रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के सौदे को मिली SEBI की मंजूरी, जानिए क्या है मामला
क्या है खबर?
पूंजी बाजार नियामक संस्था भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने फ्यूचर ग्रुप को रिलायंस को अपनी परिसंपत्ति बेचने की योजना को बुधवार को मंजूरी दे दी।
इसके बाद बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने भी 24,713 करोड़ रुपये के इस सौदे पर अपनी मुहर लगा दी।
अमेजन ने SEBI और अन्य नियामक एजेंसियों को पत्र लिखकर इस सौदे को अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया था।
आइए जानते हैं यह सौदा क्या है जिसके लिए अमेजन और रिलायंस आमने-सामने हैं।
शुरुआत
कहां से शुरू हुआ मामला?
यह मामला शुरू होता है पिछले साल अगस्त में हुई एक डील से।
भारी कर्ज को चुकाने के लिए फ्यूचर ग्रुप के मालिक किशोर बियानी ने अपने सारे रिटेल और होलसेल कारोबार 'बिग बाजार' को रिलायंस समूह को बेचने के करार पर हस्ताक्षर कर दिए। दोनों कंपनियों ने ऐलान किया था कि इसके लिए रिलायंस 24,713 करोड़ रुपये चुकाएगी। लेकिन तभी ई-कॉमर्स अमेजन बीच में आ गई।
बता दें कि 'बिग बाजार' फ्यूचर ग्रुप का ही हिस्सा है।
आमने-सामने
रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के बीच में क्यों आई अमेजन?
अमेजन का मानना है कि फ्यूचर ग्रुप से डील करने का पहला अधिकार उनका है, क्योंकि अमेजन ने 2019 में 'फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड' नामक कंपनी के 49% शेयर्स लगभग 2,000 करोड़ रुपये में खरीदे थे।
फ्यूचर कूपन और 'फ्यूचर रिटेल' दोनों अलग-अलग कंपनियां हैं, लेकिन इनके मालिक किशोर बियानी ही हैं।
फ्यूचर कूपन के 'फ्यूचर रिटेल' में लगभग 10% शेयर हैं। ऐसे में 49% शेयर खरीदने पर अमेजन के पास 'फ्यूचर रिटेल' के भी लगभग 5% शेयर आ गए।
अमेजन की मांग
इस अधिकार के तहत अमेजन ने की डील रद्द करने की मांग
अमेजन ने जब पिछले साल 'फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड' के शेयर्स खरीदे, तो न केवल उसे फ्यूचर रिटेल में 5% की हिस्सेदारी मिली, बल्कि कुछ 'विशेष' अधिकार भी मिले।
एक 'विशेष' अधिकार के अनुसार यदि फ्यूचर ग्रुप 2019 वाली डील के 3 से 10 साल के दौरान कुछ भी बेचे, तो अमेजन को उसे खरीदने का सबसे पहला अधिकार मिलेगा। यदि फ्यूचर ग्रुप अमेजन के बदले कहीं और बिकेगा, तो ऐसा अमेजन के 'न' कहने पर ही संभव होगा।
पुरानी रोक
डील को रद्द कराने SIAC पहुंची अमेजन
रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के बीच हुई डील को लेकर पिछले साल अमेजन सिंगापुर स्थित 'अंतरराष्ट्रीय सिंगापुर इंटरनेशल आर्बिट्रेशन सेंटर' (SIAC) पहुंची थी।
अमेजन ने मध्यस्थता कराने वाली इस संस्था से डील को रद्द करने की मांग की थी।
इसके बाद पिछले साल अक्टूबर में इस संस्था द्वारा इस डील पर अंतरिम रोक लगा दी गई थी।
हालांकि, आर्बिट्रेशन सेंटर का कोई फैसला भारत में लागू नहीं होता। भारत में यहां के कानून के अनुसार केस की सुनवाई होती है।
मंजूरी
अब SEBI और CCI से मिली सौदे को मंजूरी
SEBI ने अब फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच हुए सौदे को मंजूरी दे दी है। इससे पहले भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) भी इस डील को मंजूरी दे चुका है।
अब रिलायंस इंडस्ट्रीज को फ्यूचर ग्रुप के कारोबार का अधिग्रहण करने में आसानी होगी।
CCI और SEBI की मंजूरी अमेजन के लिए एक बड़ा झटका है।
हालांकि, BSE ने कहा है कि इस सौदे पर SEBI की अनुमति अदालत में लंबित मामलों के नतीजों पर निर्भर करेगी।
जानकारी
अभी कोर्ट में है मामला
BSE ने कहा है कि इस सौदे पर SEBI की मंजूरी दिल्ली हाईकोर्ट और आर्बिट्रेशन प्रोसिंडिंग्स के फैसले पर निर्भर करेगी। SEBI ने कहा कि फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस के बीच हुए सौदे के खिलाफ अभी कानूनी मामले चल रहे हैं।
योजना
अमेजन और रिलायंस की नजरें फ्यूचर ग्रुप पर क्यों?
अमेजन की नजर भारत में फ्यूचर ग्रुप के 1,700 से ज्यादा रिटेल स्टोर पर है।
फ्यूचर ग्रुप और अमेजन लगभग एक ही तरह के बिजनेस में हैं। एक ऑनलाइन रिटेल स्टोर, दूसरा ऑफलाइन रिटेल स्टोर का किंग है। अमेजन भारत में रिटेल बिजनेस में भी पांव पसारने के लिए यह डील करना चाहता था।
वहीं इस समय देशभर में रिलायंस के करीब 10,900 स्टोर्स मौजूद हैं, इस सौदे से रिलायंस को कमाई के लिए 1,700 रिटेल स्टोर और मिल जाएंगे।