पंचायत चुनाव: केंद्रीय बलों की तैनाती के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची पश्चिम बंगाल सरकार
क्या है खबर?
पश्चिम बंगाल सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) ने राज्य में पंचायत चुनाव के दौरान केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती किए जाने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
दरअसल, कलकत्ता हाई कोर्ट ने चुनाव के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर राज्य चुनाव आयोग को केंद्रीय अर्धसैनिक बल तैनात करने के निर्देश दिए थे।
गौरतलब है कि प्रदेश की सभी पंचायतों में 8 जुलाई को मतदान होगा और 11 जुलाई को नतीजे आएंगे।
मामला
बंगाल सरकार और SEC की बैठक के बाद हुआ निर्णय
इंडिया टुडे के मुताबिक, शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार और SEC के वरिष्ठ अधिकारियों ने कानूनी सलाहकारों के साथ बैठक हुई थी। इसके बाद याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया गया।
बता दें कि SEC ने कलकत्ता हाई कोर्ट के सामने तर्क रखा था कि उसे कानून और व्यवस्था के दृष्टिकोण से संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने में कुछ दिन लग सकते हैं, जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
निर्देश
हाई कोर्ट ने दिए थे केंद्रीय बल तैनात करने का निर्देश
कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जस्टिस टीएस शिवगणनम और जस्टिस उदय कुमार की खंडपीठ ने गुरुवार को SEC को 48 घंटे के अंदर केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए केंद्र सरकार को एक अनुरोध भेजने का निर्देश दिया था।
हाई कोर्ट ने कहा था कि 13 जून के उसके आदेश के बावजूद पंचायत चुनाव के दौरान संवेदनशील इलाकों की पहचान करने और केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।
याचिका
सुवेंदु अधिकारी ने हाई कोर्ट में दाखिल की थी PIL
पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने केंद्रीय सुरक्षबलों की तैनाती को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दाखिल की थी।
उन्होंने कहा था कि पंचायत चुनाव के नामांकन के दौरान बड़े पैमाने पर जारी हिंसा को रोकने के लिए केंद्रीय बलों को तैनात करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कोर्ट से नामांकन के लिए समयसीमा बढ़ाने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने विचार करने से मना कर दिया था।
हिंसा
बंगाल के कई हिस्सों में हुई है हिंसा
पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में नामांकन के दौरान हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं, जिनका आरोप सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कार्यकर्ताओं पर लगा है।
बता दें कि मुर्शिदाबाद के खरग्राम में कांग्रेस नेता फूलचंद शेख की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद हिंसक झड़प हो गई थी।
वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी चुनावी हिंसा का स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य में एक विशेष मानवाधिकार पर्यवेक्षक को प्रतिनियुक्त किया था।
हिंसा
पिछले पंचायत चुनावों में भी हुई थी हिंसा
वर्ष 2018 में हुए पंचायत चुनावों में TMC ने करीब 34 प्रतिशत सीटों पर निर्विरोध जीत हासिल की थी। हालांकि, इस दौरान बड़े स्तर पर हिंसा हुई थी। इस दौरान बम फेंकने, बूथ कैप्चर करने से लेकर बैलेट बॉक्स जलाने की घटनाएं हुई थीं।
विपक्षी पार्टियों ने इसका आरोप TMC पर लगाया था। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, चुनावों के दौरान हिंसक घटनाओं में 13 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 50 से ज्यादा घायल हुए थे।