सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण पर हो रही राजनीतिक बयानबाजी पर जताई आपत्ति
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय के आरक्षण को लेकर दिये जा रहे राजनीतिक बयानों पर कड़ी आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक सरकार द्वारा मुस्लिम समुदाय का 4 फीसदी आरक्षण खत्म करने का मामला अभी उसके समक्ष विचाराधीन है और इस पर आदेश आने तक कोई राजनीतिक बयानबाजी नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा कोर्ट ने मामले में दायर याचिकाओं को जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में अमित शाह के बयान को लेकर की गई थी शिकायत
याचिकाकर्ताओं ने 10 मई को कर्नाटक चुनाव के प्रचार के दौरान इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए एक बयान के बारे में शिकायत की थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने बताया कि एक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने कहा था कि उनकी पार्टी ने मुसलमानों का आरक्षण वापस ले लिया है। दवे ने कहा कि उनका यह बयान कोर्ट की अवमानना है।
कोर्ट ने मामले में क्या कहा?
जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने इस तरह की राजनीतिक बयानबाजी पर कड़ी आपत्ति जताई। कोर्ट की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, "आप इस मामले में पेश हो रहे हैं। आप कोर्ट में बयान दे सकते हैं, लेकिन इस मसले पर सार्वजनिक रूप से बयानबाजी पूरी तरह से अलग है। ये मुद्दा अभी कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है और हम इस पर राजनीति नहीं होने दे सकते।"
कोर्ट में शिकायतों का सॉलिसिटर जनरल ने दिया जवाब
कोर्ट की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल मेहता से पूछा कि इस मामले के विचाराधीन होने के बाद भी नेता इस तरह की बयानबाजी क्यों कर रहे हैं। इसके जवाब में मेहता ने कहा, "मुझे इन टिप्पणियों के बारे में नहीं बताया गया है, लेकिन इस मसले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। अगर कोई कहता है कि वे धर्म आधारित आरक्षण के खिलाफ हैं तो ये पूरी तरह से उचित है। धर्म आधारित आरक्षण असंवैधानिक है।"
क्या है पूरा मामला?
बीते 24 मार्च को मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की कैबिनेट ने OBC आरक्षण में बदलाव किया था। इसके तहत राज्य सरकार ने OBC आरक्षण से मुस्लिम आरक्षण के 4 फीसदी कोटे को खत्म कर दिया था। 30 मार्च को आदेश जारी करते हुए सरकार ने इस आरक्षण को वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय में 2-2 फीसदी बांट दिया था। इसके बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसने सरकार के फैसले पर रोक लगा दी।
कर्नाटक में क्या है आरक्षण की स्थिति?
कर्नाटक में अभी तक OBC को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (SC) को 15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (ST) को 7 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ था। इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को 10 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ है।
कर्नाटक में वोक्कालिगा और लिंगायतों को कितना आरक्षण?
OBC आरक्षण के तहत वोक्कालिगा को 4 फीसदी और लिंगायतों को 5 फीसदी आरक्षण दिया गया है। सरकार के नए आदेश के बाद मुस्लिमों का 4 फीसदी आरक्षण खत्म करके वोक्कालिगा और लिंगायतों का आरक्षण 2-2 फीसदी बढ़ा दिया गया था। वोक्कालिगा और लिंगायत दोनों ही बेहद प्रभावशाली समुदाय हैं और राज्य की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। भाजपा सरकार के फैसले को इसी से जोड़कर देखा गया था। राज्य में कल यानि 10 मई को मतदान होना है।