डेसिबल तथा शांत क्षेत्र में दिन में 50 डेसिबल और रात में ध्वनि की तीव्रता 40 डेसिबल निर्धारित की थी। विज्ञान के अनुसार, ध्वनि की तीव्रता का मापन डेसिबल में किया जाता है।

    क्षमता

    80 डेसिबल तक की ध्वनि तीव्रता है सहनीय- डॉ शर्मा

    जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के नाक, कान और गला रोग विशेषज्ञ डॉ विजय शर्मा ने न्यूजबाइट्स हिंदी को बताया कि आमतौर पर सामान्य व्यक्ति के लिए 80 डेसिबल तक की ध्वनि तीव्रता सहनीय होती है। इससे ऊपर की तीव्रता परेशान करने वाली और 120 डेसिबल से अधिक खतरनाक होती है।

    उन्होंने बताया सामान्य तौर पर घरों में बातचीज की ध्वनि तीव्रता 30 डेसिबल के आसपास होती है और लाउडस्पीकर 80-90 डेसिबल आवाज पैदा करते हैं।

    जानकारी

    नियमों का उल्लंघन करने पर क्या हो सकती है कार्रवाई?

    ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 के नियमों का उल्लंघन करने पर पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत जेल और जुर्माने का प्रावधान किया है। इसके तहत उल्लंघन करने पर पांच साल कैद और एक लाख रुपये तक जुर्माना अथवा दोनों सजा दी जा सकती है।

    आदेश

    लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया था अहम फैसला

    लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुालई, 2005 को कहा था कि सभी को शांति से रहने का अधिकार है और यह जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा है। ऐसे में किसी को इतना शोर करने का अधिकार नहीं है जो उसके घर से बाहर जाकर पड़ोसियों और अन्य लोगों के लिए परेशानी पैदा करे।

    उस दौरान कोर्ट ने रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच सार्वजनिक स्थानों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाई थी।

    जानकारी

    सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को दिया था अधिकार

    28 अक्टूबर, 2005 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राज्य सरकारों को एक साल में 15 दिन के लिए लाउडस्पीकर या अन्य ध्वनि यंत्रों के इस्तेमाल की सीमा को रात 10 बजे से बढ़ाकर 12 बजे तक करने का अधिकार दे दिया था।

    अन्य

    बॉम्बे और उत्तराखंड हाई कोर्ट ने भी सुनाया था अहम फैसला

    अगस्त 2016 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल मौलिक अधिकार नहीं है और कोई भी धर्म संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला देकर ये नहीं कह सकता कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करना उसका मौलिक अधिकार है।

    इसी तरह उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 26 जून, 2018 को लाउडस्पीकर की ध्वनि तीव्रता पांच डेसीबल निर्धारित करते हुए बिना अनुमति इस्तेमाल पर रोक लगाई थी, लेकिन बाद में आदेश वापस ले लिया था।

    रोक

    पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने भी लगाई थी लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक

    पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने जुलाई 2019 में सार्वजनिक स्थानों पर लाउडस्पीकर पर रोक लगाते हुए कहा था कि मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारा सहित कोई भी व्यक्ति या संगठन बिना अनुमति के लाउडस्पीकर नहीं बजा सकता।

    इलाहबाद हाई कोर्ट ने 15 मई, 2020 को मस्जिदों में बिना लाउडस्पीकर के नमाज पढ़ने की बात कही थी।

    इसके अलावा 11 जनवरी, 2021 को कर्नाटक हाई कोर्ट ने लाउडस्पीकर का अवैध इस्तेमाल करने वालों पर कार्रवाई का आदेश दिया था।

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